नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने भारत में वर्ष 2036 में आयोजित होने वाले ओलंपिक गेम्स की मेज़बानी के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की बात की है। गौरतलब है कि ओलंपिक गेम्स 2032 तक की मेज़बानी पहले से ही तय की जा चुकी है तो भारत के पास ओलंपिक गेम्स, 2036 के आयोजन को एक अवसर के रूप में देख रहा है।
सितम्बर, 2023 में मुंबई में आयोजित इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी- आईओसी के आगामी सत्र के दौरान भारत (इंडियन ओलंपिक् एसोसिएशन) द्वारा अपनी दावेदारी पेश करने जा रहा है। खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “आज जब भारत हर क्षेत्र में, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विस सेक्टर तक, अपनी जबरदस्त प्रदर्शन से दुनिया भर में प्रशंसाएं बटोर रहा है तो अब समय आ चुका है कि भारत बड़े स्पोर्टिंग इवेंट्स का भी आयोजन करे। यदि आज हम G-20 अध्यक्षता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन इतने बड़े स्तर से कर सकते हैं तो हमारे पास ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम ओलंपिक गेम्स जैसे ग्लोबल स्पोर्टिंग इवेंट्स के लिए अपनी दावेदारी पेश न करें।”
सबसे बड़े और प्रभावी ‘सॉफ्ट पावर्स‘ : खेल और खिलाड़ी
जैसे आज के दौर में सॉफ्ट पावर की चर्चा बेहद आम हो गई हैं। लोग पोशाक-परिधानों से लेकर व्यंजनों और फिल्मों से लेकर टीवी शोज तक को अपने सॉफ्ट-पावर्स का हिस्सा मान रहे हैं, लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा बड़ा और प्रभावी सॉफ्ट पावर आज के दौर में खेल और उनसे जुड़े खिलाड़ी हैं।
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मजाकिया लहज़े में कहा जा सकता है कि आज दुनिया में सबसे ज्यादा कल्ट डेवलप होने के मामलों में स्पोर्ट्स पर्सनालिटीज और पॉलिटिशंस के बीच कांटे का मुक़ाबला है। चाहे बात किसी भी स्पोर्ट्स/गेम्स की हो; रॉजर फेडरर, राफेल नडाल, उसैन बोल्ट, डेविड बैकहम आदि जैसे खिलाडियों को लेकर दीवानगी अलग ही लेवल पर है।
वहीं लिओनेल मेस्सी और क्रिस्टिआनो रोनाल्डो जैसे स्पोर्ट्स पर्सनालिटी अपने आप में एक ब्रांड से कम नहीं हैं। खुमार ऐसा है कि इन खिलाडियों की राइवलरी/प्रतिद्वंद दुनिया भरके खेल-प्रेमियों को धड़ों में बाँट देती हैं।
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स्पोर्टिंग नेशन का टैग
आज दुनिया में इन जैसे कई छोटे-छोटे देश हैं जिनकी जनसँख्या भी लाखों में और आर्थिक रूप से भी बहुत ज्यादा सक्षम न होते हुए भी ‘स्पोर्टिंग कन्ट्रीज’ के तौर पर जाने जाते हैं। इनके यहाँ स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटीज़ किस हद्द तक विकसित है और सरकार की प्राथमिकताओं में खेलों और खिलाडियों को कितना ऊपर रखा जाता है इसकी बानगी हमें ओलंपिक्स/कामनवेल्थ गेम्स/एसियन गेम्स जैसे बड़े स्पोर्टिंग इवेंट्स में इनकी पदक तालिकाओं में देखी जा सकती है।
इनके अलावा दुनिया के बड़े और विकसित देशों ने भी खेलों में भारी निवेश कर रखा है; यूएस, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, साउथ कोरिया जैसे जैसे देश इसके उदहारण हैं।
अभी कुछ ही दिनों पहले फीफा वर्ल्ड कप का समापन हुआ है। विवादों को परे रख दिया जाए तो इसे बेहद ही सफल माना जाना चाहिए। क़तर जैसे छोटे से देश में इतने बड़े खेल के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजन करना कोई मामूली बात भी नहीं है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में भविष्य में होने वाले अन्य स्पोर्टिंग इवेंट्स के आयोजन के लिए इसने अपनी एक मजबूत दावेदारी पेश की है।
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वहीं भारत के परिपेक्ष में बात की जाए तो भारत में आज तक के सबसे बड़े मल्टी-स्पोर्ट्स इवेंट के नाम पर 2008 में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स ही हैं। इसके अलावा, दो बार एशियन गेम्स 1951 और 1982 में आयोजित किया जा चुके हैं।
इतनी बड़ी आबादी, जहाँ स्पोर्ट्स को लेकर इतना रुझान और क्षमता है, वहां ओलिंपिक गेम्स जैसे ग्लोबल स्पोर्टिंग इवेंट्स बेहद ही अच्छी पहल होगी। इससे सभी तरह के खेलों को बढ़ावा मिलेगा और भारत में स्पोर्ट्स एक अच्छे प्रोफेशन के तौर पर भी उभरेगा।