नरसंहार एक भयानक शब्द है। इस शब्द के समर्थक आपको कम ही मिलेंगे पर मिलेंगे जरूर। अब शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने अपने एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखे पोस्ट में करीब करीब हिटलर द्वारा यहूदियों को मारने को सही ठहराया है। हालाँकि उन्होंने बाद में अपनी पोस्ट डिलीट कर दी लेकिन उस पोस्ट में राउत ने हमास के आतंकवादी हमलों के बाद गाजा पर हो रहे इजरायल के जवाबी हमलों से जुडे ‘आर्टिकल19 इंडिया’ नाम के एक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट साझा किया था, जिसमें गाजा के अल शिफा अस्पताल में बच्चों की तस्वीरें साझा करने का दावा किया गया था।
राउत ने पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था कि हिटलर यहूदी समुदाय से इतनी नफरत क्यों करता था, यह उन्हें अब समझ आ रहा है। भले ही राउत ने अपनी उस पोस्ट को डिलीट कर दिया पर यह उनकी मानसिकता को दर्शाने के लिए काफ़ी है।

जाहिर है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन तानाशाह हिटलर और उसकी नाजी सेना ने यहूदियों पर अकथनीय अत्याचार किए थे। जिसमें कॉन्सेंट्रेशन कैम्प और गैस चैंबरों में यहूदियों को मारे जाने के लिए रख दिया गया था।
आज मोहब्बत की दुकान के डीलर बने घूम रहे राहुल गांधी और उनके गठबंधन के नेता हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार को जायज ठहरा रहे हैं। संजय राउत के साथ-साथ राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा भी लगभग हर दिन हमास पर हो रहे हमलो को लेकर चिंता व्यक्त करती रहती हैं। राउत द्वारा यहूदियों के नरसंहार को जायज ठहराना हो या प्रियंका का हमास समर्थन इन सबके पीछे का कारण मोहब्बत की दुकान है, जिसको राहुल गांधी ने खोला है। इस दुकान के सिपाहियों को नरसंहार का समर्थन करना जरूरी है, तभी तो उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन के खात्मे का किसी के द्वारा विरोध नहीं किया गया था।
संजय राउत ने न सिर्फ हिटलर को क्लीन चिट दी है बल्कि 7 अक्टूबर को हुए हमास के आतंकवादी हमलों को भी कहीं न कहीं जायज ठहरा दिया। यहूदी नरसंहार को तो फिर भी 80 वर्ष से अधिक समय बीत गया है तो संजय राउत के लिए उनसे हमदर्दी जताना शायद मुश्किल होगा पर इजरायल में हुए हमास के विभत्स हमले जिसमें सैंकड़ों युवतियों का कथित तौर पर रेप किया गया, उन्हें नग्न कर उनकी परेड निकाली गई और कई नागरिकों की नृशंस हत्या कर दी गई, क्या उसे भी मोहब्बत की दुकान के सिपाही भूल चुके हैं? या संजय राउत यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि यहूदी राज्य के मारे गए नागरिक इसके योग्य थे?
ऐसा लग रहा है कि इंडि अलायन्स को इजरायल की जवाबी कार्रवाई को गलत ठहराने के लिए इतिहास में शामिल एक नरसंहार को सही ठहराना जरूरी लगता है। आतंकवाद पर हमेशा से ही डांवाडोल स्थिति में रही कांग्रेस औऱ उसके समर्थकों को लिए हमास पर उंगली उठाना संभव नहीं है। कांग्रेस तो स्वयं ही आतंकी गतिविधियों से जुड़े संगठन एसएफआई के एक अंग के साथ चुनावी गठबंधन बना चुकी है।
राहुल गांधी स्वयं मुस्लिम लीग को सेक्युलर बताते हैं और भगवा आतंकवाद की थ्योरी पेश करते हैं। उनकी मां सोनिया गांधी बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों के लिए आंसू बहाती है और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा गाजा पर हो रही जवाबी कार्रवाई को लेकर दुखी है। ऐसे में नए-नए हिंदू विरोधी बने संजय राउत के लिए हिटलर को समर्थन देना बिलकुल भी आश्चर्यचकित नहीं करता है।
इंडि अलायन्स से जुड़े नेताओं का ‘नरसंहार प्रेम’ धीरे-धीरे सामने आने लगा है। उदयनिधि स्टालिन सनातन को खत्म करना चाहते हैं, संजय राउत यहूदियों को। यह भी स्पष्ट है कि चूँकि राहुल गांधी इन दोनों का ही विरोध नहीं करते, इसलिए सनातन और यहूदियों के खात्मे में उनकी भी मौन सहमति समझी जानी चाहिए।
हिंदुओं के प्रति नफरत, आतंकियों से सहानुभूति और नरसंहार के लिए अगाढ़ प्रेम। यही राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान में मिलने वाला एकमात्र सौदा है।
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