पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर कर्ज दिए जाने के मामले पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में किए गए मतदान से भारत ने किनारा कर लिया है। पाकिस्तान को डिफ़ॉल्ट से बचाने के लिए दिए गए राहत पैकेज पर बातचीत होने के बाद बुधवार 12 जुलाई, 2023 को IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया था।
पाकिस्तान और IMF के बीच महीनों तक समझौता टलने के बाद 29 जून को सहमति बन पाई थी। पाकिस्तान को सहायता पहुँचाने के लिए बोर्ड की मंजूरी आवश्यक थी। IMF से सहायता लिए जाने का यह पाकिस्तान का 23वां प्रोग्राम है। पाकिस्तान को यदि यह सहायता न मिलती तो वह डिफ़ॉल्ट कर जाता।
पाकिस्तानी समाचार वेबसाइट द ट्रिब्यून के अनुसार, भारत ने इस बोर्ड बैठक की वोटिंग के दौरान पाकिस्तान को सहायता दिए जाने वाले कार्यक्रम को खराब करने का प्रयास किया और बाद में वोटिंग से अलग हो गया। भारत के अलावा अन्य देशों ने भी पाकिस्तान द्वारा सही कदम ना उठाने और सुधार ना करने पर उसकी आलोचना की।
IMF से सहायता मिलने के बाद पाकिस्तान को संयुक्त अरब अमीरात से भी 1 बिलियन डॉलर की धनराशि मिल गई। इससे पहले सऊदी अरब ने २ बिलियन डॉलर की सहायता पाकिस्तान को दी थी। हालाँकि, इस बार के IMF समझौते से पहले पाकिस्तान के सभी मित्र राष्ट्रों ने उसे मदद देने से मन कर दिया था। चीन ने भी उसे कोई नई सहायता नहीं दी थी।
बाहरी सहायता ना मिलने के कारण पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रहे थे और उसके पास बाहर से कच्चा तेल और अपनी जरूरतों का सामान आयात करने के लायक भी धनराशि नहीं बची थी। आंतरिक अशांति और आर्थिक बदहाली के कारण पाकिस्तान का रुपया भी बीते दिनों एक डॉलर के प्रति 300 तक चला गया था।
पाकिस्तान को मिलने वाली यह मदद 9 महीने के समझौते के लिए है। इस बीच पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन भी होगा। IMF लगातार पकिस्तान में अलग अलग पार्टियों से बातचीत कर रहा है कि वह उसे यह भरोसा दें कि सत्ता बदलने पर वह समझौते से पीछे नहीं हटेंगे। इस बीच पाकिस्तान में महंगाई 30% का स्तर पार कर चुकी है।
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