उत्तराखण्ड में अवैध निर्माण पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। नैनीताल जिले के राजा महमूदाबाद क्षेत्र में ‘शत्रु संपत्ति’ पर किए गए अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर की मदद से हटा दिया गया है। यह 100 से अधिक आवासीय इमारतें थीं जो उस भूमि पर अवैध कब्जा करके बनाई गई थीं।
नैनीताल देश में पर्यटन का एक मुख्य केंद्र है। नैनीताल के प्रसिद्ध होटलों में से एक मेट्रोपोल होटल पर भी कार्रवाई हुई है। मेट्रोपोल होटल महमूदाबाद के राजा की संपत्ति पर बना हुआ था। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना और उनकी पत्नी रत्तनबाई अपने हनीमून के दौरान इस होटल में ठहरे थे। देश के बंटवारे के समय महमूदाबाद के राजा भारत में अपना कोई कानूनी वारिस छोड़े बिना पाकिस्तान चले गए थे। इसके बाद इस संपत्ति को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया गया था। तब से अब तक इस सम्पति पर अतिक्रमण कर निर्माण किया जाता रहा।
क्या है शत्रु सम्पति?
शत्रु संपत्ति का तात्पर्य भारत के विभाजन और भारत-चीन युद्ध के बाद पाकिस्तान-चीन चले गए लोगों द्वारा भारत में छोड़ी गई संपत्ति से है। इन संपत्तियों को भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक द्वारा जब्त और प्रबंधित किया गया था। 1947 में देश को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान में धर्म के आधार पर विभाजन के पश्चात कई मुसलमान पाकिस्तान चले गए, जबकि कई हिंदू और सिख भारत आ गए। इसी प्रकार 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीनी मूल के कुछ लोग भारत छोड़कर चीन चले गए। वे अपने पीछे भूमि, भवन और बैंक खातों सहित बड़ी मात्रा में संपत्ति छोड़ गए थे।
भारत सरकार ने क़ानून के अनुसार इन संपत्तियों का प्रभार लेने के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक को नियुक्त किया। संरक्षक को इन संपत्तियों का प्रबंधन और रखरखाव करने का अधिकार था लेकिन उन्हें बेचने का नहीं। संपत्तियों को “शत्रु संपत्ति” के रूप में जाना जाने लगा। वर्षों से इन संपत्तियों के स्वामित्व और प्रबंधन को लेकर विवाद होते रहे हैं।
ऐसा ही नैनीताल में हुई कार्रवाई में भी हुआ। बेदखली नोटिस जारी होने और कब्जाधारियों द्वारा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद 23 जुलाई को 134 से अधिक अवैध मकानों को हटा दिया गया। अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी और अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दे दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल एसएन बाबुलकर और सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि अगस्त 2010 के दौरान सरकार ने शत्रु संपत्तियों पर उनके मालिकों की मौजूदगी में कब्जा किया था। इसमें कुल 116 अतिक्रमणकारी शामिल थे। उन्होंने कोर्ट में सवाल उठाया कि मौजूदा याचिकाकर्ता किस आधार पर उन संपत्तियों पर अपना कब्जा होने का दावा कर रहे हैं?
वहीं पुलिस की निगरानी में सुबह 8 बजे अवैध कब्जे को हटाने का अभियान शुरू हुआ और 11 घंटे तक चला। उपजिलाधिकारी शिवचरण द्विवेदी और एसडीएम राहुल शाह ने कार्रवाई का निरीक्षण किया। उत्तराखंड सरकार ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया है। अधिकारियों का मानना है कि मेट्रोपोल होटल क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने से शहर में व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।
नैनीताल में शत्रु संपत्ति पर अवैध अतिक्रमण को हटाने का उद्देश्य उस भूमि को पुनः प्राप्त करना है जो वास्तविक रूप से भारत सरकार की है। हालाँकि ऐसी कार्रवाइयां आवश्यक हैं और एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत की गई हैं।
यह भी पढ़ें: अवैध कब्जे से जमीन वापस लेना रेलवे के लिए बड़ी चुनौती है