जबरन धर्मांतरण और इसके अत्याचारों के चलते जहाँ कई राज्य इसके खिलाफ कानून ला रहे हैं वहीं आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपना धर्म तो परिवर्तन किया लेकिन, ये जबरन नहीं था। बल्कि ये किसी विचारधारा और कार्यों से प्रभावित होकर किया गया।
हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया के पादरी रॉबर्ट सोलोमन की, जो कि मिशनरी के तौर पर भारत आए थे ताकि लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ सकें। हालाँकि, इस दौरान वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन (RSS) के संपर्क में आए और संगठन के कार्यों और भारतीय संस्कृति से इस कदर प्रभावित हुए कि मंतातरण करके डॉ सुमन कुमार बन गए, जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं और आज तक RSS के कार्यों से जुड़े हुए हैं।
कौन है रॉबर्ट सोलोमन
इंडोनेशिया के रॉबर्ट सोलोमन ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऑर्गेनिक रसायन की पढ़ाई की थी और इसी दौरान वो पादरी भी बन गए थे। पादरी बनने के बाद वो अक्सर धर्मांतरण के सिलसिले में भारत आया करते थे। ये 80 के दशक की बात है जब दक्षिण भारत में ईसाई मिशनरी लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए ‘प्रेरित’ करते थे। हालाँकि, धर्मांतरण का ये सिलसिला अंग्रेजी राज के साथ ही शुरू हो गया था। इसी धर्मांतरण के काम के सिलसिल में रॉबर्ट का वर्ष 1982 से तमिलनाडु के चेन्नई में आना-जाना शुरू हो गया था।
RSS से जुड़ाव
रॉबर्ट सोलोमन की यात्रा के दौरान ही ईसाई मिशनरियों ने 1985 में उन्हें भारत भेज दिया। भारत प्रवास के दौरान वो RSS के संपर्क में आए थे। रॉबर्ट के घर के पास ही संघ की शाखा थी। यहीं से वो उत्तर प्रदेश साखा से जुड़े जयगोपाल और भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के संपर्क में आए थे। रॉबर्ट, जो कि यहाँ किसी का धर्म बदलने के उद्देश्य से आए थे वो संघ के कार्यों, भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म से काफी प्रभावित हुए और धर्मांतरण करके हमेशा कि लिए संघ से जुड़ गए।
हालाँकि, शुरुआत में उन्हें भाषा संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता था। इस पर संघ द्वारा उन्हें अंग्रेजी की किताबें उपलब्ध करवाई गई, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों की किताबों ने उन्हें हिंदू धर्म के बारे में ज्ञान दिया। डॉ सुमन को RSS का कार्य देखने भेजा गया था। उन्हें कहा गया था कि ये संगठन वाले बाइबिल जला देते हैं, चर्च को तोड़ देते हैं, पादरियों पर हमला करते हैं। इस पर सुमन कहते हैं कि मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा बल्कि संघ प्रचारकों ने अपने पुत्र की तरह रखा।
धर्म परिवर्तन और RSS से जुड़ने के बाद डॉ सुमन ने 3 माह में ही अपनी राय मिशनरियों को वापस भेज कर कहा था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संगठन धर्मांतरण नहीं, राष्ट्रांतरण करवाते हैं। आप भी ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार करें लेकिन, धर्मांतरण ना करवाएं।
डॉ सुमन RSS से जुड़ने के बाद कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। गोरखपुर में हुई प्रचारक बैठक में उन्हें संघ प्रचारक बनाया गया था। साथ ही, हिंदू जागरण मंच की जिम्मेदारी भी उन्हें मिली थी। कानपुर में प्रवास के दौरान हिंदू जागरण मंच के महानगर, विभाग, संभाग एवं प्रांत के संगठन पद पर आसीन रह चुके हैं। वर्ष 2000 में अवध के संगठन मंत्री बने तो 2004 में संघ संचालक मोहन भागवत ने उन्हें झारखंड की जिम्मेदारी दी थी। वर्ष 2015 से बिहार-झारखंड में संघ का काम वो बतौर संगठन मंत्री भली भाँति संभाल रहे हैं।
डॉ सुमन का कहना है कि जब वो झारखंड आए थे तो यहाँ की स्थिति चिंताजनक थी। सिमडेगा और गुमला में बड़ी संख्या में मतांतरण के मामले आ रहे थे। रांची के ओरमांझी में आदिवासियों की जमीन पर अवैध रूप से चर्च बनाया जा रहा था, जिसे ध्वस्त करवाया गया। उन्होंने जनजातियों को सरना और सनातन धर्म के बीच संबंधों के बारे में जागरूक किया। डॉ. सुमन अबतक 8000 से ज्यादा लोगों की घर वापसी करवा चुके हैं।
डॉ सुमन का कहना है कि संघ विध्वसंक का काम नहीं करता, ये तो भारत का कर्म भूमि और देव भूमि के तौर पर पूजता है। उन्होंने सभी को संदेश दिया कि भारत में रहना है तो भारत को समझिए, भारत को जानिए और भारतीयता में रंग जाइए।