इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी से यह स्पष्ट हुआ है कि कोरोना वैक्सीन से अचानक होने वाली मृत्यु का कोई संबंध नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है।
बीते कुछ वर्षों से समय-समय पर सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल होती हैं। यह वीडियो अचानक होने वाली मृत्यु की होती हैं।
इन वीडियो के आधार पर देश विरोधी समूह यह प्रोपेगेंडा फैलाता है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद इस तरह की अचानक होने वाली मृत्यु की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। निरंतर यह एजेंडा चलाया जा रहा था कि वैक्सीन की वज़ह से ऐसा हो रहा है यानी वैक्सीन में ही कोई कमी है।
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ICMR ने इसकी सच्चाई पता करने के लिए एक स्टडी की है। ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने उन व्यक्तियों पर यह रिसर्च की जो स्वस्थ्य थे और जिनकी मृत्यु 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक हुई। यह रिसर्च देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में की गई।
रिसर्च के दौरान 729 ऐसे सैंपल लिए गए जिनकी मृत्यु अचानक हो गई थी। इसके साथ ही 2916 सैंपल ऐसे लिए गए जिन्हें हार्ट अटैक के बाद बचा लिया गया था।
रिसर्च के निष्कर्षों से पता चलता है कि कोरोना वैक्सीन का अचानक होने वाली मृत्यों से कोई संबंध नहीं है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की एक या फिर दोनों डोज ली हैं, उनमें बिना किसी कारण अचानक होने वाली मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है।
ICMR ने अपनी रिसर्च में यह भी बताया है कि अचानक हो रही इन मौतों के लिए कौन-से फैक्टर जिम्मेदार हो सकते हैं।
रिसर्च के अनुसार कोविड-19 अस्पताल में भर्ती रहना, परिवार में पहले किसी की अचानक मृत्यु होना, मृत्यु से 48 घंटे पहले अत्यधिक शराब पीना, नशीली दवाओं का उपयोग और मौत से 48 घंटे पहले बहुत ज्यादा व्यायाम, ये कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जो बिना किसी कारण अचानक मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं।
ICMR की रिसर्च के बाद अब यह स्पष्ट है कि वैक्सीन पर जो सवाल उठाए जा रहे थे, वो सिर्फ प्रोपेगेंडा था।
याद रखिए वैक्सीन के विरुद्ध अभियान का स्तर इतना बड़ा था कि सुप्रीम कोर्ट में भी इसको लेकर याचिका दायर कर दी गई थी। कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाएं सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए दायर की गई हैं।
ऐसे में अब सवाल खड़े होते हैं कि देश की वैक्सीन के विरुद्ध कौन एजेंडा चला रहा है? कौन है जो बार-बार देश में वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाता है? निश्चित तौर पर सरकार को ऐसे लोगों को चिह्नित करके देखना चाहिए।