कर्नाटक के चिकमंगलूर के एक गांव में चर्च के निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, गाँव में कोई भी ईसाई परिवार नहीं है, फिर भी चर्च का निर्माण किया जा रहा है। चर्च का निर्माण गाँव के बाहर का एक व्यक्ति करवा रहा है। इसका स्थानीय हिन्दुओं ने विरोध किया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चिकमंगलूर जिले के मोडियेरे विखंड के लोकवल्ली ग्राम में एक व्यक्ति ने चर्च का तेजी से निर्माण करना शुरू कर दिया है।
स्थानीय हिन्दुओं का आरोप है कि यह चर्च धर्मांतरण करवाने के लिए बनाया जा रहा है। जिस जगह पर चर्च बनाया जा रहा है उस पर भी विवाद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जहाँ पर चर्च बनाया जा रहा है, उस जगह पर केवल घर बनाने की अनुमति सरकार द्वारा दी गई है।
स्थानीय लोगों ने पुलिस से इस मामले की शिकायत कर दी है। स्थानीयों का कहना है कि जब गाँव में कोई ईसाई धर्म का पालन ही नहीं करता है तो चर्च बनाने की क्या आवश्यकता है?
गौरतलब है कि चिकमंगलूर जिले में लगभग 3.5% ईसाई आबादी है। बीते दिनों में कई बार चिकमंगलूर से धर्म परिवर्तन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहाँ लोगों को इकट्ठा कर ईसाई मत में कन्वर्ट करने का प्रयास हो रहा था।
चिकमंगलूर समेत अन्य इलाकों में लगभग दो दशकों से धर्मांतरण तेजी से हो रहा है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की वर्ष 2008 की एक रिपोर्ट बताती है कि धर्मांतरण करने वाले अधिकांश उन्हीं लोगों को सबसे पहले निशाना बनाते हैं जो किसी प्रकार (आर्थिक) से कमजोर हैं। ऐसी ही एक घटना में एक महिला को ईसाई बनाया गया जिसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और उसकी पुत्री को स्कूल में पढ़ाया जाना था।
इस तरह के सभी मामलों की जांच करने के लिए तब न्यायमूर्ति सोमशेखर आयोग का भी गठन किया गया था जिसमें यह जानकारी सामने आई थी कि ईसाई मिशनरी हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराने के लिए धन का लालच देती हैं और अब इसको पूरी तरह से एक व्यवसाय में बदला जा चुका है। आयोग की जांच में यह भी सामने आया था कि परिवर्तन कराने वाले भोले-भाले गाँव वालों को ऐसा साहित्य बांटते हैं, जिसमें हिन्दू देवी देवताओं के लिए अपमानजनक बातें लिखी होती हैं।
ज्ञात हो कि कर्नाटक मेें हाल ही में कॉन्ग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही धर्मांतरण को रोकने के लिए भाजपा सरकार जो कानून बनाया था उसे वापस ले चुकी है।
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