देश के शेयर मार्केट में हलचल मचाने वाले अडानी हिंडनबर्ग विवाद बढ़ता जा रहा है। 24 जनवरी को अडानी समूह की कम्पनियों में वित्तीय अनियमितताओं के हिंडनबर्ग के आरोपों का जवाब अडानी समूह ने 29 जनवरी को 413 पन्नों की प्रेस रिलीज जारी करके दिया।
इसके पश्चात 30 जनवरी की शाम को अबुधाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कम्पनी निवेशक समूह ने अडानी समूह के जारी FPO यानी निवेश के ऑफर में 400 मिलियन डॉलर निवेश करने की घोषणा की। अडानी समूह के शेयर लगातार 24 जनवरी से गिर रहे हैं। हालाँकि, अडानी के जवाब और निवेश की सूचना के बाद समूह की कुछ कम्पनियों के शेयरों में तेजी देखी गई।
इसके अतिरिक्त, हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के हेड गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी पर मॉरिशस एवं ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स जैसे टैक्स हैवन में शेल कम्पनियां बनाकर अडानी समूह की कंपनियों में वित्तीय गड़बड़ियाँ करने का आरोप लगाया जिसके चलते अडानी के शेयरों में लगातार गिरावट देखी गई।
इस सप्ताह के पहले दिन तक यानी सोमवार 30 जनवरी तक अडानी समूह की कम्पनियां 5.5 लाख करोड़ रुपए की मार्केट कैप खो चुकी हैं। अडानी समूह के इन शेयरों के गिरने का प्रभाव पूरी मार्केट पर दिखा जहाँ बड़े स्तर कई बैंकों समेत अन्य शेयर भी गिरे।
अडानी हिंडनबर्ग विवाद?
अडानी और हिंडनबर्ग का यह पूरा मामला 24 जनवरी को शुरू हुआ जब अमेरिका के शेयर मार्केट में शोर्ट सेलिंग के लिए कुख्यात हिंडनबर्ग नाम की एक कम्पनी ने भारत के दुसरे सबसे बड़े उद्योग समूह अडानी पर वित्तीत अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक बड़ी रिपोर्ट साझा की। हिंडनबर्ग ने इसी के आधार पर अडानी से 88 सवाल पूछे।
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इसकी प्रतिक्रिया में अडानी समूह ने इसे एक पूर्व नियोजित प्रयास बता कर कहा कि हिंडनबर्ग द्वारा कही गई बातें पहले से ही लोगों को मालूम है और उसका यह प्रयास मात्र अडानी की ही नहीं बल्कि बढ़ते भारत की तरक्की को रोकने का एक प्रयास है।
कौन है हिंडनबर्ग?
दरअसल, हिंडनबर्ग शेयर मार्केट में लिस्टेड कम्पनियों का एक सॉर्ट सेलर है। आसान भाषा में कहें तो शॉर्ट सेलर वे होते हैं जो किसी भी स्टॉक को उधार लेकर ऊंचे दाम पर बेंच कर आम शेयर धारकों के बीच पैनिक क्रिएट करते हैं और शेयरों के दाम गिरने पर उन्हें फिर से कवर करके उधार देने वाले को वापस कर देते हैं। अक्सर देखा गया है कि शॉर्ट सेलर इस तरह के ऑपरेशन से मोटा मुनाफ़ा कमाते हैं।
हिंडनबर्ग इससे पहले कम से कम 16 कम्पनियों के साथ ऐसा कर चुका है इसमें प्रमुख नाम ट्विटर और अमेरिका की इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ बनाने वाली कम्पनी निकोला आदि को इसने अपना निशाना बनाया है। इस हिंडनबर्ग का संस्थापक नाथन एंडरसन नाम का एक व्यक्ति है। अडानी पर जारी इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के साथ ही यह भी हिंडनबर्ग ने कहा है कि वह अडानी समूह के शेयरों पर शॉर्ट है।
हिंडनबर्ग नाम अमेरिका के विशालकाय एयरशिप से लिया गया है जोकि वर्ष 1937 में एक बिल्डिंग से टकराकर हादसे का शिकार हो गया था। हिंडनबर्ग के निवेशकों या इसके अन्य कर्मचारियों के विषय में अधिक जानकारियाँ जनता में नहीं हैं।
हिंडनबर्ग के आरोप?
हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपने शेयरों की कीमत अनैतिक तरीके से बढाने, विदेशों में शेल कम्पनियां चलाने, घोटालेबाजों के साथ शामिल होने, पूर्व में वित्तीय अनियमितताओं के कारण नियामकों का सामना करने और पत्रकारों को डराने धमकाने समेत अपने ऑडिट की प्रक्रिया में पारदर्शिता ना बरतने के आरोप लगाए हैं।
इसके अतिरिक्त, अडानी समूह के ऊपर हिंडनबर्ग ने लेनदेन की गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग ने वर्ष 2003 और इससे पहले के कुछ मामलों का हवाला देते हुए अडानी समूह पर कुख्यात शेयर बाजार के ब्रोकर और कई शेयरों की कीमतें फर्जी तरीके से बढाने के आरोपी केतन पारेख के साथ शामिल होने के आरोप भी लगाए हैं।
हिंडनबर्ग ने कई DRI (राजस्व विभाग की ख़ुफ़िया इकाई) और भारत के शेयर मार्केट नियामक सेबी की जांचों का हवाला देते हुए कहा है कि अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी के भाई, राजेश अडानी दो बार गिरफ्तार किए जा चुके हैं। साथ ही हिंडनबर्ग ने इसी तरह गौतम अडानी के कई सम्बन्धियों के कई बार जाँच के घेरे में आने और उसके बाद भी अडानी समूह से जुड़े रहने की बात कही है। इसमें अडानी के बहनोई समीर वोरा का भी नाम शामिल है।
हिंडनबर्ग ने यह भी कहा है कि जहाँ एक ओर अडानी समूह यह दावा करता है कि विनोद अडानी कम्पनी के मैनेजमेंट से किसी तरह से नहीं जुड़े हुए हैं वहीं दूसरी तरफ उनके द्वारा मॉरिशस, युएई और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की रजिस्टर कम्पनियां बड़ी मात्रा में अडानी समूह की शेयरहोल्डिंग रखती हैं।
इन कम्पनियों से आने वाले पैसों के स्त्रोत और इनके बाहर जाने पर भी कई प्रश्न पूछे गए हैं। हिंडनबर्ग ने यह भी दावा किया है कि भारत के नियमों के अनुसार कोई भी प्रमोटर ग्रुप किसी अपनी पब्लिक की हुई कम्पनी में 75% से अधिक शेयर नहीं रख सकता, जबकि अडानी समूह की कुछ कम्पनियों में इस सीमा को पार कर लिया गया है या फिर इस सीमा के नजदीक हैं।
आरोप लगते हुए हिंडनबर्ग ने यह भी कहा है कि पिछले 5 सालों में अडानी समूह में 8 चीफ फैनेंशियल अधिकारी बदले जा चुके हैं। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि अडानी समूह में वित्तीय गड़बड़ियां हैं? साथ ही अडानी समूह पर भारी कर्जे की बात भी कही गई थी। साथ ही अडानी जैसी बड़ी कम्पनियों का ऑडिट छोटी फर्में कैसे कर रही हैं इस बात पर भी प्रश्न उठाए गए हैं।
अडानी का जवाब?
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के इन आरोपों का जवाब देते हुए एक 413 पन्नों का बयान जारी किया है। इस पूरी प्रेस रिलीज में अडानी समूह ने अपनी वितीय संकेतकों के साथ ही अन्य सबूत सामने रखे हैं। रिपोर्ट में अडानी समूह ने सभी आरोपों का एक-एक करके जवाब दिया है।
अडानी समूह ने सबसे पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल लगाते हुए कहा है कि इसके द्वारा जारी की गई रिपोर्ट न सिर्फ एक उद्योग समूह के खिलाफ पहले से आयोजित एक षड्यंत्र है बल्कि यह भारत की तरक्की को रोकने का एक प्रयास भी है।
समूह की ओर से यह कहा गया कि समूह इन सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है परन्तु पारदर्शिता के हित और और अपने शेयर धारकों में विश्वास जगाए रखने के लिए हम इन 88 सवालों का जवाब दे रहे है। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग समूह पर भारत के निवेशकों का नुकसान करके अपना फायदा बनाने का आरोप लगाया।
समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग समूह ने यह रिपोर्ट किसी पारदर्शिता के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे बनाने के लिए प्रकाशित की है। अडानी समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग एक अनैतिक शॉर्ट सेलर है, जिसने पहले अडानी समूह में शेयर खरीदे और बाद में यह झूठे आरोप लगाकर उसकी कीमतें गिराईं। हिंडनबर्ग समूह की रिपोर्ट न ही स्वतंत्र है, न ही यह रिसर्च की हुई एक रिपोर्ट है।
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अडानी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग खुद को दशकों के अनुभव वाला एक समूह बताता है जबकि इसकी स्थापना ही वर्ष 2017 में हुई। इसके निवेशकों के नाम भी स्पष्ट नहीं हैं। ऐसे में यह खुद ही एक संदेहास्पद समूह है। अडानी समूह का यह भी कहना है कि जिन चीजों को लेकर हिंडनबर्ग ने उस पर आरोप लगाए हैं वह पहले से ही पब्लिक डोमेन में हैं और उनमें से अधिकांश मामलों का पटाक्षेप हो चुका है।
अडानी समूह ने कहा है कि हिंडनबर्ग समूह ने जिन आरोपों और जांच का हवाला अपने वालों में दिया है उनमें से अधिकांश मुकदमों में हम न्यायिक व्यवस्था से जीत हासिल कर चुके हैं। अडानी समूह ने साथ ही केतन पारेख से किसी भी प्रकार के समबन्धों के होने के दावों को खारिज किया है।
अडानी समूह में निवेश होने वालों पैसों का स्त्रोत पूछे जाने पर अडानी समूह ने जवाब दिया है कि भारत के नियमों के मुताबिक़ हम उनके फंड का स्त्रोत जानने के लिए बाध्य नहीं हैं और ना ही हम जानने में कोई रूचि रखते हैं। साथ ही अडानी समूह की कम्पनियों और अन्य कम्पनियों के बीच हुए लेनदेन को लेकर भी दानी समूह ने कहा है कि समूह के अंदर हुए लेनदेन को स्पष्ट रूप से सभी निवेशकों की जानकारी में लाया गया है।
CFO बदलने को लेकर अडानी समूह ने कहा है कि इस तरह का आरोप मूर्खतापूर्ण है, अडानी समूह ने अपने पूर्व के कई इन अधिकारीयों को अभी भी साथ रखा हुआ है, यह अब अन्य धंधों में अडानी समूह से जुड़े हुए हैं।
जो व्यक्ति छोड़ कर गए हैं वह अपनी इच्छानुसार छोड़ कर गए हैं।
अडानी पर लगाए गए एक आरोप में हिंडनबर्ग ने यह भी कहा है कि आखिर अडानी जैसी बड़ी कम्पनी धांधरिया ग्रुप जैसी छोटी सी फर्म से ऑडिट कैसे करा सकती है, उनका इशारा था कि अडानी को दुनिया में मशहूर बड़ी कमोनियों जैसे डेलोइट, KPMG, PWC जैसी कम्पनियों को अपना ऑडिट करने के लिए क्यों नहीं दिया।
इस मामले में ध्यान देने वाला है कि इसके, भारत में वर्ष 2009 में सत्यम कम्प्यूटर्स का घोटला सामने आया था, इसके शेयर मात्र कुछ ही दिनों में अर्श से फर्श पर आ गए थे, जबकि इस का ऑडिट दुनिया की प्रख्यात PWC ऑडिटर्स कर रही थी, अब सवाल उठता है कि अगर बड़ी कम्पनियों से ऑडिट कराना ही पारदर्शिता की कसौटी है तो भला सत्यम में कैसे घोटाला हुआ और कैसे इसके शेयरों में मेनुपुलेशन हुआ।
वहीं, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह की बैलेंस शीट पर हस्ताक्षर करने वाले सीए की उम्र पर सवाल उठाने और उनके पैन कार्ड जैसे दस्तावेज सार्वजनिक करने को लेकर कहा है कि यह लोगों के निजी अधिकारों का हनन है और उनकी जानकारी को इस तरह से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। वहीं ऑडिट करने की जानकारियों पर अडानी ने कहा है कि उनकी अधिकाँश कम्पनियों का ऑडिट डेलोइट या EY जैसी फर्में कर रही हैं।
नया अपडेट?
अडानी समूह के इस जवाब के बाद हिंडनबर्ग ने कहा है कि अडानी समूह राष्ट्रवाद का सहारा लेकर बचने की कोशिश कर रहा है। यह देश के छोटे निवेशकों की संपदा को खत्म करने वाले बात है। हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर कई सवालों का जवाब ना देने का भी आरोप लगाया है।
हिंडनबर्ग ने कहा है कि अधिकाँश सवालों को नजरअंदाज किया गया है और हमारे द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं इसीलिए ऐसा किया गया है। हिंडनबर्ग समूह ने कहा है कि उसके द्वारा पूछे गए विनोद अडानी के समूह से जुड़े होने मॉरिशस और बाहर की कम्पनियों के फंड के बारे में पूछे गए सवालों को मिलाकर 62 सवालों का जवाब नहीं दिया गया है।
हिंडनबर्ग जैसे कई मामले आ चुके हैं सामने
इस तरह की कुछ हिट जॉब हमने पिछले कुछ समय में भी देखी हैं, भारत को आर्थिक और राजनीतिक तथा सामजिक रूप से कमजोर करने के इन प्रयासों में यह आर्थिक फ्रंट पर आया प्रयास है, इससे पहले भारत के प्रधानमन्त्री मोदी पर एक डॉक्युमेंट्री बना कर भारत के लोगों के बीच खाई बनाने की कोशिश बीबीसी यानी एक विदेशी मीडिया ने कर दी है।
अडानी वर्तमान में भारत की एंबिशियस गतिशक्ति परियोजना का एक बड़ा हिस्सा हैं, भारत में पोर्ट के विकास के लिए अडानी ने बड़े स्तर पर काम किए हैं, इनमें आजकल जो एक सबसे ज़्यादा चर्चित रहा वो है विझिंजम मेगा पोर्ट, जिसकी राह में मछुआरे बाधा बन रहे हैं।
कुछ माह पहले ही खबर भी आई थीं कि पोर्ट के डेवलपमेंट के विरोध में पोर्ट की मुख्य सड़क पर ईसाई मछुआरे समुदाय ने प्रवेश द्वार को ब्लॉक कर दिया था। भारत के आगे बढ़ने से किनको दर्द होगा यह तो स्पष्ट सबको पता है यह पूरा हिंडनबर्ग एपिसोड उसी का एक प्रायोजित पार्ट लग रहा है।