असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार का कोई भी कर्मचारी सरकार की मंजूरी के बिना दूसरी शादी नहीं कर सकता है। मुख्यमंत्री बिस्वा का कहना है कि असम सरकार के कर्मचारी के सेवा नियम के दृष्टिकोण से, वह दूसरी शादी करने का हकदार नहीं है। यदि कोई धर्म आपको ऐसा करने की अनुमति देता है तो भी नियम के अनुसार, आपको राज्य सरकारकी अनुमति लेनी होगी।
हिमंत बिस्वा का कहना है कि सरकार को अधिकार होगा कि वो अनुमति दे या न दे। उनका कहना है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद दो पत्नियां पेंशन के मुद्दों पर एक-दूसरे से लड़ती हैं और हमें उन्हें निपटाने में बहुत मुश्किल होती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम पहले भी था लेकिन हमने इसे लागू नहीं किया। अब, हमने इसे लागू करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि कार्मिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज वर्मा द्वारा 20 अक्टूबर को जारी आदेश में सभी सरकारी कर्मचारियों को यह बात बताई गई है।
जाहिर है कि मुख्यमंत्री बिस्वा की यह टिप्पणी सितंबर में राज्य विधानसभा में लाए गए बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के कानून के बाद सामने आई है। उस समय असम के मुख्यमंत्री ने जानकारी दी थी कि सरकार ने बहुविवाह बिल पर 149 लोगों से सुझाव लिए थे और 146 लोगों ने इसका समर्थन किया है।
असम सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने और झूठी पहचान के आधार पर अंतर-धार्मिक विवाह, काजियों की भूमिका और बाल विवाह जैसे अन्य संबंधित मुद्दों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कानून का मसौदा तैयार करने के लिए असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था।
वहीं दूसरे चरण के दौरान राज्यव्यापी बाल विवाह के विरुद्ध की गई कार्रवाई के दौरान असम पुलिस ने 3 अक्टूबर को 800 से अधिक आरोपित व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था।
असम मुख्यंमत्री ने इस संबंध में जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा था कि बाल विवाह के खिलाफ एक बड़े पैमाने पर कार्रवाई मे असम पुलिस ने तड़के शुरू हुए एक विशेष अभियान में 800 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ने की संभावना है।