अपने सरकारी कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार अब बिजली एवं उद्योगों पर सेस लगाने जा रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने बिजली के प्रति यूनिट पर 10 पैसे का मिल्क सेस और उद्योगों पर पर्यावरण सेस लागू करने का प्रस्ताव रखा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में यह संशोधन विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य राज्य की दुग्ध उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण योजनाओं को बढ़ावा देना है। इस कदम से राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जो राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगा। औद्योगिक इकाइयों के लिए पर्यावरण सेस की दरें अलग-अलग होंगी।
इसके अलावा छोटे उद्योगों पर 2 पैसे प्रति यूनिट, मध्यम पर 4 पैसे, और बड़े उद्योगों व कमर्शियल सेक्टर पर 10 पैसे प्रति यूनिट सेस लगेगा। अस्थाई कनेक्शन और स्टोन क्रेशर पर 2 रुपये प्रति यूनिट, जबकि ईवी चार्जिंग स्टेशनों पर 6 रुपये प्रति यूनिट सेस लिया जाएगा। सरकार इस सेस का उपयोग रिन्यूएबल ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण के लिए करेगी, जिससे राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।
इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2022-23 में शराब पर लगाए गए मिल्क सेस से 91 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था। यह सेस राज्य की डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया था। अब, सरकार ने बिजली और उद्योगों पर भी मिल्क सेस लगाने का निर्णय लिया है। हालाँकि दोनों फैसले राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से हैं, लेकिन एक ओर शराब पर सेस ने राजस्व को मदद पहुंचाई वहीं नए सेस से बिजली और उद्योगों पर अतिरिक्त वित्तीय भार डाला जाएगा। यह सब आर्थिक बोझ उस जनता के कन्धों पर जाएगा जिसे मुफ्त की रेवड़ियों के स्वप्न दिखने के बाद कॉन्ग्रेस प्रदेश की सत्ता में आई थी।