वित्त वर्ष 2022-23 समाप्त हो चुका है। इस वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। वित्त वर्ष के समाप्ति पर सामने आ रहे आँकड़े उत्साहजनक हैं और देश की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं। 1 अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने मार्च 2023 के जीएसटी संग्रह के आँकड़े जारी करने साथ ही पूरे वित्त वर्ष के लिए भी जीएसटी संग्रह के आँकड़े जारी किए।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी संग्रह 18.1 लाख करोड़ रुपए रहा जिसमें मार्च माह में 1.6 लाख करोड़ रुपए का संग्रह हुआ।
यह आंकड़ा अप्रत्यक्ष करों के संग्रह के मामले अब तक का सर्वाधिक है और इतनी अधिक प्राप्ति की उम्मीद शायद केंद्र सरकार को भी नहीं रही होगी। हालाँकि यह बात जगजाहिर है कि केंद्र सरकार और विशेष कर NDA शासनकाल की सरकारें वित्तीय अनुमान के मामले में काफी सतर्क रह कर दावे करती हैं।
अनुमान, अनुमान से अधिक संग्रह और आगे की राह
केंद्र सरकार का वित्त मंत्रालय और उसके अधीन विभाग प्रति वर्ष बजट में यह अनुमान लगाते हैं कि आगामी वित्त वर्ष में सरकार कितना कर संग्रह कर पाएगी।
इसमें प्रत्यक्ष, अर्थात आयकर और कॉरपोरेट कर और अप्रत्यक्ष अर्थात जीएसटी, सेस एवं अन्य करों का अनुमान शामिल होता है। इन अनुमानों के आधार पर ही सरकार अपने खर्चे का रेखाचित्र बनाती है कि कितना वह अपने आप संग्रहित करके खर्चेगी और कितना वह बाजार से उधार लेगी।
वित्त वर्ष 2022-23 की बात की जाए तो केंद्र सरकार के बजटीय अनुमान के अनुसार उसे लगभग 7.8 लाख करोड़ रुपए की धनराशि जीएसटी संग्रह से मिलनी थी।
बाजारों की तेजी के कारण वित्त वर्ष की शुरुआत से ही लगातार प्रति माह जीएसटी का संग्रह 1.4 लाख करोड़ के ऊपर रहा। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने बजट अनुमान 7.8 लाख करोड़ को नए अनुमानों में 8.54 लाख करोड़ कर दिया। अंत तक आए आँकड़े इससे भी अधिक संग्रह का संदेश दे रहे हैं।
देश में वित्त वर्ष 2022-23 में कुल जीएसटी संग्रह 18.1 लाख करोड़ रुपए रहा है। अब अगर आगे की बात की जाए तो चालू वित्त वर्ष 2023 – 24 में कई विशेषज्ञ लगभग 20 लाख करोड़ के जीएसटी के संग्रह का दावा कर रहे हैं।
क्यों अनुमानों से आगे निकला जीएसटी का संग्रह
जीएसटी संग्रह के आँकड़े अनुमानों से भी आगे क्यों निकले, इसका कोई एक कारण नहीं है और अभी हाल ही में यह आँकड़े आए हैं तो ऐसे में स्पष्ट कारण बताना कठिन है परंतु फिर भी इस बढ़ोतरी के पीछे के कई उत्प्रेरक माने जा सकते हैं।
सबसे पहला यह है कि वर्ष 2022-23, कोरोना महामारी के प्रभाव से विमुक्त होने वाला पहला वर्ष था। इस वर्ष में ही सभी आर्थिक गतिविधियां अपने पूर्व रूप में सुचारु ढंग से आ पाईं। इसका सीधा असर बाजारों पर पड़ा और उनमें गतिविधियां तेज हुईं जिससे उत्पादन, खरीद और बिक्री – तीनों में तेजी आई।
इसने बढ़े जीएसटी संग्रह में बड़ा योगदान दिया। वर्ष 2022-23 में बाजारों का सामान्य ढंग से खुलना, देश में आवाजाही पर लगे सभी प्रकार के प्रतिबंध हटना और त्योहार के सीजन में बिना किसी रोकटोक के व्यवस्थाओं का चलना घरेलू मांग को बढ़ाने वाले एक कारक के तौर पर सामने आया।
दूसरा एक कारण यह भी माना जा सकता है कि वर्ष 2022 में यूक्रेन – रूस युद्ध के प्रभाव से जहां दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएँ मंदी और भीषण महंगाई की चपेट में आई, वहीं रिजर्व बैंक की सही मौद्रिक नीतियों और केंद्र सरकार के रूस से तेल खरीदने समेत अन्य निर्णयों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव न्यूनतम रहा।
इस संघर्ष के कारण वैश्विक मांग में भले कमी आई हो परंतु उसका प्रभाव देश की घरेलू मांग पर नहीं पड़ा। घरेलू मांग के लगातार बढ़ने से देश के उद्योग-धंधे बड़ी मात्रा में चलते रहे और उससे जीएसटी का संग्रह बढ़ा।
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एक अन्य कारण देश में जीएसटी का लगातार सरलीकरण और व्यापारियों का अधिकाधिक मात्रा में इस सिस्टम में जुड़ना है। व्यवस्था के डिजिटलीकरण और आसानी भरे विकल्पों को जोड़ने के कारण देश में जीएसटी का कार्यक्षेत्र बढ़ा है जिसके कारण नए व्यापारी भी इसमें जुड़ रहे हैं।
उनके जुड़ने से भी कर संग्रह में बढ़ोतरी हुई है। माल की आवाजाही से संबंधित ई-वे बिल का बड़ी मात्रा में लगातार जारी होना बाजार की इसी तेजी और व्यापारियों के जीएसटी के प्रति बढ़ते विश्वास का एक उदाहरण है।
क्या बताता है जीएसटी का बढ़ा हुआ संग्रह?
जीएसटी के बढ़े हुए संग्रह का सीधा सबंध देश में उद्योग धंधों की तेजी से लगाया जा सकता है। अधिक जीएसटी भरे जाने का अर्थ यह है कि बाजारों में लगातार मांग बढ़ी हुई है और लोग खरीददारी कर रहे हैं। इसका एक और अर्थ यह है कि देश के बाजारों में पैसा भी पर्याप्त मात्रा में हैं जिसे लोग खर्चना चाह रहे हैं।
प्रत्यक्ष कर संग्रह भी पार करेगा अनुमान?
जहां एक ओर अप्रत्यक्ष कर ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, वहीं दूसरी ओर प्रत्यक्ष कर अर्थात आयकर और कॉरपोरेट कर के संग्रह के आँकड़े भी उत्साहजनक हैं। प्रत्यक्ष कर के संग्रह की बात की जाए तो 10 मार्च 2023 तक सामने आए आँकड़ों के अनुसार, यह 13.73 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया था।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह बजट अनुमानों का 96.67% और रिवाइज्ड अनुमानों का 83.19% है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष कर का संग्रह भी अनुमान से कहीं अधिक हुआ है। इसके अंतिम आँकड़े आने तक और बढ़ने की संभावना है क्योंकि मार्च माह में आँकड़े ऊपर जाने की संभावना होती है।
क्या है इस बढ़े कर संग्रह के फायदे?
अब जबकि केंद्र सरकार का कर संग्रह अनुमान से अधिक रहा है तो ऐसे में यह केंद्र सरकार को कई मायने में नए अवसर प्रदान करता है। इसका एक उपयोग केंद्र सरकार किसी भी नई योजना को लाने में कर सकती है। इसका दूसरा प्रमुख उपयोग सरकार अपने राजकोषीय घाटे को भी कम करने में कर सकती है।
इसके अतिरिक्त, वर्तमान में देश का राजकोषीय घाटा GDP का 6.4% है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 5.9% रहेगा। धनराशि में देखा जाए तो यह वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह 17.55 लाख करोड़ रुपए है, इसे वित्त वर्ष 2023-24 में 15.4 लाख करोड़ पर लाए जाने प्रयास है। इस स्थिति में केंद्र सरकार इस अतिरिक्त धन का उपयोग अपने राजकोषीय प्रबंधन को मजबूत करने में भी कर सकती है।
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