इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार 31 मई को ज्ञानवापी के अंदर पूजा के अधिकार की मांग को लेकर वाराणसी की अदालत में दायर पांच हिंदू महिला उपासकों के मुक़दमे की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी।
अदालत के फैसले के बाद हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि, “यह हिन्दू पक्ष की बड़ी जीत है। हम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर आदेश 7 नियम सीपीसी याचिका को खारिज करने के अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।”
इसको लेकर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले दूसरे वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि, “यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पोषणीय नहीं है और इसे खारिज कर दिया”।
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आपको बता दें, ज्ञानवापी विवाद संबंधी कुल सात मामलों में बुधवार को कोट ने सुनवाई की।
वहीं मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मोहम्मद तौहीद खान का कहना है कि, “यह फैसला हिन्दू पक्ष के लिए एक बड़ी जीत नहीं है, जैसा कि दावा किया गया था और तर्क दिया गया था कि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है”।
उन्होंने आगे कहा, आदेश को पढ़ने के बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की जांच के मामले में मुस्लिम पक्ष ने 22 मई को वाराणसी जिला न्यायालय के समक्ष अपनी लिखित आपत्ति दर्ज कराई थी जिसके बाद जस्टिस जे जे मुनीर ने प्रतिद्वंदी पक्षों के वकीलों को विस्तार से सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।
अब कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है।