उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए सामूहिक बलात्कार मामले में SC-ST कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हाथरस कांड के तीन आरोपितों को सामूहिक बलात्कार में बरी कर दिया है। इन पर से बलात्कार के आरोप भी हटा लिये गए हैं जबकि एक आरोपित संदीप ठाकुर को गैर इरादतन हत्या में SC/ST एक्ट के तहत दोषी माना है।
कोर्ट में रेप के आरोप भी सिद्ध नहीं हो पाए। जिन तीन आरोपितों को पूरी तरह बरी किया गया है उनमें लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह शामिल हैं।
इन दोनों अपराधों में कोर्ट ने दोषी संदीप ठाकुर को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं अभियुक्त पक्ष के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंडीर का कहना है कि चौथा आरोपी संदीप भी निर्दोष है। संदीप को बेगुनाह साबित करने के लिए हाईकोर्ट जाएंगे।
क्या था पूरा मामला
ज्ञात हो कि 14 सितम्बर, 2020 हाथरस के चंदपा गांव में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा था। इस बलात्कार के बाद पीड़िता की जीभ भी काट दी गई थी। युवती के भाई ने गांव के ही संदीप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद युवती के बयान के आधार पर 26 सितम्बर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया। चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। पीड़ित युवती की 29 सितम्बर को इलाज के दौरान मौत हो गई थी।इसके बाद इस पूरे मामले ने राजनीतिक मोड़ ले लिया एवं युवती के अंतिम संस्कार को भी राजनीतिक दलों ने सियासी रंग दे दिया
कोर्ट का फैसला
हाथरस गैंगरेप कांड में कोर्ट में चली ढाई साल की सुनवाई के दौरान किसी भी आरोपी पर रेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ। इसी को ध्यान में रहते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
वहीं न्यायालय के फैसले के बाद पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा कि वे इस मामले में अब हाईकोर्ट का रुख करेंगे। यह मामला बेहद ही चर्चित रहा था, इसलिए पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से आज सुबह से ही कोर्ट को छावनी में तब्दील कर दिया था। जिससे फैसले के बाद वहां किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
न्यायालय के इस फैसले के बाद उन दलों पर सवालिया निशान उठते हैं जिन्होंने इस घटना को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया और योगी आदित्यनाथ सरकार पर बड़े बड़े आरोप लगाए गए। यह उत्तर प्रदेश सरकार की त्वरित कार्रवाई का नतीजा था जिसने इस घटना को जातीय हिंसा में तब्दील होने से रोक दिया था।