दशक नब्बे का है और सिरसा की एक दुकान के मालिक का घर का पेट इस दुकान का मालिक नहीं भर पा रहा है। दुकान पर दो भाई बैठते हैं। ये दुकान है रेडियो रिपेयरिंग की जिसका नाम है नाम है ज्यूपिटर म्यूजिक होम और मालिक का नाम है गोपाल कांडा।
आमदनी बढ़ाने के लिए रेडियो की दुकान बंदकर जूते-चप्पल की दुकान खोली जाती है, जिसमें पार्टनर बनता है गोविंद कांडा। दुकान का नाम रखा जाता है, कांडा शू कैंप और फिर धंधा चलने लगता है।
अब दोनों भाई तय करते हैं कि इस धंधे को और बढ़ाया जाए तो साहब खुल जाती है, जूता बनाने की फैक्ट्री। दोनों भाई अब खुद जूता बना रहे हैं और अपनी ही दुकान में बेच रहे हैं।
गोपाल कांडा को अब कई बिजनेसमैन, बिल्डर, दलाल और नेताओं के तलवों का नाप पता चल जाता है।
कांडा को बंसीलाल के बेटे के तलवे ज़्यादा पसंद आते हैं, जिन्हें वो नापने के अलावा चाटने का काम भी बखूबी निभाने लगते हैं। उनकी इस कला का इनाम कांडा को धीरे-धीरे मिलने लगता है। रसूख बढ़ने लगा है, अब कांडा बंधुओं का।
लेकिन एक दिन अचानक बंसीलाल की सरकार चली जाती है।
कांडा बंधु एक चतुर शिकारी की तरह अपने नए शिकार के पास पहुँचते हैं और वो हैं ओम प्रकाश चौटाला के बेटे। यहाँ भी कांडा बंधुयों का रसूख बढ़ने लगता है लेकिन अभी भी काम दलालगिरी का ही था। गोपाल अभी भी नेताओ और बिजनेसमैन के बीच की कड़ी बना हुआ था।
वक़्त बदलता है और एक नए आईएएस अफसर की नियुक्ति सिरसा में होती है। उन्हीं साहब के कंधे पर चढ़कर कांडा बंधू अपना धंधा बढ़ाते चले जाते हैं। अचानक बिल्ली के भागों दोबारा छींका टूटता है। उन साहब की बदली हो जाती है एक ऐसे शहर में जो कई लोगों का भविष्य बदलने वाला था।
गुड़गाँव था उस शहर का नाम और ये उस वक़्त का गुड़गाँव था जब ज़मीन का दाम मिट्टी था। एक ऐसी बेदाम मिट्टी जो आने वाले समय में सोने में बदलने वाली थी। हुडा उस शहर का सबसे बड़ा दादा था और उस दादा के माई बाप बन कर ही वो साहब बदली होकर आए थे। कांडा को ये खबर लग चुकी थी और उसे अपने सपने अब पूरे होते दिख रहे थे।
आने वाले वक़्त में कांडा अपना पहला सपना पूरा करता है और अपनी एक एयर लाइन खोलता है। मुरली धर लख राम यानी MDLR नमक एयर लाइन कंपनी बनाकर वो माल्या वाली ज़िन्दगी के सपने देख रहा था लेकिन आर्थिक विनिमयताओं के कारण इस एयर लाइन को दो साल में ज़मीन पर बैठ जाना पड़ता है।
यहाँ फेल होने के बाद बाद कांडा होटल, कैसिनो और शुरू करता है और साथ में प्रापर्टी डीलिंग, स्कूल, कालेज के धंधे में भी हाथ डालता है। एक लोकल न्यूज चैनल में भी हाथ आज़माता है।
इन सबसे परे सिरसा की राजनीति उसकी आखिरी मंजिल थी। हिम्मत करके 2009 के विधासभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वो चुनाव लड़ता है और वो चुनाव जीत भी जाता है। इस जीत के साथ ही विधान सभा में सदस्य है, नब्बे और कॉन्ग्रेस को मिली है सिर्फ चालीस सीट।
फिर क्या हुआ होगा?
कॉन्ग्रेस ने वही किया जिसके लिए वो आज दूसरों को दोष देती है। सभी विधायक अपनी-अपनी बोली लगाते हैं और गोपाल कांडा साहब भी अपनी बोली लगाते हैं। गोपाल कांडा को मिलती है मनमाँगी कीमत क्योंकि वो बाकी विधायक भी लेकर आता है।
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इस प्रकार वो बन बैठता है, हरियाणा का गृहराज्य मंत्री। लोकतंत्र की जय जयकार होने लगती है। कांडा के चमचे अब बड़े साहब बन चुके हैं और पुलिस उनके सामने नतमस्तक है।
कुत्तों को घी हजम नहीं होता और फिर सितम्बर 2010 में कांडा साहब की कार में सामूहिक बलात्कार की खबर आती है। चमचे अपने मालिक के लिए अपने को कुर्बान कर देते हैं और मंत्री साहब बच जाते हैं। जुलाई 2011 में क्रिकेटर अतुल वासन की कार के साथ ऐक्सिडेंट में वासन की धुनाई हो जाती है परन्तु मंत्री जी पर तब भी कोई आँच नहीं आती है।
सिरसा के शू कैंप का नाम बदलकर अब कैंप ऑफिस कर दिया गया है। एयर लाइन्स की सेवा बंद है परन्तु कंपनी चल रही है और साथ ही चल रही है, दर्जनों दूसरी कंपनियाँ।
बदनीयती से की गई कमाई कांडा की बुद्धि पहले ही भ्रष्ट कर चुकी थी। पैसा और पावर आया तो साथ में बदनीयती भी ले आया था। कांडा ने अपनी ज्यादातर कंपनियों में लड़कियों को भर्ती करना शुरू कर दिया था। जवान लड़कियों को बड़े-बड़े पद बाँट दिए गए थे।
इन्हीं में से एक लड़की थी दिल्ली की गीतिका।
गीतिका उस समय करीब 17 साल की थी जब एमडीएलआर कंपनी या यूं कहें कि गोपाल कांडा ने स्वयं उन्हें एयर होस्टेस के लिए ‘चूज़’ कर लिया था।
उस वक्त एमडीएलआर एयरलाइंस में सीनियर वाइज प्रेजिडेंट (कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन) के रूप में कार्यरत और बॉलीवुड अभिनेत्री नूपुर मेहता ने इल्ज़ाम लगाया था कि गीतिका शर्मा ने जब एयर होस्टेस की नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था वह नाबालिग थी। नियमों के अनुसार गीतिका को जॉब देने के लिए मना कर दिया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि यह इंटरव्यू कांडा अपने रूम में बैठकर सीसीटीवी कैमरों की मदद से देख रहा था, जिसके बाद उसने तुरंत फोन करके गीतिका को नौकरी पर रखने के लिए कहा था।
कांडा को बताया गया कि वह नाबालिग है तो कांडा के कहे अनुसार गीतिका को छ: महीने की ट्रेनिंग में रखने के आदेश मिले थे। नूपुर मई 2006 में एमडीएलआर एयरलाइंस को ज्वाइन करती है और अगस्त 2008 में उसे छोड़ देती है। उनके साथी-दोस्त और परिवार वालों का कहना था कि अचानक गीतिका परेशान रहनी लगी थी।
कुछ दिन बाद गीतिका मुंबई चली जाती हैं। गोपाल कांडा हार नहीं मानता और गीतिका के नौकरी छोड़ देने के बाद गोपाल कांडा और उनकी पत्नी उसको मनाने के लिए उनके घर जा पहुँचते हैं। मिन्नतों के बाद जनवरी 2011 में गीतिका वापस गोपाल कांडा की कंपनी में काम शुरू कर देती हैं।
5 अगस्त, 2012 वो तारीख थी जब गीतिका अपनी जिंदगी समाप्त करने का दु:खद निर्णय ले लेती हैं। गीतिका आख़िरकार आत्महत्या कर लेती हैं। पुलिस को आत्महत्या नोट में गोपाल कांडा का नाम मिलता है और हंगामा खड़ा हो जाता है।
गीतिका ने कांडा पर आरोप लगाया था कि गोपाल ने गीतिका को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था। अपने आत्महत्या नोट में गीतिका कांडा पर इसमें शारीरिक और मानसिक शोषण के आरोप लगाए थे।
गोपाल को गिरफ्त्तार कर लिया जाता है। गीतिका की मौत को अभी सिर्फ 6 महीने ही बीते थे कि गीतिका की माँ भी आत्महत्या कर लेती हैं। उनके आत्महत्या नोट में भी कांडा और उनके साथियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। फिर करीब डेढ़ साल बाद मार्च 2014 में उन्हें जमानत मिल जाती है और दिल्ली हाई कोर्ट उन पर से रेप का चार्ज हटा देती है।
गीतिका आत्महत्या केस में उन पर ट्रायल दस साल बाद अभी भी जारी है। फिलहाल ट्रायल कोर्ट में सबूत रखे जा रहे हैं और माँ की आत्महत्या केस वाला मामला भी कोर्ट में चल रहा है।
गीतिका के पिता दिनेश शर्मा अपनी बेटी की आत्महत्या के बाद पिछले दस सालों से हर महीने अपनी दुकान छोड़कर इसी तरह कोर्ट में न्याय की उम्मीद में आ रहे हैं।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि पिछले दस साल में हर तारीख़ पर कोर्ट में बेटे अंकित से साथ हाज़िर होना ही अब उनके जीवन का नियम बन गया है और आजकल जब भाजपा की महिला नेता सोनाली फोगाट की मौत पर सस्पेंस बढ़ता जा रहा है, उनके परिवारजनों हत्या का आरोप सोनाली के पीएम पर ही लगाया है।
सोनाली फोगाट के भाई वतन ढाका ने पूर्व राज्य गृहमंत्री एवं मौजूदा विधायक गोपाल कांडा पर आरोपितों की मदद के आरोप लगाए हैं।
आगे की कहानी तो आप सभी को पता ही होगी जो अक्सर इन केसों में होती है।
आगे समाचार यह है कि इस मामले पर अपना रुख साफ़ करते हुए अभियुक्त गोपाल कांडा ने कोर्ट में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि “ये मेरे ख़िलाफ़ एक राजनीतिक षड्यंत्र है।”
उसके अनुसार उसका “राजनीतिक जीवन भी इस मामले से बहुत प्रभावित हुआ है लेकिन मुझे इस अदालत से न्याय की उम्मीद है।”
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