सूचना और खबरों के संचार के लिए सोशल मीडिया ने विगत कुछ समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उस से कहीं अधिक यह भ्रामक जानकारी का भी मंच बनता जा रहा है। यही वजह भी है कि अक्सर सोशल मीडिया यूज़र्स फेक न्यूज़ का शिकार हो जाते हैं।
सोशल मीडिया पर भारत सरकार को लेकर आज एक खबर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार की पर्यटन से संबंधित पहल ‘अतुल्य भारत’ प्रोपगेंडा फैलाने वाले लोगों के सम्मेलन को प्रायोजित कर रहा है। सोशल मीडिया पर केन्द्रीय मंत्री गंगापुरम किशन रेड्डी से सवाल भी पूछे जा रहे हैं कि ‘अब इससे आगे क्या’?
आपको बता दें, सोशल मीडिया पर जो पोस्टर वायरल हो रहा है, उसमें हार्वर्ड विश्विद्यालय में ‘Being Muslims in Contemporary India’ यानी ‘समकालीन भारत में मुस्लिम’ नामक विषय पर एक कॉन्फ्रेंस की बात कही जा रही है, जिसमें चर्चा के लिए प्रोपगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी, हुसैन हैदरी, अमन वदूद, रकीब हमीद नाइक शामिल हैं।
चूँकि इस पोस्टर के मुताबिक़, कार्यक्रम में शामिल होने वाले अधिकांश लोग वो हैं जिनका कहीं ना कहीं से भारत-विरोधी प्रोपगैंडा में योगदान रहा है, इसलिए पोस्टर के वायरल होते ही कई ट्विटर यूजर्स द्वारा विरोध शुरू कर दिया गया। इसी क्रम में यह यूजर्स मोदी सरकार पर भी हमलावर होते देखे गए। लेकिन इन यूजर्स को शर्मिदंगी तब झेलनी पड़ी जब यह सारा मामला ही झूठा निकल आया।
क्या है इस पोस्टर की सच्चाई
जब हमने मामले की पड़ताल की तो पाया कि जिस पोस्टर को भारत सरकार के पर्यटन विभाग का कार्यक्रम बता कर वायरल किया जा रहा था दरअसल यह कार्यक्रम वर्ष 2020 के फरवरी माह में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित किया गया था। हालाँकि जैसे ही यह मामला भारत सरकार के संज्ञान में आया। केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए इस मामले पर कार्रवाई की और कार्यक्रम के आयोजकों के भुगतान पर रोक लगा दी गई।
सबसे पहले इस मामले को भारत की ‘एलआरओ’लीगल राइट्स ऑब्ज़र्वेटरी’ नामक एक क़ानूनी संस्था ने मार्च, 2020 में उठाया था।
यह संस्था अपने ट्वीट में कहती है कि ‘हमने इंडियाफोबिक / हिंदूफोबिक इवेंट को प्रायोजित करने के लिए केनेडी स्कूल एवं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को पत्र भेजे हैं।’
इसी पत्र का संज्ञान लेते हुए मई, 2020 में केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया था। सरकार ने अपने पत्र में कहा कि हमने न्यूयॉर्क ऑफिस को कार्यक्रम के आयोजकों का भुगतान न करने हेतु निर्देशित कर दिया है।
भारत सरकार ने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले वक्ताओं के बारे में पता चलने के बाद इस कार्यक्रम की स्पॉन्सरशिप भी रद्द कर दी थी।
जिसके बाद LRO संस्था ने इसे अपनी जीत बताया था और केंद्र सरकार को धन्यवाद किया था।
निष्कर्ष: खबर पूरी तरह भ्रामक है, भारत सरकार ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित कर रही है।