अयोध्या से साबरमती जा रही हिन्दू कारसेवकों की ट्रेन को साजिशन जलाने के बाद भड़के गुजरात दंगों (2002 Gujarat Riots) के नरोदा गाम मामले (Naroda Gam Case) में कोर्ट ने निर्णय सुना दिया है। कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है।
इस मामले में अहमदाबाद की एक अदालत ने फैसला सुनाया है, नरोदा गाम में कारसेवकों की ट्रेन जलाने के एक दिन बाद हिंसा भड़की थी। कहा जाता है कि इसमें 11 मुस्लिमों की मृत्यु हुई थी। इस मामले में माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने लोगों को भड़काया था, उन पर षड्यंत्र रचने का भी आरोप था।
G-20: ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुजरात के कच्छ के रण में बैठक
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित की गई एक विशेष अदालत ने सुनाया है। इस मामले में कुल 69 आरोपितों को बरी किया गया है। इस मामले में 86 व्यक्ति आरोपित बनाए गए थे, इनमें से 17 की मुकदमे के दौरान ही मृत्यु ही गई थी। बरी किए जाने वाले सभी आरोपित वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं।
इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस निर्णय को पलट दिया था जिसमें माया कोडनानी को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। यह फैसला जज शुभदा कृष्णकांत बख्शी की अदालत ने सुनाया है।
यह घटना 28 फरवरी 2002 को हुई थी, जिसके एक दिन पहले गोधरा कस्बे में कारसेवकों से भरी हुई ट्रेन के एक हिस्से को समुदाय विशेष की भीड़ ने घेरकर, पेट्रोल डाल कर फूंक दिया था।
इस आगजनी में तब 59 निर्दोष हिन्दुओं की जल कर मृत्यु हो गई थी। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इसके पश्चात भी कई जगह हुई हिंसा में सैकड़ों अन्य हिन्दू मारे गए थे। 2002 के दंगों के ही मामले में जनवरी माह में हलोल की एक कोर्ट ने हत्या और दंगे के आरोपी 14 व्यक्तियों को बरी कर दिया था।
यह भी पढ़ें: गुजरात दंगों का ये सच BBC की ‘डॉक्युमेंट्री’ ने नहीं दिखाया