इजराइल फिलिस्तीन युद्ध की खबरों के बीच भारत में एक बार फिर गुजरात दंगों की चर्चा है। दरअसल, बीते कल इजराइल से एक खबर आई कि हमास के आतंकियों ने एक गर्भवती महिला की हत्या के बाद उसका पेट काट भ्रूण को बाहर निकाल दिया। इन आतंकियों ने गर्भनाल नहीं काटी और भ्रूण को धीरे-धीरे मरने दिया गया।
अब इस खबर को लेकर वामपंथी स्वघोषित लेखक मिनी नायर ने अपने X (पूर्व में ट्टिटर) अकाउंट पर पत्रकार आदित्य राज कौल के ट्टीट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा है, “जब 2002, गुजरात में ऐसा हुआ था, तो क्या आप आश्चर्यचकित थे कि एक भ्रूण को तलवार की नोंक पर उठाया गया था? क्या आपने अपना रुख बदल लिया है?”
मिनी नायर ने हमास के आतंकियों का समर्थन करते-करते झूठ फैला दिया है। दरअसल, वामपंथी इस तरह का झूठ पहले भी बहुत बार फैला चुके हैं कि गुजरात दंगों के दौरान हुए वीभत्स नरोदा पाटिया हत्याकांड में एक गर्भवती महिला का पेट चीरा गया था।
सच्चाई क्या है?
इस घटना को लेकर अहमदाबाद के डॉक्टर जे. एस. कनोरिया जिन्होंने 2 मार्च, 2002 को गर्भवती महिला कौसरबानो शेख का पोस्टमॉर्टम किया था वे उस महिला का पेट चीरकर, उसका गर्भ निकाले जाने की घटना से इनकार कर चुके हैं।
डॉक्टर कनोरिया ने विशेष अदालत की जज ज्योत्सनाबेन याज्ञिक के सामने कहा है कि उन्होंने गर्भवती महिला कौसरबानो शेख के शव का पोस्टमॉर्टम किया था और उसके गर्भ में भ्रूण सुरक्षित पाया गया था। कनोरिया ने कहा, पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया के दौरान भ्रूण बाहर आ गया था जबकि डॉक्टर ने स्पष्ट शब्दों में इस बात से इनकार किया है कि गर्भ को खुलेआम चीर दिया गया था।
इस मामले को लेकर गुजरात सरकार ने अदालत में कहा भी था कि महिला का पेट चीरकर उसका भ्रूण निकालने का एनजीओ का आरोप झूठा है और एसआईटी की जांच में भी यह बात साबित हो चुकी है।
अदालत के सामने डॉक्टर कनोरिया का बयान और SIT की रिपोर्ट यही बताती है कि कौसरबानो शेख नामक गर्भवती महिला का पेट चीरकर, गर्भ बाहर निकालने की खबर सरासर झूठी है।
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