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Home » Guaifenesin Syrup: WHO ने फिर साधा भारतीय दवा निर्माता कंपनी पर निशाना
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Guaifenesin Syrup: WHO ने फिर साधा भारतीय दवा निर्माता कंपनी पर निशाना

अर्पित त्रिपाठीBy अर्पित त्रिपाठीApril 26, 2023No Comments6 Mins Read
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विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने एक बार फिर एक अन्य भारतीय दवा कंपनी Guaifenesin TG syrup पर सवालिया निशान लगाए हैं। (Guaifenesin TG syrup, manufactured by QP Pharmachem Ltd) हालाँकि ‘द पैम्फ़लेट’ ने जब पंजाब आधारित इस दवा कंपनी कंपनी के मालिक से संपर्क किया तो इस बारे में कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए, जिनका कि WHO की चेतावनी में कहीं भी ज़िक्र नहीं किया गया है।

World Health Organization (WHO) विगत कुछ समय से भारतीय दवा उद्योग को ले कर कुछ ज़्यादा ही सक्रिय नज़र आ रहा है। पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब भारतीय फ़ार्मा उद्योग की छवि को ख़राब करने के लिए मीडिया ट्रायल्स किए गए।

WHO ने एक बार फिर से एक भारतीय दवा कंपनी पर सवालिया निशान लगाया है। ‘द पैम्फलेट’ इस मामले की पूरी सच्चाई आपके सामने ले कर आया है।

एक ताजा रिपोर्ट में WHO ने पंजाब के मोहाली में स्थित QP फार्मा द्वारा निर्मित गाय्फेनेसिन सिरप (Guaifenesin TG syrup) को विषाक्त बताया है।

WHO ने कहा है कि QP फार्मा द्वारा निर्मित यह दवाई मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया देशों में मिली है और इसमें दो रसायनों- डाई एथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा मानक से अधिक है, जिस कारण से यह सिरप विषाक्त है।WHO ने यह भी कहा कि इस सिरप के सेवन से गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।

WHO की चेतावनी
WHO की चेतावनी

इस सिरप की जांच ऑस्ट्रेलिया के थ्युरेप्युटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन (Therapeutic Goods Administration) ने की है। WHO ने जारी की गई चेतावनी में यह भी कहा है कि इस दवा के विषय में अभी तक कोई स्पष्टीकरण ना ही निर्माता QP फार्मा और ना ही कोई स्पष्टीकरण इस दवा के मार्केटर ट्रिलियम फार्मास्यूटिकल से उसे मिला है।

गांबिया ले कफ सिरप प्रकरण पर भी WHO ने किया था ऐसा ही दावा

WHO इससे पहले अक्टूबर, 2022 में एक ऐसा ही दावा एक अन्य भारतीय दवा निर्माता मेडन फार्मा के खिलाफ कर चुका है जिसमें बताया गया था कि मेडन द्वारा निर्मित दवा से अफ़्रीकी देश गाम्बिया में लगभग 70 बच्चों की कथित मृत्यु हुई जबकि बाद में गाम्बिया के राष्ट्राध्यक्ष ने ही इन मौतों के पीछे दवाई नहीं बल्कि एक बीमारी AKI का हाथ बताया था।

QP फार्मा ने WHO के आरोपों पर क्या कहा

WHO के दावे के उलट दवा बनाने वाली कम्पनी QP फार्मा के एमडी सुधीर पाठक ने ‘द पैम्फलेट’ से बातचीत में कहा है कि जिन देशों में यह दवाई मिली है, वहां उनके द्वारा इन्हें भेजा ही नहीं गया था।

कम्पनी के एमडी सुधीर पाठक के अनुसार, इस दवाई की 18,336 बोतल, जिनका बैच नम्बर SL 429 था वर्ष 2020 में साउथ ईस्ट एशिया के देश कम्बोडिया भेजी गईं थी वहां से आगे यह दवाइयां माइक्रोनेशिया और मार्शल आइलैंड कैसे पहुंची, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

हालाँकि, WHO के दावे के उलट, भारतीय दवा बनाने वाली कम्पनी QP फार्मा के एमडी सुधीर पाठक ने 'द पैम्फलेट' @Pamphlet_in से बातचीत में कहा है कि जिन देशों में यह Guaifenesin TG syrup (Made by Punjab-based QP Pharmachem Ltd) दवाई मिली है, वहां उनके द्वारा इन्हें भेजा ही नहीं गया था।… pic.twitter.com/ni6njrqjq2

— The Pamphlet (@Pamphlet_in) April 27, 2023

उनके अनुसार, इन देशों में ऑस्ट्रेलिया फेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के स्टैंडर्ड्स चलते हैं और उनकी कम्पनियों के पास उन स्टैंडर्ड्स की दवाएं बनाने की मंजूरी ही नहीं है, ना ही उनका प्लांट उनसे अप्रूव्ड है, ऐसे में वह अपनी दवाइयां इन देशों में बेच ही नहीं सकते।

QP फार्मा का कहना है कि असल जांच इस बात की होनी चाहिए कि दवाओं का यह बैच भला कम्बोडिया से इन देशों में पहुंचा कैसे? और अगर पहुंचा भी तो इन देशों के कस्टम ने बिना जांच के इस बैच को अंदर कैसे आने दिया।

इस मामले में दवा निर्माता को सूचित क्यों नहीं किया गया, और अगर इन सब चीजों की जांच नहीं हुई तो भला उनकी कंपनी के खिलाफ पूरा चिट्ठा निकाल कर क्यों रख दिया गया?

सुधीर पाठक का यह भी कहना है कि यह संभव है कि कम्बोडिया से इन देशों को दवा ट्रासंपोर्ट करते समय मानकों का ध्यान ना रखा गया हो।

उनका कहना है कि संभवतः जिन कंटेनर के रास्ते इनकी शिपिंग की गई हो उनका तापमान ज्यादा हो जाता है जबकि इस दवाई को 25 डिग्री सेल्सियस से कम के तापमान में रखा जाना चाहिए।

पैम्फ़लेट से बातचीत के दौरान QP फार्मा ने यह भी कहा कि वह लगातार वर्ष 1997 से देश के अंदर दवा निर्माण का काम कर रहे हैं और 25 वर्षों में उनकी गुणवत्ता पर कोई प्रश्न नहीं उठा है।

उनका दावा है कि अगर उनकी दवाओं की गुणवत्ता में कोई कमी निकाल दे तो वह फैक्ट्री पर ताला डाल देंगे।

पिछले लगभग 8 माह के भीतर यह तीसरा ऐसा मौका है जब WHO ने भारतीय दवा निर्माताओं के खिलाफ ऐसी चेतावनी जारी की है।

इससे पहले गाम्बिया वाले मामले की पूरी पड़ताल द पैम्फलेट ने ही आपके सामने रखी थी, चेतावनी जारी करने और भारतीय दवा कंपनी की गुणवत्ता पर सवाल उठाने के बाद WHO ने कोई भी जानकारी भारत सरकार के साथ साझा नहीं की थी।

भारत, विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है, जेनेरिक दवाएं पश्चिमी दवा कंपनियों की दवाओं से सस्ती होती हैं इसलिए लगातार कई बार पश्चिमी दवा कम्पनियां भारतीय दवा क्षेत्र के खिलाफ दुष्प्रचार करती आई हैं।

मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स के अनुसार, वर्ष 2022-23 में भारत ने 25,000 करोड़ रुपए से अधिक की दवाएं निर्यात की हैं।

भारत के दवा बाजार का आकार वर्ष 2021 में 41 बिलियन डॉलर था जो कि वर्ष 2030 तक 130 बिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है।

अमेरिका और यूरोप के बाजारों में भारत की दवाइयों कि खासी मांग है जिसके कारण इन महंगाई दवा बेचनी वाली कम्पनियों को फर्क पड़ता है, ऐसे में भारतीय दवा कम्पनियों से इन्हें दिक्कत होना स्वाभाविक है।

QP फार्मा के एमडी सुधीर पाठक ने अपने विरुद्ध मीडिया ट्रायल होने की बात कही है और कहा है कि भारत की दवा कंपनियों के खिलाफ लगातर ऐसे ही अभियान चलाकर उनकी विश्वसनीयता में कमी लाने के प्रयास किए जाते हैं।

उनका कहना है कि पश्चिमी देशो द्वारा चलाए गए अभियानों में भारत के भी बड़े मीडिया हाउस बहती गंगा में हाथ धो कर TRP बटोरते हैं जबकि इससे सबसे ज्यादा नुकसान देश के फार्मा सेक्टर का होता है।

पैम्फलेट ने इस पूरी कहानी के दोनों पक्ष आपके सामने रख दिए हैं, यहाँ पर स्वास्थ्य विभाग को उन तमाम कारणों की निगरानी अवश्य करनी चाहिये कि आख़िर क्यों भारतीय फ़ार्मा उद्योग निरंतर विदेशी एजेंडा का शिकार हो रहा है।

यदि कंपनी का दावा सही है तो भला WHO ने बिना तथ्य जांचे भारतीय दवा कम्पनी को दोषी कैसे ठहराया, और WHO से सवाल भी पूछने चाहिए।

यह भी पढ़ें: दवा की ओवरडोज है उज़्बेक बच्चों के मौत की वजह, गांबिया मामले के बाद भारतीय दवा उद्योग फिर निशाने पर

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