देश में कर सुधारों की दिशा में आजादी के बाद से उठाए गए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू हुए पांच वर्ष से अधिक हो चुके हैं। GST के लागू होने के बाद इससे व्यवस्था में आए बदलाव और कर के संग्रह पर लगातार बहस होती आई है। यह बहस अक्सर राजनीतिक रही है पर आर्थिक विषयों के जानकार यह मानते हैं कि GST अभी तक का सबसे बड़ा कर और आर्थिक सुधार रहा है।
GST से संबंधित इन्हीं बहसों के बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार कमेटी (EAC-PM) ने इस विषय पर एक शोधपत्र जारी करके GST की उपलब्धियों के बारे में बताया है। इस शोधपत्र में कमिटी ने पूर्व में लगाए जाने वाले 17 अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों और GST की तुलना भी की है।
हाल ही में वित्त वर्ष 2022-23 का समापन हुआ है और आर्थिक क्षेत्र से संबंधित आँकड़े लगातार सामने आ रहे हैं। इसी के साथ GST संग्रह के भी आँकड़े केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल को जारी किए हैं जिससे पता चलता है कि देश का GST संग्रह तेजी से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2022-23 में 18 लाख करोड़ रुपए के आँकड़ों को पार कर गया है।
कर संग्रह में बढ़ोतरी के साथ-साथ पिछले पांच वर्षों के भीतर GST की कार्यप्रणाली में भी सुधार हुए हैं और इसी लिए व्यापारियों में इसके लिए विश्वास भी पैदा हुआ है। अप्रत्यक्ष करों के मकड़जाल की तुलना में GST एक आसान व्यवस्था है और यह व्यवस्था किफायती होने के साथ ही आधुनिक भी है।
भारत में GST और अप्रत्यक्ष कर
भारत में GST को लाने के प्रयास UPA सरकार के दौर से ही चालू था, लेकिन 2010 तक इसे लागू करने के लक्ष्य के बावजूद राज्यों और केन्द्र के बीच करों के बंटवारे और एक ही टैक्स रेट से सामान्य और लग्जरी सामान बेचने जैसी समस्याओं के चलते इसको जमीन पर नहीं उतारा जा सका था।
वर्ष 2014 में सरकार बदलने के साथ ही देश में GST लागू करने के गंभीर प्रयास चालू हुए। इसके लिए इसके ढाँचे में बदलाव, राज्यों को विश्वास में लेना, आपस में करों के बंटवारे समेत अगले कुछ सालों तक राज्यों को मुआवजा भी देने की बात तय हुई और देश में 17 भिन्न-भिन्न 17 अप्रत्यक्ष करों जैसे कि मनोरंजन कर, बिक्री कर, VAT आदि की जगह GST को 1 जुलाई 2017 से लागू कर दिया गया।
GST के लागू होने से देश में एक केंद्रीकृत, समान और सामान्यीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का जन्म हुआ, जिससे कराधान में भी सहूलियत हुई और व्यापारियों को भी अलग-अलग करों की जगह एक ही व्यवस्था में आने में सहायता मिली। इससे दो राज्यों के बीच होने वाले व्यापार में भी आसानी हुई।
GST से पहले और बाद की स्थिति
GST के लागू होने के बाद से स्थिति लगातार बदली हैं और सरकार को अपना कर संग्रह बढ़ाने में भी सहायता मिली है। इसी को आँकड़ों और अन्य बदलावों के जरिए आर्थिक सलाहकार कमिटी ने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
एक आँकड़े के अनुसार, वर्ष 2012-13 के दौरान सभी 17 अप्रत्यक्ष करों से होने वाला कर संग्रह लगभग 2.86 लाख करोड़ था। यह वित्त वर्ष 2016-17 तक बढ़ कर 3.9 लाख करोड़ हो गया। इसका अर्थ यह है कि इसमें 4 वर्षों के भीतर इसमें 37% की बढ़ोतरी हुई।
वहीं, अगर GST के लागू होने के बाद के 4 वर्षों का ही आँकड़ा लिया जाए तो वर्ष 2017-18 में GST लागू होने के वर्ष में लगभग 7.4 लाख करोड़ रुपए का संग्रह हुआ था। वित्त वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 11.3 लाख करोड़ हो गया, जबकि यह वर्ष पूरी तरह कोरोना महामारी के कारण प्रभावित रहा था। इसके पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में संग्रह 12.2 लाख करोड़ रहा था। इसको अगर देखा जाए तो चार वर्षों के भीतर ही इसमें 53% की वृद्धि हुई।
इसके अतिरिक्त, GST लागू होने के बाद के संग्रह को उससे पहले के संग्रह से तुलना करें तो यह आँकड़ा और बड़ा हो जाता है, वित्त वर्ष 2022-23 में GST संग्रह का आँकड़ा अप्रत्यक्ष करों के अलग-अलग संग्रह की तुलना में लगभग 460% पहुँच गया है।
समय के साथ नगण्य हो गईं समस्याएं
किसी भी नई व्यवस्था के साथ सबसे बड़ी समस्या उसे समझने और उनने संबंधित समस्याओं के निराकरण की होती है। GST के विषय में लागू होने से पहले काफी भ्रांतियां फैलाई गई थीं जिनका समय के साथ पटाक्षेप होता गया है। इस विषय को लेकर भी कमेटी ने कुछ आँकड़ों के माध्यम से तस्वीर साफ़ करने की कोशिश की है।
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2017 में जीएसटी से जुड़ी समस्याओं के लिए 550 कॉल एजेंट की व्यवस्था करनी पड़ी थी, यह संख्या वर्ष 2023 में घट कर 200 आ गई क्योंकि इस समय तक अधिकाँश व्यापारी और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी व्यवस्था समझ चुके थे। इसके अतिरिक्त, समस्याएं दर्ज कराने की संख्या भी 2017-18 में 2.3 लाख से घटकर 16,990 पर आ गई।
ऐसे में यह स्पष्ट है कि GST ने देश को पुराने करों के मकड़जाल से निकाल कर व्यापारियों, जनता और सरकार तीनों को राहत पहुंचाई है।