वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह ने एक नया कीर्तिमान रचा है। लगातार 8वें महीने में GST संग्रह 1.4 लाख करोड़ के पार रहा है। चालू वित्त वर्ष के सभी माह अप्रैल – नवम्बर में यह कीर्तिमान रचा गया है। वित्त मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज करके यह जानकारी दी।
नवम्बर माह में कुल GST संग्रह 1,45,867 करोड़ रुपए रहा है। नवम्बर माह के संग्रह को मिलाकर चालू वित्त वर्ष का कुल संग्रह 11.9 लाख करोड़ के पार पहुँच गया है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के नवम्बर माह में 1,31,526 करोड़ रुपए का संग्रह हुआ था।
पिछले वित्त वर्ष के नवम्बर माह से तुलना करें तो इस माह GST 11% अधिक संग्रह हुआ है। वहीं कुल संग्रह की तुलना की जाए तो पिछले वित्त वर्ष में नवम्बर माह तक कुल GST संग्रह 10 लाख करोड़ रुपए से कम था। पिछले वित्त वर्ष में नवम्बर माह तक यह संग्रह 9.3 लाख करोड़ रुपए था।
बढ़ते GST संग्रह से यह बात स्पष्ट है कि देश की अर्थव्यवस्था सही मार्ग पर है। उद्योग-धंधों से आमदनी बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप कर का संग्रह बढ़ा है। इसके अतिरिक्त बढ़े कर संग्रह से यह भी स्पष्ट हुआ है कि उपभोक्ता का विश्वास भी खर्च करने को लेकर बढ़ा है।
यह खबर ऐसे समय में आई है, जब विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। बढती ऊर्जा कीमतों, मंदी और कोरोना के प्रभाव से उबरने में नाकाम हो रही वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
वहीं अगर नवम्बर माह के आँकड़ों की बात करें तो केंद्र को प्राप्त होने वाला CGST 25,681 करोड़ रुपए रहा, जबकि वहीं राज्यों की GST से कमाई यानी SGST 32,651 करोड़ रही। GST यानी अन्तरराज्यीय कर संग्रह 77,103 करोड़ रहा है।
नवम्बर माह में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य सबसे अधिक कर संग्रह करने वाले राज्य रहे। वहीं छोटे राज्य दिल्ली, झारखण्ड और उत्तराखण्ड का भी प्रदर्शन अच्छा रहा है।
पिछले माह अक्टूबर का GST संग्रह 1.52 लाख करोड़ रहा था। यह चालू वित्त वर्ष में एक माह में दूसरा सर्वाधिक कर संग्रह था। वहीं, लगातार बढ़ता GST संग्रह चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमानों को भी पीछे छोड़ सकता है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में 27.5 लाख करोड़ प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर के कुल संग्रह का अनुमान लगाया था। जिसमें से अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 14 लाख करोड़ रुपए का था। यदि अब तक के आँकड़े देखे जाएँ तो इस वित्त वर्ष के अंत तक यह 14 लाख करोड़ रुपए के आँकड़े को भी पार कर सकता है।
शुरुआती 8 महीनों में यह कर संग्रह अनुमान से लगभग 80% पहुँच गया है। ऐसे में बचे 4 महीनों में यह आँकड़ा अनुमान को पार कर जाएगा, इसकी पूरी संभावना है। ऐसे में सरकार को भी अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलने वाली है।