केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट राहत भरी खबर लेकर आई है। सितम्बर 13, 2022 को जारी की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) की रिपोर्ट में सामने आया है कि आम आदमी के जेब पर भारी पड़ने वाली स्वास्थ्य सुविधाएँ अब उसको कम पैसे खर्च करने पर भी मिल रही हैं।
इसके अतिरिक्त रिपोर्ट यह भी बताती है कि सरकार ने विगत कुछ वर्षों में स्वास्थ्य खर्च बढ़ाया है। साथ ही साथ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च में भी बढ़ोत्तरी आई है। इसके अलावा देश में होने वाले पूरे स्वास्थ्य खर्चे में आम जनता के हिस्से में भी कमी आई है।
आम आदमी की जेब को राहत
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA 2018-19) को सोमवार को जारी किया, इसके अंतर्गत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं पर किए जा रहे खर्च, स्वास्थ्य सुविधाओं के खर्च में बढ़ोत्तरी, उनमें केंद्र एवं राज्य सरकार के हिस्से तथा आम आदमी के द्वारा किए जाने वाले खर्चे के बारे में बताया गया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा जारी की गई यह रिपोर्ट बताती है कि जहाँ आम आदमी को स्वास्थ्य सुविधाओं के उपभोग के लिए वर्ष 2013-14 में 2,336 रूपए प्रति जेब से खर्च करने पड़ रहे थे, वहीं वर्ष 2018-19 के दौरान यह खर्च घटकर 2,155 रूपए प्रति व्यक्ति हो गया। यह प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य के लिए किए गए जेब खर्च में 16% की कमी है।
इस राशि में कमी आने के कारण अब गरीब तबके के लोग ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ कम दाम खर्च करके उठा रहे हैं। भारत उन देशों में से एक है जहाँ प्रति व्यक्ति निजी स्वास्थ्य खर्च काफी ज्यादा है, इसमें कमी करके सरकार निचले और गरीब तबके के लोगों को राहत देना चाहती है।
इस राहत को पहुँचाने के लिए सरकार अपनी तरफ से स्वास्थ्य सुविधाओं में होने वाले खर्च को बढ़ा रही है।
सरकार का खर्च बढ़ा
देश में स्वास्थ्य के ऊपर होने वाले कुल खर्च में भी आम आदमी के हिस्से में कमी आई है। वर्ष 2013-14 के दौरान जहाँ आम जनमानस ने 2.90 लाख करोड़ रूपए स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खर्च किए, जो कि उस साल के कुल स्वास्थ्य खर्चे का 64.2% था।
वहीं वर्ष 2018-19 के दौरान देश के आम आदमी के जेब से 2.87 लाख करोड़ रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खर्च किए गए, जो कि कुल स्वास्थ्य खर्चे का 48.2% हैं। सरकार ने इस दौरान अपने पास से 2.42 लाख करोड़ रुपए स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च किए जो कि वर्ष 2013-14 में सरकार के दौरान किए गए 1.29 लाख करोड़ रूपये से लगभग दुगने के करीब है।
मूलभूत सुविधाओं पर सरकार का जोर
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का ध्यान मूलभूत यानी प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक है। प्राथमिक स्वास्थ्य पर होने वाले देश में कुल व्यय का 55% व्यय सरकार की तरफ से हो रहा है, वर्ष 2013-14 में यह आंकडा 51.1% था।
लोक सभा में दिए गए एक उत्तर के अनुसार केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के दौरान 83 हजार करोड़ रुपए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आवंटित किए हैं। वर्ष 2017-18 में 47 हजार करोड़ रुपए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आवंटित किया गए थे। अगर उस लिहाज से देखें तो इन 5 वर्षों में स्वास्थ्य बजट में 75% से अधिक की वृद्धि हुई है।
अन्य आंकड़े
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 के दौरान देश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर कुल 4.5 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए, जो कि देश की जीडीपी का 1.15% थे। वहीं, वर्ष 2018-19 में कुल 5.9 लाख करोड़ रुपए स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हुए जो कि देश की कुल जीडीपी का 1.28% हैं।
जहाँ वर्ष 2013-14 के दौरान प्रति व्यक्ति पर 3,638 रुपए स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खर्च हो रहे थे, वहीं वर्ष 2018-19 के दौरान यह राशि बढ़ कर 4,470 रुपए प्रति व्यक्ति पहुँच गई।
इस प्रकार से सरकार अपने स्तर से अधिक धन खर्च करके देश के सामान्य जनमानस को जिसके लिए स्वास्थ्य पर बड़ी धनराशि खर्च एक झटके जैसा है, को कम करने का प्रयास कर रही है।