फरवरी 2022 में चालू हुए यूक्रेन-रूस संघर्ष और कोरोना के कारण भारत वापस आए मेडिकल छात्रों को केंद्र सरकार एक अंतिम मौका देने जा रही है। केंद्र सरकार ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को जारी इस मामले की सुनवाई के बीच दी है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष फरवरी माह में रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष चालू हो जाने के कारण भारतीय छात्रों को वहां से वापस आना पड़ा था, इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में छात्रों को चीन, फिलिपिन्स जैसे देशों में पढ़ने वालों छात्रों को कोरोना महामारी के चालू होने के कारण वापस आना पड़ा था। इनमें से अधिकाँश मेडिकल छात्र थे।
इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि भारत में इनकी मेडिकल की पढ़ाई चालू कराई जाए। केंद्र सरकार ने लोक सभा में दिए गए एक जवाब में बताया था कि यूक्रेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 15,800 है।
केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पूर्व में विदेशों में पढ़ रहे छात्रों को एक मौका देने जा रही है। केंद्र सरकार ने कहा है कि यह छात्र MBBS के अंतिम वर्ष को पास कर सकेंगे। इन छात्रों को प्रायोगिक और लिखित दोनों परीक्षाएं बिना किसी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिए बिना दिए जाने की सुविधा दी जाएगी। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे बदल कर दो मौके कर दिया।
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इसके पश्चात इन छात्रों को 2 वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप करनी होगी, यह नियम नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) ने पूर्व में भी कई मामलों में उपयोग किया है। इस इंटर्नशिप में छात्रों को पहला वर्ष मुफ्त दूसरा वर्ष भुगतान वाला होगा।
केंद्र से यह बात भी जोर देकर कही है कि यह केवल एक बार के लिए किया जा रहा है और ऐसे किसी मामले में भविष्य में इस को आधार नहीं बनाया जा सकेगा। माना जा रहा है यह फैसला अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों के लिए ही लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाले अधिकाँश छात्र ऐसे थे जिनकी मेडिकल की पढाई पूरी हो चुकी थी लेकिन युद्ध चालू होने की वजह से वह ट्रेनिंग पर नहीं जा पाए थे।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की द्विसदस्यीय बेंच ने इन छात्रों के साथ सहानुभूति जताई थी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की बेंच ने कहा था कि इन छात्रों के बारे में केंद्र सरकार को कुछ विचार करना चाहिए। यह छात्र अपनी पढाई पूरी करने के बाद देश के लिए काम कर सकेंगे।
केंद्र सरकार और NMC ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह छात्र यूक्रेन से वापस आने के समय अंतिम वर्ष में नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि यह छात्र यूक्रेन से वापस आने के समय 7 सेमेस्टर पढ़ चुके थे, 3 सेमेस्टर की पढ़ाई इन छात्रों ने ऑनलाइन की थी।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन छात्रों के लिए सहानुभूति जताने के साथ ही यह भी कह दिया कि अब दूसरे और तीसरे साल में पढ़ने वालों के लिए हमारे सामने कोई याचिका मत लाइएगा।