देश में ऑनलाइन खरीददारी का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। हजारों ई-कॉमर्स वेबसाइट आज विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ ऑनलाइन बेच रही हैं। लोग इन वस्तुओं की खरीददारी के बाद इन वेबसाइट पर अपना रिव्यू डालते हैं। रिव्यू किसी वस्तु की संभावित खरीददारी के निर्णय को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
यही कारण है कि कई ई-कॉमर्स वेबसाइट ने इसके जरिए अपने ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए पैसे देकर भ्रामक रिव्यू अपनी वेबसाइट पर रखने की एक संस्कृति बना ली है। इसके अतिरिक्त अन्य तरीकों से भी झूठे रिव्यू वेबसाइट पर डाले जा रहे हैं। इसकी सहायता से ग्राहकों के खरीददारी के निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है।
ऐसे में ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अब एक नया फ्रेमवर्क लान्च किया है। इस काम को उपभोक्ता मामलों का विभाग और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स मिलकर कर रहे हैं।
क्या है सरकार की कोशिश?
सरकार की कोशिश है कि ई-कॉमर्स वेबसाइट पर प्रदर्शित होने वाले रिव्यू भ्रामक ना हो और इससे उपभोक्ता का हित प्रभावित न हो सके, इसके लिए सरकार ने इन्डियन स्टैंडर्ड्स 19000:2022 ‘ऑनलाइन कंज्यूमर रिव्यूज- प्रिंसिपल्स फॉर देयर कलेक्शन, मॉडरेशन एवं पब्लिकेशन’ नाम से मानक तय किया है।
ये मानक हर उस ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर लागू होंगें जो रिव्यू छापते हैं। अभी के लिए इन मानकों को अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया गया है। अभी जो वेबसाइट चाहे तो स्वेच्छा से इनका पालन कर सकती है।
हालाँकि, एक बार इन मानकों का पालन अनिवार्य किए जाने पर इनका उल्लंघन, उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन माना जाएगा। इस व्यवस्था के तहत ग्राहकों द्वारा दिए जाने वाले रिव्यू को ई-मेल या फोन द्वारा सत्यापित किया जा सकेगा।
इन्डियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इन मानकों को लाँच करने वाले उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया, “हमें लगातार यह शिकायतें मिल रही थी कि यह रिव्यू काफी भ्रामक होते जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि केवल हमारे ही देश में ऐसा हो रहा है। यह समस्या अन्य देशों में भी सामने आ रही है जिससे झूठे रिव्यू को रोकने में कठिनाइयां आ रहीं हैं।”
उन्होंने बताया कि कुछ देश इन झूठे रिव्यू को रोकने के लिए नियम-कानून बना रहे हैं लेकिन हम पहले ऐसे देश होंगें जो इसको नियमित करने के लिए मानक तैयार कर रहे हैं।
क्यों ज़रूरी है ई-कॉमर्स में झूठे रिव्यू का नियमन?
देश में बढ़ती इंटरनेट की सुलभता के कारण इंटरनेट से खरीददारी में काफी तेजी आई है। इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के साल 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तक के पहुँचने की सम्भावना है। ऐसे में यह जरूरी है कि सामान्य उपभोक्ता को भ्रमित होने से बचाया जा सके।
वहीं दूसरी तरफ वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल रिव्यू में से लगभग 4% रिव्यू झूठे होते हैं। इनसे हर साल 152 बिलियन डॉलर का नुकसान दुनिया भर में हो रहा है। अन्य रिपोर्ट दर्शाती हैं कि यह समस्या इससे भी बड़ी हो सकती है और इससे ज्यादा प्रतिशत रिव्यू भी झूठे हो सकते हैं।
यही कारण है कि सरकार ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह नियमन लाने का प्रस्ताव रखा है।