सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े आपराधिक मामले में उनकी याचिका स्थगित कर दी है। कोर्ट ने प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए केजरीवाल को चार सप्ताह का समय भी दिया।
वर्ष 2014 में एक चुनावी रैली में केजरीवाल ने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए कहा था कि ‘जो कांग्रेस को वोट देगा मेरा मानना है देश के साथ गद्दारी होगी ….जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा भी माफ़ नहीं करेगा, देश के साथ गद्दारी होगी’।
इसके बाद केजरीवाल पर मुकदमा दर्ज हुआ। वे सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर लौटा दिया कि पहले लोअर कोर्ट से सम्पर्क कीजिये। लोअर कोर्ट ने याचिका ख़ारिज कर दी। इलाहबाद हाईकोर्ट पहुंचे तो हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा, “केजरीवाल द्वारा दिया गया बयान कोई साधारण या सामान्य बयान नहीं है वे मतदाताओं के लिए लिए देश का गद्दार शब्द का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं दूसरे समूह के लिए कह रहे हैं कि ‘खुदा माफ नहीं करेगा’। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि वे खुदा के नाम पर मतदाताओं को धमकी दे रहे हैं, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि अगर वह खुदा शब्द का उपयोग करते हैं, तो एक अलग धर्म से संबंधित मतदाताओं का एक समूह गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।”
अदालतों में इतनी अपील के बाद भी केजरीवाल मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। फंस इसलिए रहे हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा बयान विधानसभा में नहीं दिया जैसा वे अक्सर विशेषाधिकार के तहत करते हैं।
केजरीवाल चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं को खुदा के नाम पर धमकी देते हैं और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद पर सेक्युलर होने की शपथ लेते हैं। क्या सेक्युलर होने की परिभाषा उन्होंने यही तय की है?
देखा जाए तो अक्सर साम्प्रदायिकता के विरोध (सेक्युलरिज्म) को अपनी राजनीति का आधार बनाने वाले दल या नेता सबसे अधिक साम्प्रदायिक होते हैं क्योंकि वो समझ चुके होते हैं कि एक समूह के वोटों के ध्रुवीकरण के विरोध में दूसरे समूह के वोटों का ध्रुवीकरण हो ही जाता है।
केजरीवाल ने भी पिछले 10 वर्षों से अपनी राजनीति इसी साम्प्रदायिकता के इर्द गिर्द रखी। क्या आपने सिर्फ विकास के नाम पर केजरीवाल और उनकी पार्टी को चुनाव में जाते देखा है? हर चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की जबान से ‘हिन्दू-मुस्लिम’ तो छूट ही जाता है। उनका एक वीडियो पिछले कई वर्षों से सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है जिसमें वे तन, मन, धन से वक़्फ़ के लिए काम करने की बात करते हैं।
अब अरविन्द केजरीवाल के इस बयान के अनुसार तो ये माना जाना चाहिए कि भारत के मुसलमान गद्दार हो गए हैं क्योंकि वे भी भाजपा को वोट देते हैं और एक आबादी कांग्रेस को वोट देती है तो वो भी गद्दार हो चुकी है।
तो फिर प्रश्न यह है कि आज केजरीवाल कांग्रेस के साथ खड़े हैं और उसके वोट के लिए समझौता कर रहे हैं तो वे स्वयं को गद्दार मानते हैं या नहीं?
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