देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित इंटरपोल की महासभा की 18-21 अक्टूबर तक चली तीन दिवसीय बैठक का शुक्रवार (21 अक्टूबर 2022) के दिन समापन हो गया। समापन पर देश के गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने महासभा को संबोधित किया। उन्होंने महासभा के सामने कई महत्वपूर्ण बातें रखी।
इंटरपोल महासभा का आयोजन देश में 25 सालों के अंतराल के बाद हुआ है, इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में 18 अक्टूबर को किया था। इस बार की बैठक का मुख्य विषय भविष्य के अपराधों के नियंत्रण के लिए तैयार रहना तथा तकनीकी रूप से सक्षम पुलिसिंग था।
बैठक के समापन पर महासभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने भारत में न्यायशास्त्र की प्राचीन अवधारणा, भारत सरकार द्वारा पुलिस बल को मजबूत बनाने के लिए किए गए कार्य, आतंकवाद की एक परिभाषा तय करने और सीमाओं से परे अपराधियों पर लगाम लगाने जैसे विषयों पर विचार रखे।
भारत में दंड विधान और न्यायशास्त्र नई बात नहीं, पुराणों में इसका उल्लेख
केंद्रीय गृहमंत्री ने अपने सम्बोधन की शुरुआत इंटरपोल के कार्यों की सराहना करते हुए उसके योगदान के विषय पर चर्चा से की। इसके पश्चात शाह ने भारत में दंड विधान और न्यायशास्त्र के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय इतिहास में विदुर, चाणक्य, शुक्राचार्य एवं थिरुकुरल जैसे विद्वानों के दंड एवं न्याय के विषय में विचार को बताया।
उन्होंने महाभारत के शान्तिपर्व का उल्लेख किया और कहा कि न्याय ही है जो समाज में सुशासन सुनिश्चित करता है। गृहमंत्री ने मोदी सरकार द्वारा पुलिसबल को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमने पिछले कुछ समय में ई-कोर्ट, ई-प्रिजन और ई-फॉरेंसिक जैसे सिस्टमों को CCTNS से जोड़ने की बात कही।
गृहमंत्री ने देश में फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की स्थापना के विषय में भी महासभा को अवगत कराया।
आतंकवाद अच्छा या बुरा और छोटा या बड़ा नहीं होता
गृहमंत्री ने महासभा में पाकिस्तान समेत सभी देशों को आतंकवाद के विषय पर स्पष्ट सन्देश दिया। गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है और सीमा-पार से आ रहे आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें सीमारहित सहयोग के विषय में सोचना होगा।
गृहमंत्री ने सभी राष्ट्रों के मध्य आतंकवाद की एक समान परिभाषा तय करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘गुड टेरिरिज्म या बैड टेरिरिज्म’ तथा छोटा आतंकी हमला या बड़ा आतंकी हमला जैसे विचारों को त्यागना होगा।
उनका इशारा पाकिस्तान जैसे देशों के उस विचार की तरफ था जहाँ पाकिस्तान अपने क्षेत्रों में हो रही आतंकवादी घटनाओं को गलत और स्वयं के द्वारा कश्मीर में पोषित आंतकवाद को सही बताता है।
गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि इन्टरनेट के माध्यम से कट्टरपंथी विचारों से आतंकवाद को पल्लवित करने पर भी चिंता जताई। उन्होंने आतंकवाद को एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में देखने के विचार से असहमति जताई और कहा कि यह उपयुक्त नहीं है।
अपराध की मनोवृत्ति नहीं बदलती, नार्को टेरर से लड़ने की चुनौती
गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रेखांकित किए गए ‘नशा मुक्त भारत’ के विषय में बोलते हुए विश्व में बढ़ते मादक पदार्थों के अपराध और इससे जुड़े आतंकवाद का उल्लेख किया। उन्होंने इस पर सभी राष्ट्रों के मध्य घनिष्ठ सहयोग की बात की।
उन्होंने कहा कि भारत की मादक पदार्थों के विरुद्ध काम करने वाली एजेंसियों ने काफी अच्छा काम किया है। गृहमंत्री ने सभी राष्ट्रों के मध्य रियल टाइम डाटा शेयरिंग और विस्तृत नार्को डाटाबेस बनाने की बात कही। गृहमंत्री ने कहा कि अपराध की मनोवृत्ति कभी नहीं बदलती है, समय के साथ उसका स्वरूप अवश्य बदलता रहता है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “मेरा अनुरोध है कि इंटरपोल अपने 100 वर्षों के अनुभव का उपयोग करके आने वाले समय के लिए योजना तैयार करे। उन्होंने वर्ष 2048 और 2073 के लिए योजना बनाने की बात कही।”
गृहमंत्री ने अगले वर्ष ऑस्ट्रिया के विएना में होने वाली इंटरपोल की महासभा की बैठक के लिए ऑस्ट्रिया को शुभकामनाएं दी एवं भारत की अपराध के विरुद्ध लगातार लड़ने की प्रतिबद्धता की बात कही।