इटली के राष्ट्रीय चुनाव में ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी की नेता जियोर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) मारियो ड्रैगी को भारी मतों से हराकर इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। मेलोनी के जीतते ही इटली में मुसोलिनी के बाद पहली बार प्रखर दक्षिणपंथी विचारधारा की सरकार बनने जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जियोर्जिया गठबंधन की दक्षिणपंथी विचारधारा की पार्टी तकरीबन 44% वोट हासिल करने में सफल रही जबकि अकेले जियोर्जिया मेलोनी के ‘ब्रदर्स ऑफ़ इटली’ को करीब 26% वोट मिले हैं। इसके अलावा, इटली के वाम दल ‘डेमोक्रेटिक पार्टी’ और उसके सहयोगियों को क़रीब कुल मतदान का 26% वोट मिल पाया है।
इटली में मेलोनी की छवि प्रवासी-विरोधी और LGBTQ अधिकार विरोधी के रूप में रही है। उनका एक बयान भी सामने आया था जिसमें वह कह रही थीं, “मैं फासीवादी नहीं हूँ लेकिन मुसोलिनी के वंशजों से मेरा रिश्ता अवश्य है।”
मेलोनी की जीत ऐसे समय में हुई है, जब यूरोप कई तरह के संकटों का सामना कर रहा है। इसमें युद्ध, मुद्रास्फीति और ऊर्जा संकट महत्वपूर्ण हैं।
यूरोपीय संघ (EU) को शरणार्थी समस्या का कारण मानने वाली मेलोनी यूरोपीय संघ की नीतियों से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। प्रधानमंत्री बनने जा रही 45 वर्षीय मेलोनी ने ‘भगवान, राष्ट्र और परिवार’ के नारे को प्रमुखता से आगे रखते हुए अपना चुनाव अभियान चलाया था।
अप्रवासियों और इस्लाम के सम्बन्ध में अपनी एक चुनावी रैली में मेलोनी ने कहा था, “मुस्लिम राष्ट्रों में गृहयुद्ध से त्रस्त महिलाओं, बच्चों की तस्वीरें दिखाई जाती हैं। लेकिन हमारे देश में पुरुष शरणार्थी बन जाते हैं। मैं इन पुरुषों को शरणार्थी नहीं मानती। मुस्लिम प्रवासी आख़िर में खतरा साबित होते हैं।”
चुनाव जीतने के बाद मेलोनी का साल 2019 का एक भाषण सामने आया है जिसमें वह खुद को एक ‘ईसाई, एक माँ और एक धुर दक्षिणपंथी’ नेता बताती नज़र आ रही हैं।
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो गया है क्योंकि यह यूरोप महाद्वीप में दक्षिणपंथ के आग़ाज़ का एक हिस्सा माना जा रहा है। जॉर्जिया ने कहा कि जीत एक शुरुआती बिंदु थी और आने वाले दिनों में वे अपनी योग्यता दिखाएंगे।