इंग्लैंड के पूर्व फुटबॉलर गैरी लिनेकर (Gary Lineker) को बीबीसी (BBC) ने उनके पद से हटा दिया है। इसके पीछे वजह ये है कि गैरी लिनेकर ने सोशल मीडिया पर ब्रिटिश सरकार की शरणार्थियों से जुड़ी नीति के संबंध में अपने मन की बात लिख डाली। दरअसल गैरी ने अपने गृह सचिव पर आरोप लगाया कि प्रवासियों एवं शरणार्थियों से जुड़ी नई नीति में उनकी भाषा नाज़ियों वाली है।
बता दें कि गैरी इंग्लैंड के सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं और वर्तमान में ट्विटर पर उनके 8.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं और इस वक्त वे इंग्लैंड के सबसे प्रभावशाली जर्नलिस्ट भी माने जाते हैं।
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इस विवाद के बाद बीबीसी ने फ़ैसला किया है कि जिस कार्यक्रम का संचालन गैरी करने वाले थे, वो बिना किसी स्टूडियो प्रेजेंटेशन के ही जारी किया जाएगा। गैरी के समर्थन में उनके कुछ सहयोगियों ने भी इस एसएचओ में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।
बीबीसी ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि गैरी लिनेकर को मैच ऑफ़ द डे पेश करने से तब तक पीछे हटने के लिए कहा गया है जब तक कि उनके सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कोई फ़ैसला नहीं हो जाता। बीबीसी ने कहा है कि गैरी के ख़िलाफ़ यह फ़ैसला सरकार की नई शरणार्थी नीति की आलोचना करने के चलते लिया गया है और उन्हें सोशल मीडिया पर ख़ुद को राजनीतिक टिप्पणी करने से बचना चाहिए। बीबीसी का मानना है कि ऐसा कर के गैरी ने उनके दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। यानी बीबीसी ने सरकार के दबाव में एक नामी पत्रकार की बोलने की आज़ादी का हनन कर डाला है।
दरअसल, मंगलवार के दिन लिनेकर ने वो ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने सरकार की नीति की निंदा की थी। इसके बाद ब्रिटिश संसद के कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों ने लिनेकर को अनुशासित करने के लिए बीबीसी को बुलाया था। इस ट्वीट में लिनेकर ने कहा था कि ‘नाव से आने वाले शरणार्थियों को हिरासत में लेने और निर्वासित करने की सरकार की योजना की क्रूर भाषा इन कमजोर लोगों के ख़िलाफ़ वैसी ही है जैसी 30 के दशक में जर्मनी के नाज़ियों द्वारा इस्तेमाल की जाती थी”।
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ब्रिटेन का अवैध प्रवासी बिल
कुल मिलाकर बात इतनी है कि गैरी शरणार्थियों को जगह देने के पक्ष में हैं और यह बात ब्रिटेन सरकार की नई नीति के ख़िलाफ़ है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हाल ही में ऐलान किया था कि उनकी सरकार जल्द ही अवैध प्रवासी बिल लेकर आएगी, जिससे ब्रिटेन में आने वाले अवैध प्रवासियों पर रोक लगाई जाएगी। इसके बाद ब्रिटेन में इस बिल का विरोध शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस बिल का विरोध किया है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।
अवैध शरणार्थी बिल को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा था कि यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जो कानूनी तौर पर ब्रिटेन आते हैं और जो कानून का पालन करते हैं। नया बिल नौकाओं को रोकने के लिए लाया गया है।
अब यहाँ पर बीबीसी फँस गया है। बीबीसी इसलिए फँस गया है क्योंकि राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा के लिए लाए गए सरकार के बिल के विरोध में बोलने के कारण BBC ने अपने होस्ट को निरस्त कर दिया है, जबकि BBC अन्य राष्ट्रों में ऐसे बिल का समर्थन करता रहा है।
ब्रिटिश सरकार ने लिनेकर की इस नाजी वाली तुलना को अनुचित और अस्वीकार्य बताया जबकि संसद के कुछ सदस्यों ने कहा कि उन्हें निकाल दिया जाना चाहिए। अब आप इस मामले की तुलना कीजिए भारत से। यहाँ पर साल 2014 से ही नाज़ी और फासीवाद शब्द इस्तेमाल कर कर के कई मीडियाकारों का करियर बना है। वो फासीवाद भी चिल्लाते हैं और ये भी कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है।
यही बीबीसी अपनी सबसे ताज़ा डाक्यूमेंट्री में भारत की छवि CAA क़ानून के नाम पर ख़राब करने का भी प्रयास कर रहा है।
बीबीसी की निष्पक्षता पर हाल ही में हुए एक खुलासे से भी स्पष्ट हुई थी जब उसके अध्यक्ष, रिचर्ड शार्प ने ब्रिटिश सरकार की सिफारिश पर बीबीसी पद पर नियुक्त होने से कुछ हफ्ते पहले साल 2021 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के लिए 800,000 पाउंड ऋण और कंजर्वेटिव पार्टी के लिए 400,000 पाउंड की मदद की थी।
देश-विदेशों के लगभग हर मामलों में अपनी दखल देने वाला बीबीसी अपने पत्रकारों को इसलिए चुप करवाना चाहता है क्योंकि वो बोल रहा है।