पिछले लगभग आठ वर्षों में मोदी सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर फोकस लगातार रहा है। सरकार इस सोच के साथ काम करती रही है कि यदि देश को बुनियादी सुविधाएँ दी जायें तो देश का मानव संसाधन अपने लिए रास्ते निकाल लेगा। सरकार की यह नीति बजट में भी दिखाई देती रही है जिसमें बजट का एक बड़ा हिस्सा कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए रहता है। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए बड़े मानव संसाधन की आवश्यकता होती है इसलिए रोजगार भी सुनिश्चित किया जाता है।
वित्त वर्ष 2024 में भी भारत सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडीचर और रेवेन्यू एक्सपेंडीचर के लिए अपने बजटीय आवंटन को संशोधित किया है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जनवरी 2024 तक सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर के अपने संशोधित बजट आवंटन में से 80% खर्च कर लिया है। इसी तरह कुल रेवेन्यू एक्सपेंडीचर का 79% खर्च किया जा चुका है। इसका अर्थ यह है कि सरकार की योजनाएँ आशा के अनुरूप चल रही हैं।
इसके साथ ही यह आशा भी है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद अर्थात GDP के 5.8% के अंदर रखने के अपने लक्ष्य को पूरा कर लेगी।
वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान के अनुसार केंद्र सरकार ने अपना बजटीय केपिटल एक्सपेंडीचर आउटले ₹9.5 लाख करोड़ और रिवेन्यू एक्सपेंडिचर ₹35.4 लाख करोड़ निर्धारित किया है। इसके साथ ही रेवेन्यू अर्थात कर संग्रह को बढ़ावा देने और ख़र्चों के मैनेजमेंट के लिए विभिन्न उपाय लागू किए हैं। स्मॉल सेविंग्स स्कीम के तहत नागरिकों के लिए डिपाजिट की सीमा बढ़ाना और GST संग्रह को बढ़ावा देने के प्रयासों को तेज करना सरकार की प्राथमिकता रही है।
सरकार के खर्च के रुझान उसके फिसकल डेफिसिट के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण हैं, जो बदले में, निवेशकों की भावना और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
यह सरकार के लिए उत्साहजनक खबर है कि खर्चे के उसके लक्ष्य समय पर पूरे हो रहे हैं। इससे संकेत मिलता है कि वह अपनी एक्सपेंडिचर की अपनी योजनाओं के साथ सही रास्ते पर है। यह रिसोर्सेज़ के अच्छे मैनेजमेंट और विभिन्न विभागों के बीच अच्छे coordination को भी दर्शाता है।
चालू वित्त वर्ष में विभिन्न स्मॉल सेविंग्स स्कीम के तहत सरकार का कलेक्शन अच्छा बना हुआ है। जनवरी के अंत तक वरिष्ठ नागरिकों से स्मॉल सेविंग्स के तहत कलेक्शन लगभग ₹90,000 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के संग्रह से बहुत अधिक है। कलेक्शन में यह बढ़ोतरी में कुछ हद तक 2023 के बजट में योजना के तहत जमा सीमा को दोगुना करके ₹30 लाख करने का भी असर दिखाई देता है। मंथली इनकम स्कीम अकाउंट के माध्यम से कलेक्शन साल दर साल चार गुना बढ़कर लगभग ₹20,000 करोड़ हो गया है।
राजस्व/ रिवेन्यू संग्रह को बढ़ावा देने और एक्सपेंस को कम करने के सरकार के प्रयास fiscal deficit के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सरकार की योजना जीएसटी से रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ाने और better tax compliance को बढ़ावा देने के उपायों को लागू करने की है। सरकार ने बैंकिंग, बुनियादी ढांचे और विमानन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विनिवेश का भी आह्वान किया है। मौजूदा खर्च के रुझान के साथ इन उपायों से सरकार को अपने fiscal deficit के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलने की उम्मीद है।