अमेरिका के एक नामी न्यूज चैनल फॉक्स न्यूज (Fox News) को यूएस इलेक्शन के दौरान EVM वोटिंग मशीन के ख़िलाफ़ फेक न्यूज फैलाना महँगा ही नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा महँगा पड़ गया है। इतना महँगा कि बात 7000 करोड़ रुपए के मानहानि के भुगतान तक आ गई। EVM, यानी वो वोटिंग मशीन, जिस पर बटन दबाकर आप चुनाव में मतदान करते हैं। आगे किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए फॉक्स न्यूज अब वोटिंग मशीन कंपनी ‘डोमिनियन वोटिंग सिस्टम्स'(Dominion Voting System) को 787 मिलियन डॉलर का भुगतान करने पर सहमत हो गया है।
भारत में रवीश कुमार को तो आपने अक्सर सुना होगा कि ‘मानहानि का केस पत्रकारों पर नहीं किया जाना चाहिये’, ये उन्होंने उन पत्रकारों के बचाव में कहा था, जो जब मन करे तब सरकार के ख़िलाफ़ फेक न्यूज चलाते हैं। अमेरिका में भी रवीश कुमार के ओरिजिनल वर्जन मौजूद हैं। टकर कार्लसन जैसे बड़े पत्रकार अमेरिका के चुनाव में EVM के ख़िलाफ़ चलाई गई इस फेक न्यूज़ का हिस्सा रहे।
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अमेरिका में फ़ेक न्यूज़ फैलाने की बहुत तगड़ी सजा एक नामी समाचार चैनल को मिली है। इस चैनल का नाम है ‘फ़ॉक्स न्यूज़’, जिस पर अमेरिका की EVM मशीन बनाने वाली कंपनी ने उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने के आरोप में मानहानि का केस दर्ज किया था। ये अमेरिकी मीडिया कंपनी के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा मानहानि का मुक़दमा बताया जा रहा है।
आपको याद है कि भारत में लगभग हर चुनाव नतीजे के बाद विपक्षी दल किस तरह से EVM मशीन को दोषी ठहराते हैं? बीबीसी जैसे नामी समाचार पत्र भी अक्सर देश-दुनिया के चुनावों में वोटिंग मशीन पर संदेह वाली खबरें चलाते दिखते हैं।
भारत में 2019 के चुनाव से ठीक पहले एक बार सैयद शूजा नाम के एक कथित साइबर हैकर ने तो ये दावा कर दिया था कि वो EVM मशीन को हैक कर के दिखा सकता है और पूरी कांग्रेस ने उसके लिए बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ़्रेंस तक बैठा दी थी।
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फॉक्स न्यूज (Fox News) से जुड़ा ये पूरा मामला क्या है
साल 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फ़ॉक्स न्यूज ने एक फ़ेक न्यूज़ छापी थी। फॉक्स न्यूज़ ने कहा था कि डोमिनियन कंपनी की EVM मशीन ने डॉनाल्ड ट्रम्प और जो बायडेन के चुनाव में कुछ गड़बड़ी की है। आपको याद होगा कि अमेरिका में हुए इस चुनाव में डॉनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और उनके विरोधियों में कितना बवाल हुआ था। ट्रम्प भी आख़िर तक ये कहते रहे कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है। अब मुक़दमे में पड़ने के डर से फॉक्स न्यूज़ ने बाहर ही बाहर उस कंपनी से सेटलमेंट कर दिया है, जिसके ख़िलाफ़ ये फ़ेक न्यूज़ चलाई गई थी।
फॉक्स न्यूज मंगलवार को वोटिंग मशीन कंपनी ‘डोमिनियन वोटिंग सिस्टम्स’ को लगभग $80,00,00,000 का भुगतान करने पर सहमत हो गया है। अगर यह मुकदमा कोर्ट में जाता तो फॉक्स के संस्थापक रूपर्ट मर्डोक से लेकर इसके सारे बड़े मैनेजर्स और स्टार्स को कोर्ट में सवाल-जवाब और गवाही के लिए हाजिर होना पड़ता।
2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बारे में झूठ फैलाने के आरोप में फॉक्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मामला हाथ से निकलता देख फॉक्स न्यूज ने एक बयान में कहा है कि ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि मुकदमे की गंभीरता के बदले डोमिनियन कंपनी के साथ इस विवाद को प्यार-मोहब्बत से सम्भाला जाए”।
प्यार मोहब्बत से सैटलमेंट की बात कर के फ़ॉक्स न्यूज़ को ये फ़ायदा हुआ है कि जहां उन्हें कोर्ट में जा कर $1.6 Billion यानी करीब 13 हजार करोड़ की मानहानि भरनी थी, वहीं इसे बाहर ही सुलझाने से अब उन्हें इस कंपनी को अब सिर्फ़ 787.5 मिलियन डॉलर यानी 64.5 अरब रुपये ही देने होंगे। है ना फ़ायदे का सौदा?
असल में डोमिनियन ने फॉक्स न्यूज़ पर यह तर्क देते हुए 1.6 अरब डॉलर का मुकदमा किया था कि समाचार चैनल ने दुष्प्रचार के जरिये कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया था। समाचार चैनल ने दावा किया था कि डोमिनियन कंपनी ने चुनावों में एक पक्ष को फ़ायदा पहुँचाने के लिए गड़बड़ी की थी। इस समझौते के बाद डोमिनियन ने कहा है कि फ़ॉक्स न्यूज़ कोर्ट के बाहर ही समझौते के लिए राज़ी हुआ है यानी उसके आरोप एकदम बेबुनियाद थे।
साल 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फॉक्स न्यूज ने डोमिनियन वोटिंग सिस्टम्स पर आरोप लगाया था कि उसकी मशीन ट्रंप के वोट भी बाइडेन की तरफ गिन रहा है और इस तरह बायडेन को जीता हुआ बता रहा है। बता दें कि डोमिनियन अमेरिका का मशहूर वोटिंग सिस्टम है। जिसके वोटिंग मशीन का इस्तेमाल आमतौर पर सभी जगह किया जाता है। फॉक्स न्यूज ने तमाम कॉन्सपिरेसी थ्योरी डोमिनियन के बारे में गढ़ी थीं, ताकि लोग उसके बाइडेन को मिल रहे वोट पर विश्वास नहीं करें।
डोमिनियन वोटिंग सिस्टम्स ने कहा कि दो साल से अधिक समय पहले कहे गए इस झूठ ने डोमिनियन और चुनाव अधिकारियों को पूरे अमेरिका में बदनाम कर दिया था। अब सोचिए कि ये सब जुर्माने उस देश में लगाए गये हैं जहां के हर नामी समाचार पत्र भारत में प्रेस की आज़ादी से लेकर बोलने की आज़ादी तक पर लेख लिखते हैं।
जबकि भारत में आजकल सिर्फ़ इस एक खबर ने तमाम मीडिया को सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया कि सरकार फ़ेक न्यूज़ पर पाबंदी लगाने के लिए किसी अलग संस्था को ज़िम्मेदारी देने जा रही है।
रवीश कुमार: इकोसिस्टम की आकांक्षाओं के भार तले दबता पत्रकार
यहाँ राजदीप सरदेसाई जैसे लोग किसानों को भड़काने के लिए टीवी पर यहाँ तक फेक न्यूज़ चलाई थी कि पुलिस ने किसानों को सर पर गोली मार दी, और इसके बाद भी वो पूरी शान से ख़ुद को पत्रकार कहता है और टीवी पर बैठता है। रवीश कुमार और राना अयूब जैसे लोग भी यहीं हैं, जिनकी पत्रकारिता का करियर ही झूठ की बुनियाद पर खड़ा है। तो उम्मीद है कि फ़ॉक्स न्यूज़ के मामले से अमेरिका ही नहीं बल्कि भारत में बैठे ‘बौद्धिकों’ को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।