मास्को, कल रूस के सत्ता-प्रतिष्ठान क्रेमलिन ने घोषणा की थी कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार यानी 30 सितंबर को यूक्रेन का 20% क्षेत्र बनाने वाले चार शहरों को औपचारिक रूप से रूस में शामिल करेंगे। इसके बाद पुतिन ने आज शुक्रवार को खेरसॉन और जापोरिजिया की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले आदेश जारी कर दिए हैं।
यह घोषणा तब आई है जब एक हफ्ते पहले ही इन क्षेत्रों के मॉस्को समर्थित प्रतिनिधियों ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर निन्दित जनमत संग्रहों में अपनी भारी जीत का दावा किया था।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आज यूक्रेन के चार शहरों- डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया और खेरसॉन पर कब्जा करने की पूरी तरह तैयारी कर ली है। इसकी औपचारिक घोषणा भारतीय समयानुसार आज शाम 5:30 बजे (IST) के आसपास की जा सकती है।
इस घोषणा के साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत पश्चिमी जगत के साथ एक नाटकीय मोड़ ले सकता है। पश्चिमी जगत रूस की तेल और गैस की बिक्री के राजस्व और वैश्विक आपूर्ति नेटवर्क तक रूस की पहुंच बंद करके पुतिन की सेना की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए नए प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं।
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क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने गुरुवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि पुतिन ने रूसी सांसदों को क्रेमलिन के सेंट जॉर्ज हॉल में यूक्रेनी जमीन को रूस में शामिल करने के लिए शुक्रवार दोपहर 3 बजे (स्थानीय समय) एक हस्ताक्षर समारोह में बुलाया है जिसमें पुतिन एक लंबा भाषण भी देंगे।
इसके लिए मास्को के अधिकारियों ने आज शुक्रवार को मॉस्को में एनेक्सेशन के समर्थन में की जा रही जन रैली के तहत यातायात को सीमित कर दिया है। क्रेमलिन के पास, रूसी जनता ने यूक्रेनी जमीन के अधिग्रहण के समर्थन में मंच और होर्डिंग लगाए हैं जिनपर लिखा है, “डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, और खेरसॉन – रूस हैं!” रूस के राजकीय टीवी चैनल रूस 24 पर, अधिग्रहण के उत्सव की उलटी गिनती वाली घड़ी टीवी स्क्रीन पर प्रमुखता से दिखाई जा रही है। इससे पहले क्रीमिया को रूस 2014 में ही अधिगृहीत कर चुका है।
यूक्रेन में रूसी प्रॉक्सी सरकार द्वारा कराए जनमत संग्रह में यूक्रेनी चाहते हैं रूस में शामिल होना
चारों यूक्रेनी शहरों में कार्यरत रूस के प्रॉक्सी अधिकारी बुधवार को मास्को पहुंचे थे, और कथित जनमत संग्रह के परिणाम लेकर दावा किया था कि अधिकांश यूक्रेन निवासी रूसी संघ में शामिल होना चाहते हैं।
इस जनमत संग्रह प्रक्रिया की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी। यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने आरोप लगाया था कि जनमत संग्रह बंदूक की नोक पर कराया गया “दिखावा” है। संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों के प्रमुख ने कहा था कि यह जनमत संग्रह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इसके परिणामों को यूक्रेन की लोकप्रिय इच्छा की अभिव्यक्ति नहीं माना जा सकता है।
इस महीने के शुरुआत में यूक्रेन के उत्तर पूर्व और दक्षिण में हुए यूक्रेनी हमले के बाद रूस ने जवाब देते हुए यूक्रेन में लड़ने के लिए हजारों अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया था और अब रूसी सरकार ने यूक्रेन के 4 शहरों के वैधानिक अधिग्रहण की कदम उठा दिया है।
यूक्रेन युद्ध हार रहा है… और यूरोप भी
रूसी अधिकारियों ने जोर देकर यह भी कहा है कि रूस में नई शामिल भूमि रूसी सैन्य सिद्धांत के तहत पूर्ण सुरक्षा की हकदार होगी – यहां तक कि क्रेमलिन ने कीव और पश्चिम को इन नई सीमाओं को स्वीकार करवाने के लिए रूस के परमाणु शस्त्रागार के उपयोग की धमकी भी दे डाली।
रूस के विरोध में अमेरिका ने यूक्रेन के लिए की भारी भरकम पैकेज की घोषणा
रूस के आक्रामक तेवरों और यूक्रेनी क्षेत्र के अधिग्रहण की घोषणा के जवाब में बाइडेन प्रशासन ने बुधवार को ही घोषणा की है कि अमेरिका रूसी ड्रोन का मुकाबला करने के लिए यूक्रेन को लगभग 18 और उन्नत रॉकेट सिस्टम और अन्य हथियारों के लिए आर्थिक मदद देगा, इसके साथ ही अमेरिका यूक्रेन को 1.1 बिलियन अमरीकी डालर की भारी-भरकम अतिरिक्त सहायता भी प्रदान करेगा।
नवीनतम पैकेज यूक्रेन को सुरक्षा सहायता मुहैया कराने के नाम पर दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत यूक्रेन के लिए अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों की खरीद की जाएगी जो अंततः रूस यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का ही काम करेगा। इस घोषणा के साथ ही बाइडेन प्रशासन के पदभार संभालने के बाद से यूक्रेन को दी गई कुल अमेरिकी सहायता राशि लगभग 17 बिलियन अमरीकी डॉलर का आंकड़ा छू गई है।
एक ओर अमेरिका स्वयं आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई, ईंधन की कमी और घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा, उसके बीच यूक्रेन पर पैसे उड़ाने के फैसले से अमेरिकी निम्न और मध्यमवर्ग में आक्रोश फैल सकता है।