कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ द्वारा आरोप लगाए गए हैं कि महिला डॉक्टर के बलात्कार के कुछ घंटों बाद ही मृतका डॉक्टर के परिवार के दूर के रिश्तेदार और पूर्व पार्षद ने उन पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दबाव डाला था और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने सोमवार को उस व्यक्ति की चर्चा भी की है।
ऑनलाइन सामने आए एक वीडियो में फोरेंसिक विशेषज्ञ यह आरोप लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं कि पीड़िता के परिवार के दूर के रिश्तेदार एक पूर्व पार्षद ने उन पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दबाव डाला था। उन्होंने रविवार को सीजीओ कॉम्प्लेक्स से पूछताछ के बाद पत्रकारों से बात करते हुए यह दावा किया।
फिलहाल केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बता दें कि इस मामले में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट कर में पूर्व पार्षद का नाम संजीव मुखर्जी बताया, जिन्होंने कथित तौर पर फोरेंसिक विशेषज्ञों को प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मजबूर किया।
अधिकारी ने अपनी पोस्ट में कहा था कि “यह व्यक्ति कौन है? यह व्यक्ति संजीव मुखर्जी है। वह पानीहाटी नगर पालिका के पूर्व सीपीआईएम पार्षद हैं, जो बाद में टीएमसी में शामिल हो गए और पानीहाटी टीएमसी विधायक निर्मल घोष के करीबी सहयोगी बन गए।”
सुवेंदु अधिकारी ने लिखा कि “हर कोई जानता है कि पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में किया गया था। पुलिस श्मशान घाट पर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रख रही थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए श्मशान घाट पर असाधारण जल्दबाजी थी। ममता बनर्जी के निर्देश पर पानीहाटी के विधायक निर्मल घोष खुद मौजूद थे।
सुवेंदु का दावा है कि संजीव मुखर्जी ने मृतका डॉक्टर के दाह संस्कार प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि वह पीड़िता के रिश्तेदार नहीं हैं।भाजपा नेता ने सवाल उठाया कि दस्तावेज़ पर एक और नाम/हस्ताक्षर भी है – सोमनाथ डे। पानीहाटी नगर पालिका के एक और पूर्व टीएमसी पार्षद का नाम भी इसी नाम से है। क्या वह वही व्यक्ति है?”
जाहिर है कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक कर्मचारी ने दावा किया था कि पुलिस ने उन्हें डॉक्टर के शव का प्राथमिकता के आधार पर अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया था, क्योंकि श्मशान घाट पर भारी भीड़ मौजूद थी। पुलिस ने आरोपों से इनकार किया, वहीं पीड़ित के परिवार ने भी दावा किया कि वे शव को रखना चाहते थे, लेकिन पोस्टमार्टम और दाह संस्कार जल्दबाजी में किया गया।
आपको बता दें कि 9 अगस्त को आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को अपराध के सिलसिले में अगले दिन गिरफ्तार किया गया। मामला इतना जघन्य था कि इसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।
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