देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने पर हासिल की गई उपलब्धियों और विश्व में भारत के बढ़ते महत्व को बताया है। जयशंकर ने इस दौरान कनाडा, खालिस्तान, राहुल गांधी समेत अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। जयशंकर ने इस दौरान कनाडा की सुरक्षा सलाहकार द्वारा बीते दिनों दिए गए बयान पर करारा हमला बोला और इसे ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ जैसा बताया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि ‘विश्व आज भारत को अपने विकास में सहयोगी के तौर पर देखता है क्योंकि हम किए गए वादों को जमीन पर उतारते हैं’। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान वैक्सीन मैत्री का भी जिक्र किया और कहा कि विदेशों में आज भी लोग वैक्सीन भेजे जाने पर भावुक हो जाते हैं।
एस जयशंकर ने विश्व में आपदाएं आने पर भारत द्वारा उठाए गए क़दमों की भी चर्चा की और तुर्की को उदारहण के तौर पर रखा। विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका के अंदर आर्थिक बदहाली के बाद उसे वापस में खड़ा करने में भारत की भूमिका की भी बात की और कहा कि यदि श्रीलंका आज वापस रास्ते पर लौट रहा है तो इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारत की है।
पिछले 9 वर्षों के दौरान भारत का अंतरराष्ट्रीय संगठनों में दखल बढ़ा है और साथ ही भारत ने कई नए संगठनों को बनाने और मजबूत करने में सहायता की है। विदेश मंत्री ने इसके उदाहरण के तौर पर ग्लोबल सोलर अलायंस और I2U2 और शंघाई सहयोग संगठन में भारत के शामिल होने की बात की। उन्होंने QUAD को भी भारतीय कूटनीति की एक और सफलता बताया।
विदेश मंत्री ने कहा, “QUAD के बारे में सबसे पहले 2007 में विचार किया गया था, लेकिन दबाव के चलते इसे आगे नहीं बढ़ाया गया, हमारी सरकार में ना सिर्फ QUAD बल्कि अन्य सभी मुद्दों पर दृढ़ और स्वतंत्र स्टैंड लिया गया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि हम कोरोना महामारी के दौरान 17 लाख लोगों को वापस भारत लाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद कई ऐसे मौके हुए जहाँ पर भारतीयों को समस्याओं से बाहर निकाल कर लाया गया। यह हमारी बढ़ती शक्ति के साथ ही यह भी दिखाता है कि भारतीयों की कितनी बड़ी तादाद विदेशों में रह रही है।
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन के बाद पत्रकारों से भी बात की, जहाँ उन्होंने कनाडा, क़तर में फंसे भारतीयों और राहुल गांधी और अफगानिस्तान में भारतीय राजदूतों की मौजूदगी को लेकर उत्तर दिए। कनाडा में एजेंटों द्वारा की गई गड़बड़ी का शिकार हुए 700 छात्रों के प्रश्न पर विदेश मंत्री ने कहा कि इस मामले में कनाडा ने उन्हें बताया है कि यह भारतीय छात्र उन संस्थानों में नहीं पढ़ रहे थे, जिनमें इन्हें पढ़ना चाहिए था और जब इन लोगों ने काम के लिए आवेदन दिया तो इनके साथ समस्याएं चालू हुईं। विदेश मंत्री ने कहा कि हमने कनाडा से कहा है कि यह छात्र जिन एजेंटों की गलती का शिकार हुए हैं उन्हें सजा दी जानी चाहिए, ना कि इन छात्रों को।
पिछले दिनों कनाडा में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ऊपर अभद्र झांकी निकालने के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि यह वोटबैंक राजनीति के लिए किया जाने वाला काम है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में खालिस्तान और हिंसा फ़ैलाने वालों को जो स्थान दिया जा रहा है वह न ही दोनों देशों के रिश्तों के लिए और ना ही कनाडा के लिए अच्छा है।
राहुल गांधी द्वारा अमेरिका और इंग्लैण्ड में भारत की आन्तरिक राजनीति पर बात करने पूछे गए प्रश्न को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश जाकर भारत विरोधी बात करना उनकी आदत रही है। उन्होंने कहा कि विश्व देख रहा है यहाँ चुनाव होते हैं कभी एक पार्टी जीतती है तो कभी दूसरी पार्टी, यदि यहाँ लोकतंत्र नहीं है तो यह कैसे हो रहा है।
विदेश मंत्री ने इस दौरान कहा कि वैसे 2024 का रिजल्ट वही होगा , हमें पता है। विदेश मंत्री ने कहा कि जब उनकी बातें यहां काम नहीं करती हैं तो वह उन्हें बाहर ले जाते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि आंतरिक राजनीति को विदेशों में ले जाना देश के हित में नहीं है।
विदेश मंत्री ने रूस से भारत के संबंधों को लेकर कहा हमारे रिश्ते लगातर मजबूत और स्थायी रहे हैं। चीन से रिश्तों को लेकर उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते तभी अच्छे हो सकते हैं जब सीमाओं पर शान्ति हो और आपसी समझौतों का सम्मान हो। यदि कोई देश आपसी समझौतों का सम्मान नहीं करता तो रिश्ते अच्छे कैसे हो सकते हो सकते हैं।
विदेश मंत्री ने नए संसद भवन में अखंड भारत के भित्ति चित्र को लेकर कहा कि वह सम्राट अशोक के राज्य को दर्शाता है। जो हमारे मित्र देश हैं वह यह समझते हैं। पाकिस्तान को लेकर यह स्पष्ट है कि ना उनमें समझने की क्षमता है ना वह समझेंगे।
विदेश मंत्री ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीते दिनों कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोडी थॉमस के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत कनाडा की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने इसे ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ स्थिति जैसा बताया। विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा खुद ही खालिस्तानियों को लगातार प्रश्रय दे रहा है, ऐसे में समस्या तो हमें होनी चाहिए।
एस जयशंकर ने यह इस दौरान काबुल में भारतीय राजनयिकों को लेकर कहा कि हमने अपना स्टाफ तालिबान के कब्जे के बाद सुरक्षा की दृष्टि से निकाल लिया था लेकिन अभी हमने अफगान लोगों की सहायता के लिए कुछ तकनीशियन वहां भेजे हैं।
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