कनाडा में हुई खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के कनाडाई प्रधानमंत्री मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आऱोपों के जवाब में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आरोपों को साबित करने के लिए कनाडा से सबूतों की मांग की है।
बुधवार (नंवबर 16, 2023) को पत्रकार लियोनेल बार्बर से बात करते हुए जयशंकर ने विश्वसनीय साक्ष्य के महत्व पर जोर दिया। एस जयशंकर से पत्रकार ने पूछा था कि क्या हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता का कोई सबूत है, विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘कोई नहीं।’ कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों पर बात करते हुए जयशंकर ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने कनाडाई समकक्ष मेलानी जोली के साथ इस मामले पर चर्चा की है और कनाडाई सरकार से उनके पास मौजूद कोई भी सबूत साझा करने का आग्रह किया है।
विदेश मंत्री ने मामले में जांच पर विचार करने की भारत की इच्छा स्पष्ट की है पर इस बात पर जोर दिया कि अब तक देश को कोई सबूत उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन्होंने कहा कि ट्रूडो के मामले में मैंने अपने समकक्ष के साथ भी इस पर चर्चा की है। और हमने उनसे कहा है कि देखिए, यदि आपके पास ऐसा आरोप लगाने का कोई कारण है, तो कृपया हमारे साथ सबूत साझा करें। जयशंकर ने कहा कि हम जांच को टालने का प्रयास नहीं कर रहे हैं बल्कि वे जो भी साक्ष्य उपलब्ध करवाते हैं हम उसका संज्ञान लेने के लिए तैयार हैं। हालांकि उन्होंने हमें अभी तक कुछ भी उपलब्ध नहीं करवाया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडाई राजनीति में भारत से अलगाववाद की वकालत करने वाले हिंसक और चरम राजनीतिक विचारों के व्यापक मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा कि हम महसूस करते हैं कि कनाडा की राजनीति ने हिंसक और अतिवादी राजनीतिक विचारों को जगह दी है, जो हिंसक तरीकों सहित भारत से अलगाववाद की वकालत करते हैं। और इन लोगों को कनाडाई राजनीति में समायोजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि कनाडा की राजनीति में भारत के खिलाफ अलगाववादी विचारों को जगह मिलने के कारण भारतीय राजनयिकों पर हमले हुए हैं और वाणिज्य दूत जनरलों और अन्य राजनयिकों को धमकाया जा रहा है। जयशंकर ने कहा कि हमारे उच्चायोग पर हमले किए गए हैं। उच्चायोग पर धुआं बम फेंके गए हैं। मेरे महावाणिज्य दूत और अन्य राजनयिकों को सार्वजनिक रूप से, रिकॉर्ड पर धमकाया गया था।
उल्लेखनीय है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को इस साल अक्टूबर में ग्लासगो में एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से कुछ कट्टरपंथियों ने रोक दिया था। ‘सिख यूथ यूके’ के इंस्टाग्राम चैनल पर पोस्ट किए गए एक कथित वीडियो के अनुसार एक व्यक्ति, जो कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता है को दोरईस्वामी को ग्लासगो गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोकते हुए देखा गया था।
एस जयशंकर ने कनाडा में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने में जिम्मेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक निश्चित जिम्मेदारी के साथ आती है और उन स्वतंत्रताओं का दुरुपयोग और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उस दुरुपयोग को बर्दाश्त करना हमारे विचार से बहुत गलत होगा।
इससे पहले इस माह की शुरुआत में ट्रूडो ने कनाडा में सिख अलगाववादी नेता निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के अपने आरोप की पुष्टि करते हुए नई दिल्ली पर 40 राजनयिकों को ‘निष्कासित’ करके वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
साथ ही कनाडाई प्रधानमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर बड़े देश बिना परिणाम के अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर सकते हैं, तो यह दुनिया को और अधिक खतरनाक बना देगा। साथ ही ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। उन्होंने दावा किया था कि कनाडा हमेशा कानून के शासन के लिए खड़ा रहेगा।
गौरतलब है कि बीते माह कनाडा ने भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया था और केंद्र सरकार के फैसले के मद्देनजर चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु वाणिज्य दूतावासों में अपनी वीजा और कांसुलर सेवाएं पर भी रोक लगा दी थी। हालाँकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया दी कि भारत में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
जाहिर है कि दोनों देशों के बीच विवाद तब शुरू हुआ था जब सितंबर में ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने आरोपों को बेतुका और प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया था। वहीं, इसके बाद जब ओटावा ने एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को देश छोड़ने के लिए कहा था तो भारत ने भी एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया था।
इस विवाद के बाद भारत की ओर से भी कनाडा के लिए वीज़ा सेवाएं पर रोक दी गई थीं। हालांकि बाद में सुरक्षा स्थितियों की समीक्षा करने के बाद चार श्रेणियों के लिए सेवाएं फिर से शुरू करने का फैसला किया गया था।
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