ऐसा लगता है कि आर जी कर मेडिकल हॉस्पिटल में रेप और मर्डर की शिकार हुई डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए पूरा पश्चिम बंगाल एक साथ आ गया है, सिवाय शासन और प्रशासन के। डॉक्टर, नर्सेस, एक्टर्स, खिलाड़ी यहां तक कि बड़े फुटबॉल क्लब भी, जो शायद ही कभी एक साथ आए हों।
आपको बता दें कि सॉल्ट लेक स्टेडियम में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच होने वाले डूरंड कप को पुलिस द्वारा रद्द करवा दिया गया था। एक दूसरे के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले मोहन बागान और ईस्ट बंगाल फुटबॉल क्लब के बीच यह मुकाबला, जो इस सीजन का पहला डर्बी था, टूर्नामेंट का अंतिम लीग मैच भी था।
पुलिस के अनुसार उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि फुटबॉल मैच के स्थान पर हिंसा भड़क सकती है। विडंबना यह है कि पुलिस को यह खुफिया जानकारी तब नहीं मिली जब कुछ लोग आरजीकर अस्पताल में तोड़फोड़ करने पहुँचे थे और सबूतों को नष्ट करने में लगे थे।
खैर, पुलिस द्वारा मैच रद्द कराए जाने के बाद भी फुटबॉल क्लब ईस्ट बंगाल (East Bengal) और मोहन बागान (Mohun Bagan) के समर्थक एक मंच पर साथ आए औऱ उन्होंने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन में कई पूर्व खिलाड़ियों और अभिनेत्रियों ने भी हिस्सा लिया। पद्म पुरस्कार विजेता डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री से स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विशेष कानून बनाने की मांग की है।
मोहन बागान और ईस्ट बंगाल फैन क्लबों द्वारा ज्वाइंट पोस्टर जारी किया गया, जिसपर लिखा है, “सरकार माथ अटकले अमरा रास्ता अटकबो” यानि की यदि सरकार हमें स्टेडियम में प्रवेश करने से रोकती है, तो हम सड़कें जाम कर देंगे।
भारत के लिए खेलने वाले मोहन बागान के कप्तान सुभाशीष बोस भी अपनी पत्नी के साथ फुटबॉल प्रशंसकों के प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वे महिला डॉक्टर पर बर्बर हमले और उसके साथ बलात्कार में शामिल सभी लोगों के लिए सजा की मांग करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि किसी और महिला को इस तरह के अत्याचार से नहीं गुजरना पड़ेगा। वहीं, ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा कि यहां पुलिस की तैनाती तो ऐसे की गई है जैसे कि कोई दंगा होने वाला हो।
प्रदर्शनकारियों में शामिल मोहन बागान के समर्थक बिट्टू सेनापति ने कहा कि हम उस बहन के लिए न्याय चाहते हैं। हम मोहन बागान, ईस्ट बंगाल और मोहम्मडन एससी के फैंस यहां शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र हुए हैं तो इतने सारे पुलिसकर्मी क्यों तैनात किए गए हैं? मैच क्यों रद्द करना पड़ा? क्या हमें मृतका के लिए न्याय मांगने का हक नहीं है?
यह सवाल दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार से देश भर के डॉक्टर पूछ रहे हैं। हॉस्पिटल में विभत्स हादसा सामने आने के बाद से ही सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे लोगों के खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा कार्रवाई की जा रही है। सोशल मीडिया पर विरोध जता रहे लोगों को लीगल नोटिस भेजे जा रहे हैं, एफआईआर दर्ज की जा रही है। यहां तक कि डॉक्टर्स को ट्रांसफर का डर दिखाकर भी डराया जा रहा है।
जिस बेटी को न्याय दिलाने के लिए राज्य के चिर प्रतिद्वंदी भी साथ आ गए वहीं ममता बनर्जी सरकार का रवैया ये सवाल उठाने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर वे किसे बचाने का प्रयास कर रही हैं?
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