मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बेंगलुरु से चुनाव आयोग द्वारा प्रायोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोंधित करते हुए कहा कि झूठे सर्वे और दोषपूर्ण रैंकिंग लोकतंत्र को फायदा पहुँचाने के बजाय नुकसान पहुँचा रहे हैं। राजीव कुमार ने चुनाव प्रबंधन निकायों से ऐसे सर्वेक्षणों के लिए अलग मापदंड निश्चित करने का आह्वान भी किया है।
राजीव कुमार के अनुसार चुनाव प्रबंधन निकाय चुनावों के संचालन में व्यस्त रहते हैं और इसी बीच कुछ सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आती है। इन रेंटिंग्स में कोई चीज निश्चित नहीं होती है। इसमें कितने समावेशी पहलुओं पर मापदंड किया गया है इसकी जानकारी साझा नहीं की जाती। यह मापदंड स्वयं में बहुत अधिक प्रसिद्ध एवं प्रचारित नहीं होते हैं।
ज्ञात हो कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बीते माह के अंत में अमेरिका द्वारा आयोजित लोकतंत्र के लिए दूसरे शिखर सम्मेलन के भाग के रूप में ईसीआई द्वारा आयोजित यह तीसरा सम्मेलन है जिसका विषय ‘समावेशी चुनाव और चुनाव अखंडता’ रखा गया है। सम्मेलन में 31 देशों एवं ईएमबी के कुल 59 प्रतिभागियों के साथ ही चुनाव अखंडता के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है।
भारत का उदाहरण देते हुए राजीव कुमार ने बताया कि वर्ष, 2019 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर चुनाव कार्य किए गए। इन चुनावो में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी पर ईएमबी द्वारा किए गए इन कार्यों को सर्वेक्षणों में शामिल ही नहीं किया गया।
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राजीव कुमार ने इस दौरान किसी विशेष रिपोर्ट या सर्वेक्षण का नाम नहीं लिया। पर बीते वर्षों में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जारी लोकतंत्र रैंकिंग में भारत का स्थान काफी गिरावट के साथ दर्शाया गया है जो कि भ्रमित करने वाला है।
मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि वास्तव में विभिन्न ईएमबी और ईए (चुनाव प्राधिकरण) द्वारा किए गए कई कार्य सर्वेक्षण रिपोर्टों और कई संगठनों द्वारा प्रकाशित रेटिंग में जगह ही नहीं बना पाते। जबकि इनमें कम समावेशी संगठनों और लोगों को उच्च स्थान दे दिया जाता है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दोषपूर्ण सर्वेक्षण एवं रिपोर्टस अनजाने में ही सही पर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। EMBs और EAs की विश्वसनीयता और सर्वेक्षण एजेंसियों और डिफ़ॉल्ट रूप से लोकतंत्र द्वारा ऐसे आउटपुट की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता है।
राजीव कुमार ने इस दौरान ऐसे समूहों से आग्रह किया है कि वो सर्वेक्षणों के लिए आवश्यक मापदंड अपनाए। उन्होंने कहा कि उन कामों को सिफारिशों के रूप में शिखर सम्मेलन से पहले रखा जाएगा, जो 29 मार्च और 30 मार्च को वर्चुअल रूप से आयोजित होने वाला है।
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वहीं इससे पहले गुरुवार (09-03-2023) को राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्त अनूप पांडे और अरुण गोयल के साथ कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा भी लिया था। इसमें चुनाव आयोग की टीम ने राज्य सचिवालय में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग बैठक की थी। इस दौरान राजनीतिक दलों द्वारा भी चुनाव आयोग के साथ अपने सुझाव साझा किए गए थे।