पाकिस्तान के विवादित ग्वादर पोर्ट के एक इलाके में तेल भंडारण डिपो में आग लगने की घटना सामने आई है। चीन के द्वारा विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह पर हुई इस घटना के पीछे बलोच लड़ाकों का हाथ माना जा रहा है।
प्राप्त खबरों के अनुसार, ग्वादर बलूचिस्तान के जिवानी इलाके में 14 दिसम्बर की शाम को बलोच लड़ाकों ने तेल के भण्डारण वाले इलाके में आग लगा दी जिससे भारी नुकसान की सम्भावना है। जिस इलाके में घटना हुई वह चीन पाकिस्तान प्रोजेक्ट CPEC का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इससे पहले भी कई बार बलोचिस्तान के बलोच लड़ाके पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए चीन पाकिस्तान के साझे वाले कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर हमला कर चुके हैं। कई बार पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों पर हमला भी हुआ है जिसमें कई चीनी नागरिक जान भी गँवा चुके हैं।
हालाँकि, ताजा घटना में आधिकारिक रूप से शॉर्ट सर्किट की बात कही गई है। घटना में कई नावों के जलने की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं। यह इलाका समुद्री तट पर है जहाँ बड़े पैमाने पर नाविक आबादी रहती है। इस आग के कारण समुद्र के किनारे खड़े 12 से अधिक जहाज जल गए।
इलाके में रहने वाली बलोच आबादी पाकिस्तान और चीन के इस इलाके में साझेदारी का लम्बे समय से मुखर विरोध कर रही है। उनका कहना है कि पाकिस्तान इस इलाके के बहुमूल्य संसाधन चीन को कौड़ियों के भाव दे रहा है और विरोध करने पर बलोच लोगों पर अत्याचार कर रहा है।
पकिस्तान के अखबार डॉन के अनुसार, घटना पर पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि जिन लोगों का डीजल इन भंडारग्रहों में रखा था उनका लाखों का नुकसान हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि इस घटना में कम से कम 7 नावें जल कर ख़ाक हो गईं।
पाकिस्तान इस समय राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक रूप से काफी समस्याएं झेल रहा है। एक ओर उसकी अफगानिस्तान से बड़े स्तर पर सीमा पर झड़प चल रही है, वहीं दूसरी ओर उसकी आर्थिक हालत काफी खस्ताहाल है। इसी बीच बढती आंतरिक सुरक्षा चिंताओं ने उसके अकेले दोस्त चीन को भी निवेश पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
ग़ौरतलब है कि ग्वादर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है और चीन पाकिस्तान के इस बंदरगाह को आर्थिक गलियारे की अपनी नीति के तहत विकसित कर रहा है। एक तरह से देखें तो भारत को घेरने की चीनी नीति में ग्वादर का अहम रोल हो सकता है।