वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय सलाह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वित्त मामलों पर आम जनमानस को प्रभावित करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को लेकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
वित्त मंत्री के अनुसार सरकार फिलहाल ऐसे इन्फ्लुएंसर को नियंत्रित करने पर विचार नहीं कर रही है पर इस विषय में लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता पर बल अवश्य दिया है।
हाल के वर्षों में कई लोगों के लिए वित्तीय सलाह आय का एक लोकप्रिय स्रोत बन गया हैं और वित्तीय सलाह देने वाले सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हो गए हैं।
ऐसे व्यक्ति इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेश, व्यक्तिगत वित्त और धन प्रबंधन जैसे विभिन्न वित्तीय मामलों पर सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2022 तक, भारत में 530 मिलियन से अधिक सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ता थे, जिनमें फेसबुक सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म था।
इसके अलावा व्हाट्सएप, यूट्यूब और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल इस तरह की सलाह देने के लिए किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि वित्तीय सलाहकारों के लिए सोशल मीडिया एक बहुत बड़े यूजर बेस के लिए इस तरह की सलाहों का बड़ा माध्यम है।
वित्त मंत्री के अनुसार इन इन्फ्लुएंसर की साख और विश्वसनीयता बहुत भिन्न हो सकती है और कुछ अपने स्वयं के वित्तीय हितों से प्रेरित हो सकते हैं।
वित्तीय मामलों के इन्फ्लुएंसर की संख्या में पिछले कुछ समय से न केवल लगातार वृद्धि हुई है बल्कि ऐसे इन्फ्लुएंसर की सलाह की विश्वसनीयता ने चिंताओं को भी जन्म दिया है।
इन्हीं कारणों ने केंद्र सरकार को ऐसे इन्फ्लुएंसर की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए प्रेरित किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ऐसे इन्फ्लुएंसर के लिए बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचना और विभिन्न वित्तीय मामलों पर सलाह देना आसान बना दिया है।
इसके परिणामस्वरूप जो लोग ऐसे वित्तीय सलाहकारों से प्रभावित होते हैं, उन्हें पक्षपाती या भ्रामक सलाह मिलने और वित्तीय हानि होने की संभावना हमेशा रहती है।
वित्त मंत्री ने पोंजी स्कीम चलाने वाले ऐप्स के बढ़ने और उनसे जुड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों के कारण निवेशकों के बीच अधिक जागरूकता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
वित्त मंत्री ने यह याद दिलाया कि सरकार द्वारा विनियमन या नियंत्रण की कमी का अर्थ यह नहीं है कि निवेशकों को सावधानी नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने निवेशकों द्वारा निजी उचित परिश्रम और योग्य पेशेवरों से सलाह के महत्व पर भी बल दिया है।
वित्तीय मामलों में आम जनमानस को प्रभावित करने वालों के बारे में चिंताओं के जवाब में वित्त मंत्री ने ऐसी गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी दी है।
निर्मला सीतारमण ने प्रभाव डालने वालों से वित्तीय सलाह लेते समय व्यक्तियों को सावधान रहने की आवश्यकता पर जोर दिया और उनसे कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना शोध करने का आग्रह किया।
उन्होंने लोगों से ऐसे योग्य पेशेवर वित्तीय सलाहकारों या लेखाकारों से सलाह लेने का आग्रह किया जो लोगों की विशिष्ट वित्तीय स्थिति और लक्ष्यों के आधार पर अनुरूप सलाह प्रदान कर सकते हैं।
वित्त मंत्री की सावधानी बरतने का आह्वान और फर्जी गतिविधियों पर नकेल कसने के सरकार के प्रयास और निवेशकों की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा की दिशा में सही दिशा में उठाए गए कदम हैं।
ज्ञात हो कि हाल के दिनों में अरशद वारसी का मामला ऐसे ही इन्फ्लुएंसर द्वारा वित्तीय सलाह के नाम पर धोखा-धड़ी के सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक है।
2020 में, बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी को कथित रूप से राज कुंद्रा नामक एक वित्तीय प्रभावक द्वारा धोखा दिया गया था। कुंद्रा ने वारसी को फ्लेयर फाइनेंस नामक कंपनी में निवेश करने के लिए राजी किया था, जिसने निवेश पर उच्च रिटर्न का वादा किया था।
वारसी ने कुंद्रा की सलाह के आधार पर कंपनी में काफी पैसा लगाया, लेकिन बाद में पता चला कि कंपनी एक धोखाधड़ी योजना में शामिल थी।
वारसी ने कुंद्रा और अन्य पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। कुंद्रा को बाद में गिरफ्तार किया गया और उन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया।
यह मामला प्रभाव डालने वालों से वित्तीय सलाह का पालन करने के संभावित जोखिमों और किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले उचित परिश्रम करने और योग्य पेशेवरों से सलाह लेने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
भारत सरकार ने वित्तीय मामलों में इन्फ्लुएंसर्स की गतिविधियों को विनियमित करने के लिए भी उपाय किए हैं। 2021 में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए नियमों का प्रस्ताव किया जिसमें ऐसे इन्फ्लुएंसर्स द्वारा वित्तीय सलाह प्रदान करने के लिए अपनी योग्यता और उनके मुआवजे की प्रकृति का खुलासा करने की आवश्यकता होगी।
इसके अतिरिक्त, सेबी ने प्रभावित करने वालों को उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी सलाह के लिए जवाबदेह ठहराने का प्रस्ताव दिया है।
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