एक बार फिर इस टूर्नामेंट में सभी को अचंभित कर देने वाली मोरक्को की फुटबॉल टीम अल बाएत स्टेडियम पहुंच चुकी थी।
मोरक्को की टीम इस विश्व कप की डार्क हॉर्स बन के उभरी थी। उनके पास आज खोने के लिए कुछ भी नहीं था। मोरक्को ने ग्रुप स्टेज में बेल्जियम को हराया था। फिर अंतिम सोलह चरण के अपने मैच में ट्रॉफी के दावेदारों में गिनी जा रही स्पेन को पेनाल्टी शूटआउट तक गए मुकाबले में बाहर कर सभी को चौंकाया था।
मोरक्को की टीम इतने भर से नहीं मानने वाली थी। स्पेनिश क्लब सैविया के लिए खेलने वाले नेस्येरी के जबरदस्त गोल के दम पर मोरक्को ने क्वार्टर-फाइनल मैच में पुर्तगाल को टूर्नामेंट से बाहर कर सभी को हैरान कर दिया था।
आज से चंद माह पूर्व भी यह कौन सोच सकता था कि अपने अंतिम विश्व कप में क्रिस्टियानो रोनाल्डो को मोरक्को की टीम से हार कर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ेगा। यह जीत तो विशेषकर ऐतिहासिक थी। इस जीत के साथ मोरक्को की टीम ने कोच वालिद रेग्रागुई के शब्दों को सच कर दिखाया था।
वालिद रेग्रागुई, जो कि इससे पूर्व कासाब्लांका क्लब की बागडोर संभाले हुए थे, को विश्व कप से मात्र चार माह पूर्व मोरक्को की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम का मैनेजर बनाया गया था। वह कासाब्लांका के साथ एफ्रिकन चैंपियंस लीग जीत चुके थे मगर यह थोड़ा बड़ा था।
कोच वालिद रेग्रागुई ने टीम की कमान मिलते ही सर्वप्रथम अपने खिलाड़ियों से कहा था, ” हम यहाँ सिर्फ तीन मैच खेलने नहीं जा रहे हैं, हम संपूर्ण विश्व को बता देंगे हम कौन हैं।”
एटलस लाएंस का सामना आज रात अल बाएत स्टेडियम में गत विजेता फ्रांस की टीम से होने जा रहा था। यह सेमीफाइनल बेहद खास होगा इसमें किसी को भी शक नहीं था।
दीदिएर देश्चैंप्स की फ्रेंच टीम टूर्नामेंट में बेंजेमा, पोग्बा, एनकूंकु, कांते, हर्नान्देज़, अनुभवी डिफेंडर किम्पेंबे व अपने रिजर्व कीपर आरियोला के बिना आई थी. यह सभी खिलाड़ी विश्व कप से ठीक पहले क्लब फुटबॉल खेलते हुए चोटिल हो गए थे।
लेकिन फ्रेंच राष्ट्रीय टीम का पूल कितना गहरा है इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि इतने बड़े नामों की गैरमौजूदगी में भी दीदिएर देश्चैंप्स की फ्रेंच टीम को सेमीफाइनल तक पहुँचने में कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी थी।
फ्रांस ग्रुप स्टेज से ही लगातार बेहतरीन फुटबॉल खेल रही है। पोग्बा व कांते की कमी को देखते हुए कोच देश्चैंप्स ने आद्रियन राबियो के संग युवा युसुफ फोफाना को मैदान पर उतारा।
इन के साथ मिडफील्ड में रचनात्मकता के बने रहने के लिए कोच देश्चैंप्स ने अपने चहेते विंगर ग्रिज़मान को इस टूर्नामेंट में एक मिडफील्डर के तौर पर खिलाया। इसने उन्हें डेम्बेले को दाईं फ्लैंक पर खिलाने का मौका भी दे दिया।
कहीं न कहीं यह दांव फ्रांस के पक्ष में ही गया है। फ्रांस टीम की बांई फ्लैंक पर कीलिएन एमबाप्पे व दाईं फ्लैंक पर उस्मान डेम्बेले खेलते हैं। यह विपक्षी टीम के लिए बिल्कुल F-16 के जंगी बेड़े का सामना करने जैसा हो जाता है। दोनों ही विंगर्स के पास गजब की गति है। आपने पलक झपकी नहीं कि यह दोनों ही आपकी नजरों से ओझल हो जाते हैं।
खैर, भारतीय समयानुसार 15 दिसम्बर 2022 को रात साढ़े बारह बजे कतर विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल का किक-ऑफ हुआ। अल बाएत स्टेडियम में एटलस लाएंस का सामना था गत विजेता दीदिएर देश्चैंप्स की लेस बल्यूज़ से।
मोरक्को की टीम पांच डिफेंडरों के संग मुकाबले में उतरी थी। तो वहीं फ्रांस ने भी आज डिफेंस लाइन में अनुभवी वराने के संग इब्राहिमा कोनाटे को मौका दिया था।
पूरा स्टेडियम एक खौफनाक लाल समंदर सा प्रतीत हो रहा था। पूरा स्टेडियम मोरक्को के समर्थकों से खचाखच भरा पड़ा था। चारों ओर उन्माद था और पूरे जोश के साथ मोरक्को की टीम की हौसला अफ़ज़ाई चल रही थी। लेकिन मैच के पांचवे मिनट में ही अटैकिंग लेफ्ट बैक थीओ हर्नान्देज़ ने गोल दाग कर फ्रांस को बढ़त दिला दी।
यह थोड़ा अप्रत्याशित सा था। किसी ने भी ऐसी उम्मीद न की थी। टूर्नामेंट में पहली दफा मोरक्को की टीम पर किसी टीम ने बढ़त बना ली थी। मोरक्को ने कतर विश्व कप में यह सिर्फ दूसरा गोल खाया था। लेकिन मोरक्को दबाव में बिखरी नहीं।
वह अच्छा रक्षात्मक फुटबॉल तो खेल ही रहे थे परन्तु फ्रेंच गोलपोस्ट पर हमले करने के मौके भी तलाश रहे थे। मैच के अठारहवें मिनट में चोटिल कप्तान साएस़ को मैदान से बाहर जाना पड़ा।
अचरफ हाकीमि ने बेहद शानदार फुटबॉल खेली। वह लगातार मैदान की दाईं छोर पर हाकिम जियेश़ के संग तालमेल कर बेहतरीन मूवमेंट्स कर रहे थे। अमराबात लगातार प्रयास कर रहे थे कि गेंद विपक्षी बॉक्स में ले जाई जाए। मोरक्को के पास मैच में बासठ प्रतिशत वक्त गेंद रही। मगर वह अंततः कोई गोल स्कोर नहीं कर सके।
आशा के विपरीत वे लगातार विपक्षी बॉक्स में हलचल मचा रहे थे, परन्तु जीत उसकी ही होती है जो मैच में ज्यादा गोल स्कोर करता है और 79 वें मिनट में सब्स्टीट्यूट कोलो मुआनी ने आते ही जो गोल लगाया था उससे स्कोर 2-0 हो गया था।
मैच की समाप्ति पर मोरक्को की टीम व समर्थकों की आंखें नम थीं। यह ठीक एक हसीन ख्वाब देखते हुए एकाएक आपकी नींद के टूट जाने जैसा था। मोरक्को की इस वैभवशाली रथयात्रा पर आज गत विजेता दीदिएर देश्चैंप्स की लेस बल्यूज़ ने शानदार तरीके से लगाम लगा दी थी।
मोरक्को अच्छा खेली थी। मोरक्को लड़ कर हारी थी और वाकई, आज मैदान पर मोरक्को के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था। वह हार कर भी जीत गए थे।
खैर, अब रविवार को होगा महासंग्राम। जीत के लिए भूखी नजर आ रही अर्जेंटीना की टीम का सामना होगा लगभग हर मायने में ही परफेक्ट नजर आ रही फ्रांस की टीम से। फ्रांस की यह टीम गत विजेता है।
अर्जेंटीनी मिडफील्डर डि पॉल ने कल शाम ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ” हम जर्सी के लिए तो खेलते ही हैं परन्तु हम मेस्सी के लिए भी खेलते हैं। हम मैदान पर अर्जेंटीना व मेस्सी के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर देंगे।”
अब सभी को इंतजार है रविवार को होने जा रहे महा मुकाबले का। हर खेल प्रेमी के मन में यही सवाल है; क्या अंततः रविवार को मेस्सी की ताजपोशी हो सकेगी? क्या वाकई खुदा अपनी अधूरी लिख छोड़ी कविता को इस दफा पूरा कर लेगा? क्या वह अपने सबसे बेहतरीन महाकाव्य को एक सुखांत दे सकेगा?
अब इंतजार है तो बस आने वाले रविवार को होने जा रहे फीफा विश्व कप के फाइनल मैच का। तब तक भला कैसे रूह को सुकून और आखों को नींद मयस्सर होगी।