यह बेहद चमत्कारी था, बेहद अद्भुत। मानो खुदा खुद अपनी आधी लिखी कविता को पूरा कर लेना चाहता था, आज की रात।
लुसैल स्टेडियम में आज की रात कतर विश्व कप का पहला सेमीफाइनल खेला जाना था। सम्पूर्ण विश्व की नजरें इस मैच पर टिकी हुई थीं। सम्पूर्ण विश्व को इंतजार था तो बस आज रात के इस मैच के किक-ऑफ का।
अर्जेंटीना का सामना था, क्रोएशियाई कर्नल मौद्रिच़ की सेना से। सैंतीस वर्षीय लूका मौद्रिच़ क्रोएशिया के बहुत बड़े नायक हैं। याद कीजिए पिछले विश्व कप में वो उनका चमत्कारी प्रदर्शन। वह कैसे एक कमतर आंकी जा रही टीम को अपने बेहतरीन खेल के बूते फाइनल तक लेकर गए थे।
मगर, यह दोनों ही टीमों के लिए दस नम्बर की जर्सी पहनने वाले खिलाड़ियों का अन्तिम विश्व कप है। लियोनेल मेसी हों या लूका मौद्रिच़, दोनों ही खिलाड़ी अब आगे अपनी राष्ट्रीय टीमों के लिए खेलते हुए नजर नहीं आएंगे। यह दोनों ही खिलाड़ी अब आगे कभी भी अपनी राष्ट्रीय टीमों की जर्सी पहने नजर नहीं आएंगे। वह दोनों ही इस बात से परिचित थे। सारा संसार इस बात से परिचित था।
लियोनेल मेसी हों या लूका मौद्रिच़, दोनों ही खिलाड़ी क्लब फुटबॉल का हर संभव खिताब जीत चुके हैं। एक यह ‘जूल्स रिमे’ ट्रॉफी ही है जो इन दोनों के ट्रॉफी कैबिनेट में नहीं है।
खैर, रात ठीक साढ़े बारह बजे (भारतीय समयानुसार) विश्व कप के पहले सेमीफाइनल का किक-ऑफ हुआ। अर्जेंटीनी कोच लियोनेल स्कालोनी ने जहाँ पिछले मैच में नीदरलैंड्स के अटैक को देखते हुए 3-5-2 की फॉरमेशन में टीम को उतारा था। वहीं इस बार, क्रोएशिया की लाइनअप को देखते हुए, उन्होंने 4-4-2 की फॉरमेशन में टीम को मैदान पर उतारना ठीक समझा। मेसी के साथ युवा अल्वारेज़ आगे अटैकिंग लाइन में थे। वहीं क्रोएशियाई कोच डालिक ने हर बार की तरह 4-3-3 की फॉरमेशन अपनाई थी। उनके पास मिडफील्ड में मौद्रिच़, कोवाचिच़ व ब्रोजोविक के रूप में एक अकाट्य मिडफील्ड थी।
मैच के शुरुआती क्षणों से ही क्रोएशियाई टीम ने पज़ेशन अपने पास रखा। गेंद ज्यादातर उनके कब्जे में रहती। इसमें उनके तीनों मिडफील्डरों का बड़ा योगदान था। दोनों ही टीमें सतर्क रहते हुए खेल रही थीं क्योंकि यह मैच एक नॉकआउट मैच था, कोई भी टीम पहले गोल खाने के मूड में नहीं थी।
लेकिन क्रोएशिया की डिफेंस लाइन से एक छोटी सी गलती मैच के चौंतीसवें मिनट में हुई। अपने बॉक्स में ही उन्होंने जूलियन अल्वारेज़ को फाउल कर दिया था और रेफरी ने अर्जेंटीना को पेनल्टी दे दी थी। कप्तान मेसी ने पेनल्टी को गोल में तब्दील कर स्कोर 1-0 कर दिया था।
यहाँ से तो एकाएक अर्जेंटीना ने अपने गीयर बदलने शुरू कर दिए। अब फिर पाँच मिनट पश्चात एक चमत्कार हुआ। मैच के उन्तालिसवें मिनट में जब गेंद अर्जेंटीना के बॉक्स में थी तो पहले डिफेंस ने अच्छा बचाव किया और फिर फर्नान्देज़ ने गेंद मेसी की दिशा में उछाली। इरादा काउंटर अटैक करने का था। मेसी ने गेंद तुरन्त एक ही टच कर साथी खिलाड़ी अल्वारेज़ की ओर बढ़ा दी। अल्वारेज़ गेंद को लेकर विपक्षी गोलपोस्ट की दिशा में दौड़े। उनके आसपास कोई अर्जेंटीनी खिलाड़ी नहीं था। उन्हें क्रोएशिया के लम्बे चौड़े डिफेंडरों ने घेरा हुआ था। मगर वो बेखौफ गेंद लिए लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। डिफेंस लाइन ने उन्हें टैकल करना चाहा मगर यह चाहत भर रह गई। अल्वारेज़ गेंद को लिए अकेले ही आगे बढ़ते हुए विपक्षी बॉक्स में घुसपैठ कर चुके थे और अगले ही पल गेंद गोलकीपर लीवाकोविच़ को छका कर क्रोएशिया के गोलपोस्ट में आराम फरमा रही थी। स्क्रीन पर स्कोर 2-0 हो चला था। अल्वारेज़ गोलपोस्ट के ठीक पीछे दर्शकों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। यह उनका लम्हा था। यह सब बड़ी तेजी से चंद सेकेंड्स भर में हो गया था।
इसके बाद तो मेसी और अल्वारेज़ अपने रंग में आ गए थे। मानो कोई राइडर अपनी बुलेट लेकर लेह लद्दाख की ऊँचाई फतह करने निकला हो। बाकी दुनिया की कोई फिक्र नहीं। वे लगातार मौके बनाते। दाँई फ्लैंक पर अल्वारेज़ का साथ मोलीना दे रहे थे। ऐंजो फर्नान्देज़ व मैक एलिस्टर बेहतरीन फॉर्म में थे। टीम अब क्रोएशिया पर कई हमले कर रही थी। क्रोएशियाई कोच डालिक ने तुरन्त फॉरमेशन 4-2-2 की व पेटकोविच़ को दूसरे स्ट्राइकर के रूप में अन्दर लाए। इरादा था कि ज्यादा अटैक किए जाएँ। मगर क्या लियोनेल मेसी को कभी रोका जा सकता है भला?
मैच के 79वें मिनट में मैदान की दाईं छोर पर गेंद मेसी को मिलती है। वह गेंद लेकर आगे बढ़ते हैं। साथ में हैं बीस वर्षीय विपक्षी डिफेंडर जॉस्को ग्वार्डियोल। जॉस्को ग्वार्डियोल, इस विश्व कप की खोज। जॉस्को ग्वार्डियोल; जिन्हें टूर्नामेंट पश्चात रीयल मैड्रिड की मैनेजमेंट टीम मुँह मांगी रकम देकर खरीदने का इरादा बना चुकी थी।
मेसी के आगे भला ग्वार्डियोल की क्या बिसात। ग्वार्डियोल ने मेसी को मार्क करने का प्रयास तो किया मगर वह पूर्णत: असफल रहे। पैंतीस वर्षीय मेसी ने मानो अपना सर्वश्रेष्ठ इस एक लम्हें के लिए बचा कर रखा था। वह अकेले ग्वार्डियोल जैसे उम्दा डिफेंडर को छकाते हुए गेंद लेकर क्रोएशियाई बॉक्स के भीतर घुस गए।
मेसी फुटबॉल के सबसे उम्दा पेंटर हैं और फुटबॉल के तमाम मैदान उनके कैनवास हैं। उन्होंने ग्वार्डियोल के तमाम प्रयासों को असफल कर बेहद खूबसूरती के साथ गेंद अल्वारेज़ की दिशा में बढ़ा दी। अल्वारेज़ ने मैच में अपना दूसरा व टीम का तीसरा गोल दाग दिया।
आखिरकार मैच समाप्त होता है। अर्जेंटीना 3-0 से जीत गई थी। दर्शकों की खुशी की कोई सीमा न थी। सभी खिलाड़ी उत्साहित थे। यह किसी उत्सव के समान था। अर्जेंटीना के साथ हल्की नीली व सफेद जर्सी पहने मेसी एक दफा फिर विश्व कप के फाइनल में जगह बनाने जा रहे थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था।
यह किसी ख्वाब के सच होने जैसा था। क्या वाकई खुदा अपनी अधूरी लिख छोड़ी कविता को इस दफा पूरा कर लेगा? क्या वह अपने सबसे बेहतरीन महाकाव्य को एक सुखांत दे सकेगा? यह सब सोच के परे था।
आज का दिन मेस्सी-अल्वारेज़ का दिन था। आज का दिन लातिन अमेरिकी मैजिक का दिन था आज का दिन अर्जेंटीना का दिन था। अलविदा लूका। अलविदा क्रोएशिया।
इस से भी कठिन अलविदा एक और सामने आई है। फ़ुटबॉल के मसीहा की ओर से। लियोनेल मेसी ने ऐलान किया है कि यह फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप उनका आख़िरी वर्ल्ड कप होगा। इसके बाद फ़ुटबॉल की दुनिया का क्या होगा, इस पर फ़ुटबॉल के मसीहा ने कुछ नहीं कहा।