कोच फर्नान्दो सांतोस का जहाजी बेड़ा पर्शियन गल्फ में बेखौफ आगे बढ़ता जा रहा था। रोनाल्डो, ब्रुनो, पेपे, कैंसेलो, बर्नार्डो सिल्वा आदि मंजे हुए खिलाड़ी और होआओ फैलिक्स व लियाओ जैसे युवा सितारों से सजी एक टीम थी पुर्तगाल जिसको रोक पाना लगभग नामुमकिन सा लग रहा था। अंतिम सोलह चरण में जिस बेखौफ अंदाज में स्विट्जरलैंड का किला नेस्तनाबूत कर संपूर्ण विश्व के नाम उन्होंने एक संदेश भेजा था वह देखकर लग नहीं रहा था कि कोई उनको रोकने की हैसियत भी रखता है।
पूरे टूर्नामेंट में उनकी डिफेंस किसी को भी उनके गोल पोस्ट के नजदीक फटकने तक का भी एकदम मौका नहीं दे रही थी। मिडफील्ड ने कमाल का खेल दिखाया था। फॉरवर्ड लाइन में होआओ फैलिक्स ने चोटिल खिलाड़ियों की कमी बिल्कुल भी नहीं खलने दी। इक्कीस वर्षीय रामोस ने तो आते ही इतने बड़े मंच पर स्वयं को स्थापित कर दिया था/
परन्तु, मोरक्को इस विश्व कप के डार्क हॉर्स बनकर उभरी है। उनके पास यूँ तो खोने के लिए कुछ भी नहीं था परन्तु छू लेने को एक उनमुक्त गगन बाहें फैलाए खड़ा था। पहले ग्रुप स्टेज में बेल्जियम को पीटा, फिर अंतिम सोलह में शानदार अंदाज में ट्रॉफी के दावेदारों में गिनी जा रही स्पेन को धोया और आज रात नेस्येरी के जबरदस्त गोल के दम पर एक अदब के साथ पुर्तगाल को टूर्नामेंट से बाहर का दरवाजा दिखा कर मोरक्को ने संपूर्ण विश्व में न जाने कितनी आखों को नम कर दिया।
बोनो, हाकीमी, जियेश़, नेस्येरी, बुफाल आदि तमाम खिलाड़ी आज हम सभी के नायक हैं। उन्होंने साबित कर दिखाया कि जज्बा हो तो कोई भी जंग जीती जा सकती है और कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
इस दुनिया का यही सच है; आप के संघर्ष के दिनों में आप नितांत अकेले होते हैं परंतु छोटी सी सफलता मिलते ही सारी दुनिया आपको घेर लेती है। आपका गुणगान किया जाता है। जबकि जरूरत है कि हमें हमारी हार पर भी गर्व करना सिखाया जाए, हमें हारी हुई बाज़ियों में सराहा जाए। मोरक्को न जाने कितनी दफा लड़ी। मोरक्को न जाने कितनी दफा लड़ कर हारी। तब कहीं जाकर आज मोरक्को इस मंच पर जीत पर जीत दर्ज कर रही है।
मोरक्को पहला अफ्रीकी राष्ट्र हो गया है जो फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में उतरेगा। वहाँ उसका सामना गत विजेता फ्रांस से होगा। मोरक्को की यह जीत हम सभी के लिए भी एक सीख सरीखी है। जरूरत है कि मोरक्को की इस जीत से प्रेरणा ली जाए।
फ्रांस, जो कि 2018 विश्व कप के चैंपियन हैं, ने अल बाएत स्टेडियम में टूर्नामेंट के अंतिम क्वार्टर फाइनल मुकाबले में 2-1 से इंग्लैंड को हरा कर मोरक्को के खिलाफ सेमीफाइनल में खेलने के लिए अपनी जगह पक्की की।
अनुभवी वराने को सैंट्रल डिफेंस में लाते हुए जूल्स कुंडे को कल रात खेले गए मैच में राइट बैक की भूमिका में उतारा गया था। इंग्लैंड ने गोल पर कुल सोलह शॉट लगाए जिसमें से निशाने पर मात्र आठ शॉट ही थे। फिर भी एक पेनल्टी के अलावा इंग्लैंड कोई गोल स्कोर नहीं कर सकी। फ्रांस ने पहले बाईस वर्षीय चुआमेनी के गोल से मैच में बढ़त ली थी और फिर अठ्हत्तरवें मिनट में ओलीवियर जीरू ने निर्णायक गोल लगा कर गत चैंपियन्स की जगह अंतिम चार में पक्की कर दी।
मैच में अंतिम क्षणों में हैरी केन को फिर एक पेनल्टी मिली थी। थीयो हर्नान्देज़ ने अपने ही बॉक्स में मेसन माउंट को फाउल कर गिरा दिया था। गोल लगते ही इंग्लैंड मैच में वापसी कर लेती, मगर अफसोस ऐसा हो न सका। हैरी केन दबाव में स्पॉट किक को निशाने पर नहीं रख सके। यह उन्हें आने वाले कई वर्षों तक सताएगा। इंग्लैंड टूर्नामेंट से बाहर हो गया; कप, एकदफा फिर, घर नहीं लौट रहा है।
अब सेमीफाइनल की लाइनअप तैयार है। टूर्नामेंट में बची इकलौती लातिन अमरीकी टीम अर्जेंटीना का मुकाबला होगा गत उपविजेता क्रोएशिया से। वहीं विश्व कप के इतिहास में सेमीफाइनल में पहुंचने वाली प्रथम अफ्रीकी टीम बनने का गौरव हासिल करने वाली मोरक्को के सम्मुख खड़ी होगी गत विजेता फ्रांस की टीम।
क्या मेस्सी वह कर सकेंगे जो क्रिस्टियानो रोनाल्डो पुर्तगाल के साथ नहीं कर सके? क्या मोरक्को कतर के प्रायद्वीप में पुनः एक विशाल शिकार करेंगे? क्या दीदिएर देश्चैंप्स की फ्रांस लगातार दो विश्व कप खिताब जीत जाएगी? क्या लूका मौद्रिच़ अंततः क्रोएशिया को विश्व कप की ट्रॉफी छू सकने का स्वर्णिम अहसास करा सकेंगे? इन सवालों के जवाब बस अब कुछ ही दिन दूर हैं। कतर विश्व कप वाकई वर्षों तक याद किया जाएगा।