सुबह के चार बज रहे थे। कुछ एक लोग सड़कों पर निकल आए। गली में कुत्तों व चिड़ियाँ का शोर शुरू हो गया था। मैच बस समाप्त ही हुआ था। मुझे आज तड़के सुबह जाग कर चर्चगेट की लोकल पकड़ कर दफ्तर भी जाना है, लेकिन आँखों में नींद ही नहीं थी।
आसान नहीं होता है, एक एशियाई मूल के इंसान के लिए फुटबॉल फैन होना। आपको रात-रात जग मैच देखने होते हैं और फिर सुबह उठकर कॉलेज, ऑफिस आदि भी जाना होता है। यह किसी कठोर तपस्या सरीखा ही तो है।
बीती रात कतर में खेले जा रहे फुटबॉल विश्व कप के पहले दो क्वार्टर फाइनल मुकाबले खेले गए। दोनों ही मैच बेहद रोमहर्षक रहे।
पहले क्वार्टर फाइनल में विश्व कप की दावेदार मानी जा रही ब्राज़ील की टीम का सामना पिछले विश्व कप की उपविजेता क्रोएशिया से था। ब्राज़ील की शुरुआती लाइनअप में विनिशियस जूनियर, नेमार, राफिन्हा व रिचार्लिसन जैसे घातक अटैकिंग माइंडेड फॉरवर्ड थे। कोच तीते के जांबाज शुरू से ही अटैक करने का इरादा बना कर मैदान में उतरे थे।
ब्राज़ील लगातार विपक्षी गोलपोस्ट पर हमले कर रही थी। रिचार्लिसन, विनिशियस व नेमार ने लगातार गोल करने के कई अच्छे मौके बनाए। मगर क्रोएशिया के सत्ताइस वर्षीय गोलकीपर लीवाकोविच मानो सोच कर बैठे थे- नॉट टुडे। उन्होंने अकेले अपने दम पर ब्राज़ीली अटैक को रोक कर रखा।
क्रोएशिया के लिए मिडफील्ड में लूका मौद्रिच, कोवाचिच व ब्रोजोविच ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया। एकबार फिर ग्वार्दिओल के नेतृत्व में डिफेंस में सभी खिलाड़ी बेहद ही मुस्तैद नजर आए। यह कल्पना से परे है कि कैसे एक सैंतीस वर्षीय मौद्रिच बिना रेस्ट लिए लगातार इतने लंबे मुकाबले खेलते ही चले जाते हैं।
नब्बे मिनट तक स्कोर 0-0 रहने के चलते मैच एक्सट्रा टाइम में गया। यहाँ मैच के 106वें मिनट में नेमार ने गोल स्कोर कर क्रोएशिया के खिलाफ ब्राज़ील को अहम बढ़त दिला दी। पूरा स्टेडियम जोश में झूमने लगा। चारों ओर ब्राज़ीली झंडे लहराने लगे।
ऐसा लगा अब तो ब्राज़ील जीत कर अगले दौर में जगह बना लेगी। एकबार फिर ब्राज़ीली खिलाड़ियों का टैंगो नृत्य देखने को मिलेगा। मगर, क्या कभी इतनी आसानी से जिंदगी में कुछ भी होता है। मैच के 117वें मिनट में सोलह नम्बर की जर्सी पहने सबस्टिट्यूट पैटकोविच ने एक गोल स्कोर कर क्रोएशिया को अभयदान प्रदान किया। यहाँ से क्रोएशिया ने मुड़कर नहीं देखा।
एक्स्ट्रा टाइम की समाप्ति पर स्कोर एक बार फिर 1-1 से बराबरी पर ही रहा था क्योंकि नॉकआउट मैचों में विजेता का फैसला होना जरूरी था तो अब आगे मैच गया पैनल्टी शूटआउट में।
ब्राज़ील के लिए गोलपोस्ट पर अनुभवी ऐलीसन खड़े थे। वहीं क्रोएशिया के लिए गोल किक्स रोकने की जिम्मेदारी थी, डिनामो ज़ाग्रेब के लिए क्लब फुटबॉल खेलने वाले गोलकीपर लीवाकोविच पर। मैच अब कोई भी रुख ले सकता था।
पहली ही पेनल्टी लेने कोच तीते ने रोड्रिगो गोएज़ को भेजा। यह फैसला ठीक साबित नहीं हुआ। रोड्रिगो दबाव में बिखर गए। पहली ही पेनल्टी दरअसल आपकी लय तय करती है। यहाँ रोड्रिगो ने जैसे ही पेनल्टी मिस की, क्रोएशिया ने फिर ब्राज़ील को उबरने का मौका नहीं दिया। आगे मार्क्विन्हॉस ने भी अपनी पेनल्टी मिस कर दी, इसके साथ ही क्रोएशिया ने फिर एक बड़ा शिकार कर टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली पहली टीम बन जाने का गौरव हासिल किया।
मैच के सितारे रहे क्रोएशियाई गोलकीपर लीवाकोविच। वो क्रोएशिया के लिए गोलपोस्ट के समक्ष एक दीवार बन कर खड़े रहे। कुल ग्यारह सेव कर उन्होंने हर ब्राज़ीली का विश्व कप जीतने का ख्वाब तोड़ दिया। ब्राज़ील में कप से कम कुछ भी मंजूर नहीं किया जाता। सभी ब्राज़ीली खिलाड़ियों की आँखें भीगी हुई थीं। कोच तीते ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए तुरन्त कोच पद से इस्तीफा दे दिया।
दानी आल्वेस का विश्व कप जीतने का ख्वाब बिखर चुका था। पिछले विश्व कप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी लूका मौद्रिच एक बार फिर खुशी से झूम रहे थे। यह उनकी रात थी। यह क्रोएशिया की रात थी।