भारतीय समयानुसार रात साढ़े बारह बजे टूर्नामेंट का दूसरा क्वार्टर फाइनल खेला जाना था। आज मेस्सी की अर्जेंटीना का मुकाबला होना था हॉलैंड से। अर्जेंटीना बनाम हॉलैंड मुकाबले पहले भी कई दफा फीफा विश्व कप में खेले गए हैं। सन् 1978 में हॉलैंड को हरा कर ही अर्जेंटीना ने अपना पहला विश्व कप जीता था।
सुबह तड़के उठकर लोकल ट्रेन के धक्के खा कर दफ्तर जाना था। मैच अगर एक्स्ट्रा टाइम में जाए तो सुबह के चार बज जाएंगे; यह सब ख्याल भी आज रात मैच देखने से नहीं रोक सके। और, वाकई यह क्या कमाल का मुकाबला रहा। एकदम रौंगटे खड़े कर देने वाला मैच।
मैच लुसैल स्टेडियम में खेला जाना था। दोनों ही टीमें मैदान के भीतर पहुंच चुकी थीं। स्टेडियम खेल प्रशंसकों से खचाखच भर गया। चारों ओर या तो अर्जेंटीनी आसमानी नीली-सफेद या नीदरलैंड्स की ऑरेंज जर्सी में लोग थे। स्टेडियम इन दोनों रंगों की उठती लहरों में डूब गया था।
यह वही स्टेडियम था जहाँ टूर्नामेंट में आगाज करते हुए मुकाबले में जरूरी बढ़त ले लेने के बावजूद अर्जेंटीना विश्व कप की सबसे कमजोर टीमों में गिनी जा रही सऊदी अरब से बुरी तरह हार गया था और लियोनेल मेस्सी का विश्व कप जीतने का ख्वाब लगभग बिखरता नजर आने लगा था।
मैच में रेफरी की भूमिका में स्पैनिश मूल के रेफरी लाहोज़ नजर आने वाले थे। यह बताया जाना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लाहोज़ खिलाड़ियों को बेहद छोटी सी बातों पर रेड कार्ड तक दिखा देते हैं। खासकर कई अहम मुकाबलों में बड़े खिलाड़ियों पर कार्डों की बौछार कर वो मैचों को नीरस भी बना देते हैं।
खैर, रात ठीक साढ़े बारह बजे मैच का किक-ऑफ हुआ। मेस्सी की सेना उनके नेतृत्व में कोच लुई वॉन गॉल के युवा योद्धाओं के समक्ष रणक्षेत्र में उतर चुकी थी। दोनों ही टीमों का मकसद एकदम साफ था; विपक्षी टीम से ज्यादा गोल स्कोर करना है व विपक्षी को गोल स्कोर नहीं करने देना है।
अर्जेंटीना की टीम एक अति डिफेंसिव फॉर्मेशन के साथ मैदान में उतरी थ। वह एकाएक 5-3-2 की फॉर्मेशन के साथ खेलने जा रहे थे। इसके पीछे मकसद शायद यही था कि कैसे भी नीदरलैंड्स के दोनों विंग बैक्स ब्लिंड व डमफ्रिज़ व बेहतरीन फॉर्म में चल रहे विंगर कोडी गाक्पो व मेंफिस को अटैक करने के लिए ज्यादा फ्रीडम न दी जाए।
वहीं विरोधियों के मस्तिष्क को पढ़ने में माहिर मशहूर अनुभवी डच कोच लुई वॉन गॉल 3-5-2 की फील्ड फॉर्मेशन के साथ डच टीम को मैदान में उतार रहे थे। इसके पीछे मकसद था: मेस्सी को गेंद से दूर रखना व हर उस अर्जेंटीनी शख्स पर नजर रखना जो मेस्सी की दिशा में गेंद को बढा़ना चाहेगा।
मैच शुरुआत से ही बेहद रोचक रहा। नाथान ऐके लियोनेल मेस्सी को मैन मार्क किए हुए थे। जहाँ जहाँ मेस्सी जाते, नाथान ऐके उनके साथ उनसे चिपके रहते। लीवरपूल के लिए खेलने वाले लंबी कद काठी के डिफेंडर वॉन जिक भी आसपास ही खड़े थे।
नीदरलैंड्स के खिलाड़ी अर्जेंटीनी टीम को गोल पर शॉट लेने का एक भी मौका नहीं दे रही थी। टीम 3-5-2 की फील्ड फॉर्मेशन के साथ मैदान पर थी। आठ से दस खिलाड़ी सदैव डिफैंस के लिए तत्पर दिखाई दे रहे थे। अर्जेंटीना गेंद के साथ लाचार नजर आ रही थी।
तभी एकाएक मैदान पर कुछ जादुई घटित होता प्रतीत होता है। यह मैच का पैंतीसवां मिनट था। रोसारियो की गलियों में पला बड़ा लड़का लियोनेल मेस्सी गेंद को लेकर आगे बढ़ता है। हमेशा की भांति पांच से छह खिलाड़ियों से घिरा हुआ। आगे अटैकिंग लाइन से कोई खास सपोर्ट नहीं था। युवा सेंटर फॉरवर्डअल्वारेज़ दूर था व विरोधियों से घिरा हुआ था।
अचानक से टीम का राइट बैक मोलीना एक बेहद खूबसूरत अंदाज में दौड़ते हुए विपक्षी ‘डी’ में जगह बनाने में सफल हो जाता है। मेस्सी, जो पांच से छः खिलाड़ियों से घिरा हुए हैं न जाने कैसे एक असंभव सा पास कर गेंद मोलीना की ओर बढ़ाते हैं। यह कथा शायद स्वयं खुदा लिख रहा था।
मोलीना, जिन्हें अटैकिंग खेल के लिए नहीं जाना जाता, बेहद सटीक अंदाज में डच कीपर को छका कर गेंद को गोलपोस्ट की दिशा में बढ़ा देता है। यह एक अविश्वसनीय पास था। यह एक खूबसूरत फिनिश थी। यह गोल वाकई जादुई था। अर्जेंटीना 1-0 से अहम बढ़त बना चुकी थी। दर्शकों में हर्षोल्लास की लहर दौड़ पड़ी थी।
आगे, मैच के तिहत्तरवें मिनट में वॉन जिक ने अर्जेंटीनी लेफ्ट बैक अकुन्या को फाउल कर दिया। रेफरी ने अर्जेंटीना को पेनाल्टी किक दी। मेस्सी ने स्पॉट से गोल लगा कर स्कोर 2-0 कर दिया।
अब लग रहा था इस ही स्कोर लाइन के साथ मैच खत्म हो जाएगा। परंतु मैच में 80 वें मिनट के पश्चात अंतिम दस मिनटों में नीदरलैंड्स ने कमाल ही कर दिया। कोच वॉन गाल ने मेम्फिस व ब्लिंड को बाहर कर बैंच से वेगहौर्सट व ल्यूक डी जोंग को मैदान पर भेजा। दोनों ही खिलाड़ियों ने मैदान में घुसते ही विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी। वेगहौर्सट ने एक खूबसूरत हैडर लगा कर गोल स्कोर किया।
अब नीदरलैंड्स विशेषकर वेगहौर्सट का जुनून देखते ही बनता था। टीम लगातार गेंद मिलते ही लंबे पासेज़ के साथ विपक्षी ‘डी’ में घुस रही थी। नब्बे मिनट का समय समाप्त होने पर दस मिनट का एक्स्ट्रा टाइम दिया गया था। डच खिलाड़ी लगातार विपक्षी हाफ में घुसपैठ कर रहे थे। अर्जेंटीना के लिए डच अटैक को रोकना नामुमकिन होता जा रहा था। 101वें मिनट में अर्जेंटीना द्वारा एक बेजा गलती के कारण डच टीम को बेहद घातक स्थान पर एक फ्री-किक मिली और एक बार फिर वर्घुइस के चतुर पास पर वेगहौर्सट ने गोल दाग कर मैच को आगे खींच दिया।
जब एक्स्ट्रा टाइम में भी स्कोर 2-2 की बराबरी पर ही रहा तो मैच पेनाल्टी शूटआउट में गया। यहाँ ऐमिलियानो मार्तीनेज़ ने पहली दो पेनाल्टी पर खूबसूरत बचाव कर एकाएक वापस मैच अर्जेंटीना की दिशा में मोड़ दिया। मेस्सी का अक्सर पेनाल्टी को गोल में तब्दील न कर सकने के लिए उपहास भी उड़ाया जाता है। परन्तु आज उन्होंने मैदान में जिसको भी छुआ वह सोना हो गया था। बावजूद चौदह येलो कार्ड्स के, यह एक ऐसा मैच रहा जिसे बरसों तलक याद किया जाएगा।
इसी के साथ मेस्सी के नाम अब विश्व कप में 10 गोल हो चुके हैं। मेसी ने इतिहास बना लिया है, वह अब अपने हमवतन गेब्रियल बतिस्तुता के साथ विश्व कप में सर्वाधिक गोल करने वाले अर्जेंटीनाई खिलाड़ी बन गए हैं।
आगे पहले सेमीफाइनल में अर्जेंटीना की भिड़ंत होगी क्रोएशिया से। परन्तु, उससे पहले, आज रात खेले जाएंगे बाकी दो क्वार्टर फाइनल मुकाबले; पुर्तगाल का सामना होगा स्पेन को बाहर कर यहाँ पहुंची मोरक्को की टीम से और अगला मुकाबला होगा बेहद ही हाईवोल्टेज! गत विजेता फ्रांस का सामना होगा फुटबॉल के जनक इंग्लैंड की टीम से। दोनों ही मैच निश्चित रूप से काफी रोचक होने जा रहे हैं।
यह विश्व कप तो इक ऐसा गिफ्ट साबित होता जा रहा है ‘विच जस्ट किप्स ऑन गिविंग!’ एक से बढ़कर एक शानदार प्रदर्शन, एक से बढ़कर एक मैच। ऐसा लगता है ज्यों कोई हारना ही नहीं चाहता।
यह फुटबॉल है; यहाँ कुछ भी संभव है।
वीवा ला फुटबॉल!