त्योहारी सीजन तेजी से बढ़ रही देश की अर्थव्यस्था के लिए बूस्टर डोज लेकर आया है। अधिकतर विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उठापटक के बीच भारत की अर्थव्यवस्था लगातार सुदृढ़ हो रही है। इस बढ़त में महीने भर चलने वाले त्योहारों ने बड़ा योगदान दिया है।
नवरात्र से लेकर दीवाली तक चलने वाले त्योहारों के इस सीजन में वाहन, आभूषण और दैनिक प्रयोग की वस्तुओं की बिक्री में पिछले वर्ष की अपेक्षा तेजी आई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल धनतेरस के दिन ही देश में 40,000 करोड़ रूपये की बिक्री हुई। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा आभूषणों, दोपहिया तथा चौपहिया वाहनों का है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में आभूषणों की ही 25,000 करोड़ रूपए से अधिक की बिक्री हुई।
वहीं विभिन्न संगठनों की तरफ से आए अलग-अलग सर्वेक्षणों से यह बात निकल कर आई है कि देश में माँग लगातार बढ़ रही है तथा व्यापारी और उपभोक्ता दोनों उत्साहित हैं। जहाँ व्यापारी लगातार बाजार में नई पूँजी लगा रहे हैं वहीं उपभोक्ता लगातार खरीददारी कर रहे हैं। रिजर्व बैंक, CAIT सहित कई निजी सर्वेक्षण कम्पनियों द्वारा प्राप्त के आँकड़ें यही बताते है।
परम्परागत और ऑनलाइन, दोनों बाजारों में त्योहारों के सीजन में आई रौनक
पितृपक्ष के जाने के साथ ही देश में त्योहारों के सीजन का प्रारम्भ हो जाता है। नवरात्र के आगमन के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में त्योहार आरंभ हो जाते हैं। उपभोक्ता जोर-शोर से खरीददारी प्रारम्भ कर देते हैं। इस वर्ष के सीजन के लिए पारम्परिक बाजार के साथ ही ऑनलाइन विक्रेता कम्पनियों ने भी अपनी पूरी तैयारी कर रखी थी।
देश के प्रमुख ऑनलाइन विक्रेताओं जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजन, मीशो आदि ने इस समय के दौरान बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए करीब एक सप्ताह दिन चलने वाली सेल, बड़े ऑफर्स और अन्य कई कैशबैक जैसी सुविधाएं रखी थी।
प्रतिष्ठित कंसल्टेंसी फर्म रेडसियर के अनुसार, त्योहारी सीजन के पहले ही 4 दिन में ऑनलाइन विक्रेताओं जैसे कि फ्लिप्कार्ट, अमेजन व मीशो आदि ने लगभग 25,000 करोड़ रुपए का व्यापार किया। रेडसियर ने एक अनुमान में इस त्योहारी सीजन में ऑनलाइन विक्रेताओं की लगभग 41,000 करोड़ रुपए की ऑनलाइन बिक्री होने की उम्मीद जताई थी।
एक अनुमान के अनुसार सितम्बर के आखिरी सप्ताह में चलने वाली इन सेल में ही लगभग 40,000 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सामान वह वस्तुएं रहीं जिनकी खरीददारी सबसे अधिक हुई। फ्लिप्कार्ट ने इस पूरे व्यापार के लगभग 60% पर अपना हिस्सा जमाया।
वहीं अगर पारम्परिक बाजार की बात करें तो इस वर्ष त्योहारी सीजन के प्रारम्भ में नवरात्र से लेकर दिवाली तक वाहनों की बिक्री में खूब तेजी रही। वाहन विक्रेताओं के असोसिएशन FADA के अनुसार, नवरात्र के दौरान देश में 5,39,227 वाहनों की बिक्री हुई। इसमें 3,69,020 दोपहिया एवं 1,10,521 चौपहिया पैसेंजर वाहन रहे। FADA के अनुसार इस वर्ष नवरात्रि के दौरान देश में वाहनों की बिक्री में 57% की तेजी पिछले वर्ष की तुलना में रही।
नवरात्र से लेकर दिवाली तक देश में पैसेंजर चौपहिया वाहनों की बिक्री का आँकड़ा 4 लाख पहुँच गया। दक्षिण के प्रमुख त्योहार ओणम से लेकर भाई दूज के त्योहार तक देश में लगभग 8 लाख वाहनों की बिक्री हुई। विस्तृत आँकड़ें अभी आने बाकी हैं।
देश में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस वर्ष के त्योहारी सीजन में 2.5 लाख करोड़ रुपए बाजार में आने का अनुमान लगाया था। लगातार दो साल से कोरोना के कारण बंदिशों एवं मंदी की मार झेल रहे इन व्यापारियों के लिए यह बिक्री काफी उत्साहजनक है।
व्यापारी -उपभोक्ता दोनों ही आशान्वित, स्थिर महंगाई और मांग में बढ़ोतरी का असर
त्योहारों के सीजन के बीच आई कई रिपोर्ट भी यही दर्शा रही हैं कि देश में उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग लगातार जारी है। बढ़ती मांग के चलते बाजार में पूँजी आ रही है जिसके लिए व्यापारी तथा निवेशक बैंकों का रुख कर रहे हैं। इन्डियन एक्सप्रेस की की रिपोर्ट के अनुसार, देश के अंदर क्रेडिट ऑफटेक इस दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं।
वर्तमान में लगभग 128 लाख करोड़ रुपए बाजार में क्रेडिट यानी कर्जे के तौर पर मौजूद हैं, पिछले 12 महीनों में इसमें 19.5 लाख करोड़ रुपए की बढ़त हुई है। बढ़ा हुआ क्रेडिट ऑफटेक यह दर्शाता है कि बाजार में मांग बढ़ी है और उसे पूरा करने के लिए व्यापारी नई पूँजी की तलाश कर रहे हैं।
क्रेडिट का अर्थ है कर्ज। यह कर्ज बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं से अधिकतर उन व्यापारियों या कम्पनियों द्वारा माँगा जाता है जो अपना व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। इसी कर्जे की मांग में जब वृद्धि होती है तब इसमें ऑफटेक शब्द जुड़ जाता है। इस प्रकार क्रेडिट ऑफटेक अर्थव्यस्था में बढ़ती मांग से उपजी पूँजी की जरूरत को दर्शाता है।
साथ ही उपभोक्ताओं के विषय में बात करें तो देश के अंदर उपभोक्ताओं द्वारा खर्च करने एवं बाजार सम्बन्धी उनकी धारणा को दर्शाने वाले सर्वेक्षण के परिणाम काफी सकारातमक रहे हैं।
देश में विभिन्न विषयों पर सर्वे करने वाली एक्सिस माय इंडिया के द्वारा अक्टूबर माह में उपभोक्ता अवधारणा सर्वे (कंज्यूमर सेंटिमेंट सर्वे) के अनुसार, 21% लोग ऐसे हैं जो इस बार के त्योहारी सीजन में पिछले वर्ष से ज्यादा खर्चना चाहते हैं।
वहीं, 14% लोग ऐसे थे जिन्होंने इस त्योहारी सीजन में ऑनलाइन खरीददारी करने का मन बनाया था। इन सब संकेतों से स्पष्ट हो रहा है कि देश में मांग लगातार बढ़ रही है और त्योहारों ने उसमें उत्प्रेरक का काम किया है।
इन्फ्रा से लेकर किराने तक, एयर ट्रेवल से लेकर आईटी तक सबमें तेजी
अर्थव्यवस्था की तेजी में त्योहारी सीजन की भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। त्योहारों के सीजन से पहले भी देश की अर्थव्यवस्था में तेजी दिखाई दी है। अगर बात इन्फ्रा यानी निर्माण क्षेत्र की करें तो निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख सामग्रियों जैसे सीमेंट, स्टील का निर्माण करने वाली कम्पनियों के राजस्व और मुनाफे में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
उदाहरण के तौर पर देश में स्टील बनाने वाली सबसे बड़ी सरकारी महारत्न कम्पनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) का चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में राजस्व 16% बढ़ कर 24,029 करोड़ और स्टील का उत्पादन भी बढ़ कर 40 लाख टन से ऊपर रहा।
वहीं, सेवा क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कम्पनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) के दूसरी तिमाही के आँकड़े भी आ गए हैं। आँकड़ों के अनुसार, कम्पनी ने साल की दूसरी तिमाही में 8.4% की वृद्धि के साथ 10,465 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया तथा राजस्व में वृद्धि दर्ज करते हुए 55,000 करोड़ रुपए प्राप्त किए।
देश के अंदर दैनिक प्रयोग की वस्तुएं बनाने वाली कम्पनी ITC ने भी दूसरी तिमाही में 16,129 करोड़ रूपए का राजस्व एकत्रित किया और 4,466 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। इस प्रकार अधिकाँश क्षेत्र की कम्पनियों का बढ़ता राजस्व और मुनाफा देश में बढ़ती मांग को दर्शाता है जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सुखद सूचना है।
देश अब कोरोना काल के पहले की तेजी पर भी लौट रहा है। कोरोना के बाद से हवाई सफ़र में काफी कमी आई थी लेकिन अप्रैल माह में इस ने कोविड के पहले के समय के आँकड़ों को छू लिया। अप्रैल माह में 17 तारीख को देश के अंदर हवाई सफ़र करने वालों की संख्या 4 लाख से ऊपर रही।
इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, सितम्बर माह तक देश में 8.74 करोड़ लोग स्थानीय सफ़र के लिए हवाई सेवाओं का उपयोग कर चुके थे जो की वर्ष 2021 में 5.31 करोड़ था। इसके अतिरिक्त रेलवे की माल ढ़ुलाई के सितम्बर के आँकड़ों के अनुसार, सितम्बर माह में रेलवे ने 115 मिलियन टन माल ढोया जो सितम्बर माह के हिसाब से अब तक सर्वश्रेष्ठ है। इसमें 9.15% की वृद्धि दर्ज की गई।
विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने के बाद भी अर्थव्यवस्था वृद्धि के मोड में
विश्व भर में बढ़ते ऊर्जा के बढ़ते दामों और कोरोना के बाद आई अस्थिरता और फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अधिकाँश विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसे नियंत्रित करने के लिए अधिकतर देशों के केन्द्रीय बैंक अपनी ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।
इसमें अमेरिका का फ़ेडरल रिज़र्व प्रमुख रहा है। फेड की ब्याज दरें जो कि सामान्य स्थितियों में शून्य के आस-पास रहती हैं, वर्तमान में पिछले कुछ दशकों के सर्वोच्च स्तर लगभग 3.5% पर पहुँच गई हैं। इसी के साथ विदेशी निवेशक जिन्हें अब विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादा ब्याज मिल रहा है वह भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं से तेजी से अपना पैसा निकाल रहे है।
इसके कारण भारत के भी बाजार से विदेशी निवेशक हाथ पीछे खींच रहे हैं। हालाँकि, लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था में विश्वास के चलते भारतीय निवेशकों ने अपना विश्वास जताते हुए इस कमी को पूरा कर दिया है और पूँजी की कमी नहीं होने दी है।
बिजनेस इनसाइडर इण्डिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में विदेशी निवेशक 2.6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश भारतीय बाजार से निकाल चुके हैं, पर भारतीय निवेशकों ने मजबूत अर्थव्यवस्था में अपना विश्वास जताते हुए इन निकाले हुए पैसों की लगभग पूर्ती कर दी है और बाजार में 2.32 लाख करोड़ रुपए वापस डाले हैं। यही कारण है कि भारतीय शेयर बाजार के सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स दोनों, वैश्विक शेयर बाजर के मुकाबले बढ़ने में कामयाब रहे हैं।
IMF ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके भविष्य को लेकर आशा व्यक्त करते हुए उसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकसित होने की भविष्यवाणी की है। अन्य देशों की अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत मुद्रास्फीति पर काफी हद तक नियंत्रण रखने में कामयाब रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर किये गए खर्च के कारण भारत की अर्थव्यवस्था अगले स्तर पर जाने के लिए समुचित तैयारी कर रखी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार आया और कोई बड़ा संकट उत्पन्न न हुआ तो हमारी अर्थव्यवस्था का निकट भविष्य उज्जवल है।