पंजाब के अमृतसर जिले के जंडियाला गुरु में हुई संयुक्त किसान मोर्चा की रैली में किसानों द्वारा दिल्ली कूच की घोषणा की गई है। इस रैली में 18 किसान संगठनों के पदाधिकारी और हजारों किसान शामिल हुए थे। किसान नेताओं ने जानकारी दी कि एक बार फिर से 13 फरवरी को वे दिल्ली मोर्चा का बिगुल फूंकने जा रहे हैं।
रैली को किसान नेता सरवन सिंह पंधेर, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जसविंदर सिंह लौंगोवाल संबोधित कर रहे थे और उन्होंने बताया कि अब तक सभी केंद्र सरकारों ने देश के स्रोतों को विदेशी कॉरपोरेट घरानों को बेच देने की नीतियों पर ही काम किया है। किसान नेताओं का आरोप है कि पिछले दस वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा देश के कृषि सेक्टर और जमीनों पर कॉरपोरेट कब्जे करवाने की नीति पर काम किया जा रहा है।
किसान नेताओं की मांग है कि फसल बीमा योजना सरकार द्वारा लागू की जाए। किसानों और खेत मजदूरों को संपूर्ण रूप से कर्ज मुक्त किया जाए। जमीन अधिग्रहण करने के 2013 के कानून में 2015 में किए गए संशोधन रद्द करते हुए पहले रूप में लागू किया जाए। साथ ही भारत विश्व व्यापार संस्था से बाहर आए और भारतीय किसानों की कुल फसल पहल के आधार पर खरीदी जाए। सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी गारंटी कानून बनाते हुए फसलों की कीमत डॉ स्वामीनाथन कमिशन की रिपोर्ट के मुताबिक दी जाए।
इसके अलावा किसान नेताओं की मांग है कि 58 साल की उम्र के किसानों और खेत मजदूरों के लिए दस हजार रुपए प्रति महीना पेंशन स्कीम दी जानी चाहिए। बिजली कानून, 2020 को पूरी तरह से रद्द किया जाए। लखीमपुर खीरी कांड केस में न्याय किया जाए। किसान आंदोलनों में शहीद किसानों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा नशे पर पाबंदी, अबादकारों को कानून बनाकर मालिकाना हक, हर तरह के व्यापार के लिए अटारी सीमा खोलें, धुरी मिल, शेरों गन्ना मिल और नरमे से संबंधित अदारों को चालू हालत में कायम रखा जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों की अहम मांगों को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड के किसान संगठनों द्वारा देश व्यापी आंदोलन की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।
किसान नेता सरवण पंधेर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले आंदोलन को सभी किसान संगठनों ने एक संयुक्त मोर्चा बनाकर मिलकर लड़ा था। इस बार भी हमारी कोशिश है कि दोबारा सभी किसान संगठन एक साथ आकर फरवरी में बड़ा आंदोलन लड़ें। कुछ किसान संगठन बचे हुए हैं, उनको भी एक छतरी के नीचे लाने के लिए एक कमेटी बना दी गई है जो लगातार उनसे संपर्क कर रही है। 20 जनवरी तक सभी किसान संगठनों का एक संयुक्त मोर्चा दोबारा बनकर तैयार हो जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान भी किया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के द्वारा इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा जुड़े कई संगठनों ने मिलकर 16 फरवरी को भारत बंद के लिए बुलाया है। इस एक दिन किसान भी अपने खेतों में न जाएं। पहले भी हम लोग अमावस पर खेत में काम नहीं करते थे।
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