किसान हमारा अन्नदाता है। लेकिन किसान क्या खाता है? वो हमको अन्न देता है, सब कुछ उगाता है। लेकिन उसके पास खाने को कुछ नहीं होता- ब्रिटिश भारत में पंजाब के प्रमुख राजनेता सर छोटू राम का यह वक्तव्य है।
किसानों के लिए छोटू राम के मन में जो आदर था, उसके कारण ही उनका विश्वास था कि किसान से ही हिंदुस्तान है। उस समय भारत का सामाजिक आधार कृषि और किसान थे इसलिए छोटू राम के लिए बिना किसान के भारत की कल्पना शायद संभव नहीं थी।
आज उन्हीं सर छोटू राम की जयंती है। उनका जन्म 24 नवम्बर, 1881 में रोहतक जिले के गढ़ी सांपला गाँव में हुआ, जो आज के हरियाणा में है। वे जाट समुदाय से थे। अपने घर में सबसे छोटे थे, इसलिए उनका नाम भी छोटू राम ही पड़ा। भले ही वे अपने घर में सबसे छोटे थे लेकिन भारत के लिए उनका योगदान बहुत बड़ा है। उनके सामाजिक कार्यों की ईमानदारी को देखते हुए ही उन्हें सर की उपाधि दी गई और छोटू राम से उनका नाम सर छोटू राम पड़ा।
कैसे शुरू हुआ सर छोटू राम का क्रांतिकारी सफ़र
सर छोटू राम के पिता चौधरी सुखीराम को विरासत में 10 बीघे की बंज़र ज़मीन मिली थी। इस ज़मीन पर खेती नहीं हो पाती थी। यही कारण था कि उन्हें घर चलाने के लिए क़र्ज़ लेना पड़ता था। मजबूरी में सुखीराम ने इतना क़र्ज़ लिया कि वे बुरी तरह क़र्ज़ में डूब गए। एक बार जब उन्हें पैसे की आवश्यकता पड़ी तो वे अपने छोटे बेटे छोटू राम के साथ एक साहूकार के पास गए लेकिन साहूकार ने उनकी मदद करने से इन्कार कर दिया। इस घटना ने छोटू राम को किसानों के हक़ के लिए लड़ने को प्रेरित किया।
किसानों के मसीहा: सर छोटू राम
सर छोटू राम ने किसानों के लिए समर्पित होने की ठान ली और उनके हक़ के लिए आवाज़ उठाई। केवल किसान ही नहीं बल्कि गरीबों के लिए भी उन्होंने कई कार्य किए। किसानों के लिए उनका पहला और प्रमुख कार्य वर्ष 1929 का पंजाब भूमि राजस्व अधिनियम रहा। इसके साथ वर्ष 1930 में पंजाब रेगुलेशन ऑफ एकाउंट एक्ट से शुरू हुए उपायों की शृंखला के साथ साहूकारों के शोषण की समाप्ति हुई। उन्होंने पंजाब को उसका सबसे बड़ा बांध यानी भाखड़ा नंगल बाँध दिलवाया।
आखिर क्यों सर छोटू राम ने कॉन्ग्रेस छोड़ा?
सर छोटू राम वर्ष 1916 में ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस पार्टी से जुड़े। वे इस पार्टी के सदस्य तो थे लेकिन उनकी विचारधारा इस पार्टी के अन्य सदस्यों से मेल नहीं खाती थी। न ही वे इस पार्टी की विचारधारा से संतुष्ट थे। यही वजह थी कि उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी को छोड़ने का मन बनाया क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहते थे।
उन्होंने वर्ष 1924 में कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ दी और पंजाब यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया और अपने जीवन के अंत तक इस पार्टी से जुड़े रहे। इस पार्टी में रहने के दौरान ही उन्होंने पंजाब में कई महत्वपूर्ण काम किए।
सर छोटू राम द्वारा ‘जाट गजट’ नामक अखबार की शुरुआत
सर छोटू राम ने वर्ष 1916 में जाट गजट नाम से एक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला। यह एक हिंदी समाचार पत्र था, जिसकी विचारधारा देश में चल रहे अन्य समाचार पत्रों से अलग थी। सर छोटू राम का इस समाचार पत्र को लाने का उद्देश्य जनता को जागरूक करना था। वे किसानों को अपने लेख के ज़रिए जागरूक करना चाहते थे।
आज भी ये समाचार पत्र जनता के बीच चलाया जा रहा है। इस वर्ष इस समाचार पत्र को 106 वर्ष पूरे हो गए हैं लेकिन आज भी यह समाचार पत्र सर छोटू राम की विचारधारा का ही अनुसरण कर रहा है जो किसानों के प्रति जागरूकता का संदेश देता आ रहा है।