कल यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट पेश किया, जिसके बाद एक फेक न्यूज़ कई मीडिया चैनल और सोशल मीडिया एकाउंट्स द्वारा फैलाई गई। कहा जा रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क़ैदियों को जेल में बिठा कर खिलाने वाले हैं।
पहले यह जानना आवश्यक है कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में क्या कहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपने भाषण में कहा था, “गरीब व्यक्ति, जो जेलों में हैं और जुर्माना या जमानत राशि वहन करने में असमर्थ हैं, उनकी आवश्यक वित्तीय मदद की जाएगी।”
इस बयान के आधार पर कुछ मीडिया रिपोर्ट ने यह दावा करने की कोशिश की है कि सरकार अब मुस्लिम कैदियों को रिहाई देने और उन्हें जमानत राशि देने में उनकी मदद कर रही है।
क्या है हक़ीक़त
अब देखते हैं कि ऐसे लोगों का यह दावा कितना सही है। दरअसल, इस प्रस्ताव के तहत उन क़ैदियों के लिए एक फण्ड बनाने का प्रावधान रखा गया है जो ज़मानत या न्यायालय द्वारा रखी गई शर्तों के अनुसार पैसे जमा नहीं कर सकते। यानी वो लोग, जिनकी ऐसी वहाँ क्षमता नहीं है।
ऐसे फण्ड से उन क़ैदियों को राहत मिलेगी जिनके पास जुर्माने के लिए, जमानत के लिए या कोर्ट की अन्य शर्तों की पूर्ति के लिए धन उपलब्ध नहीं होता। किसी भी क़ैदी के लिए इस फण्ड से धन प्राप्ति की कुछ शर्ते और नियम होंगे।
आपको बता दें कि यह फण्ड किसी जाति या धर्म विशेष के क़ैदियों के लिए नहीं बना है। इसका फ़ायदा हर जाति और धर्म के क़ैदियों को होगा।
अगर बात करें विकसित राष्ट्रों की की तो वहाँ भी ऐसे मुज़लिम और आरोपितों को ऐसी सुविधाएँ सरकार की ओर से दी जाती हैं। मोदी सरकार का यह प्रावधान भारतीय न्यायालयों के उसी सिस्टम की तरह ही है, जिसमें किसी भी अपराधी को उसके बचाव के लिए सरकार वकील देती है।
यानी यह खबर बिलकुल निराधार है जिसमें कहा जा रहा है कि मोदी सरकार का यह प्रावधान किसी मज़हब विशेष के अपराधियों के लिए ही है।
‘पठान’ फ़िल्म को ले कर भी फैलाई गई फ़ेक न्यूज़
कुछ दिन पहले भी ऐसे ही ग्रुप्स ने कुछ ऐसी फेक न्यूज़ फैलाई थी जिनमें ये दावा किया जा रहा था कि राष्ट्रपति भवन में पठान फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग होगी। दरअसल राष्ट्रपति भवन में वहाँ के कर्मचारियों के लिए हफ्ते में एक फिल्म दिखाई जाती है तो पठान फ़िल्म की स्क्रीनिंग कोई विशेष नहीं थी।
राष्ट्रपति भवन के मौजूदा एवं सेवानिवृत कमर्चरियों का एक क्लब है, जहाँ हर शनिवार के दिन एक फिल्म की स्क्रीनिंग रखी जाती है। यहीं पर ‘पठान’ फिल्म भी दिखाई गई। अगर ये स्पेशल स्क्रीनिंग होती तो उसमें राष्ट्रपति ज़रूर मौजूद रहतीं। और वैसा ही हुआ भी, पठान की स्क्रीनिंग के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू वहाँ मौजूद नहीं थीं।
यह क्लब राष्ट्रपति भवन के परिसर में ज़रूर है, लेकिन यह कोई ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ नहीं थी। एक बात और आपको बता दें कि आख़िरी बार राष्ट्रपति भवन में अगर किसी फिल्म की स्क्रीनिंग हुई थी तो वो फ़िल्म थी ‘द कश्मीर फाइल्स’।
पठान फ़िल्म के बारे में ऐसी खबरें फैला कर ये साबित करने का प्रयास किया जा रहा था कि एक ओर जहां लोग शाहरुख़ ख़ान की पठान फ़िल्म का बॉयकॉट कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार इसके लिए विशेष तैयारियाँ कर रही है।