हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो लोगों ने एग्जिट पोल्स को Rest in Peace बोल दिया। जब परिणाम और एग्जिट पोल्स में ऐसा जमीन-आसमान का अंतर हो तो ये बोलना बनता भी है। लगभग सभी बड़े एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाई थी, भाजपा को बामुश्किल 25-30 सीटें दी थी- परिणामों को देखकर लग रहा है कि एग्जिट पोल्स बनाने वालों से पार्टी के नाम में कन्फ्यूज़न हो गया- जो उन्होंने भाजपा की जगह कांग्रेस और कांग्रेस की जगह भाजपा का नाम लिख दिया।
चुनावी परिणाम के दिन सोशल मीडिया पर मीम की बाढ़ आ गई। सबसे ज्यादा मीम कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के बनाए गए। दरअसल, उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा की हरियाणा में 20 से ज्यादा सीटें आ जाएं तो उनका नाम बदल देना, सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें नया नाम जलेबी बाई दिया है…जलेबी बाई ही क्यों दिया? ये हम नहीं बता सकते हम तो बस आपको सूचना दे रहे हैं कि रिजल्ट वाले दिन हुआ क्या?
सुप्रिया श्रीनेत के साथ-साथ सोशल मीडिया पर इंडिया टुडे भी छाया रहा। संतुलन बनाए रखने के लिए मशहूर अरुण पुरी के चैनल ने जैसे ही देखा कि हरियाणा में कांग्रेस हार रही है तो दर्शकों की आंखों के सामने ही उन्होंने खेल कर दिया। जब तक कांग्रेस जीत रही थी राहुल गांधी की फ़ोटो दिखा रहे थे, जैसे ही हारने लगी चुपचाप राहुल गांधी की फ़ोटो हटाकर मल्लिकार्जुन खड़गे की फ़ोटो लगा दी। बेचारे! खड़गे को हार का प्रतीक बना दिया गया है।
नतीजे वाले दिन और भी बहुत कुछ हुआ लेकिन हम यहाँ एग्जिट पोल्स पर लौटते हैं- तो एग्जिट पोल्स को देखकर ही कांग्रेस और उसके समर्थकों ने स्वयं को विजेता घोषित कर दिया, वास्तविक परिणामों की प्रतीक्षा भी नहीं की। बड़ी-बड़ी बातें की गईं, सीएम के नाम पर भी चर्चा हो गई। जलेबी बाँट दी गई। ढोल बजा दिए गए, लेकिन जब परिणाम आया तो वही ढाक के तीन पात अर्थात राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की एक और हार।
रिपब्लिक टीवी-मैट्रिज पोल में कांग्रेस को 55-62 सीटें और भाजपा को 18-24 सीटें दी गई थीं। पीपुल्स पल्स पोल में कांग्रेस को 44-54 और भाजपा को 15-29 सीटें दी गईं थी। दैनिक भास्कर पोल ने भी पीपल पल्स के पूर्वानुमान को दोहराया, जिसमें कांग्रेस को 44-54 सीटें, भाजपा को 15-29 सीटें बताईं। अधिकांश एग्जिट पोल्स ने कमोबेश ऐसे ही आंकड़े दिए।
अब परिणाों को अगर देखें तो भाजपा ने 48 सीट पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को 37 सीट मिली हैं। परिणाम के बाद भी कांग्रेस के कुछ समर्थक कह रहे हैं कि विनेश फ़ोगाट तो जीत गई- ये सही है भाई साहब! कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भी यही किया था। पूरा चुनाव बुरी तरह से हार गए, फैजाबाद लोकसभा की सीट उनकी सहयोगी समाजवादी पार्टी के नेता ने जीती तो कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की हार को अयोध्या में जीत गए के शोर से दबाने का प्रयास किया। अब प्रतीत होता है कि कांग्रेस यही हरियाणा में करेगी, हरियाणा की हार को विनेश फोगाट की जीत से हराकर अपना मन बहला लेगी।
कांग्रेस पार्टी से इतर एग्जिट पोल्स पर बड़े गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल है कि एग्जिट पोल्स की आड़ में भी क्या एजेंडा चलाया जा रहा है? एग्जिट पोल्स के नाम पर क्या व्यक्तिगत राजनीतिक राय को परोसा जा रहा है? एग्जिट पोल्स के नाम पर क्या कोई और समीकरण साधे जा रहे हैं? निश्चित तौर पर एग्जिट पोल्स करने वाली कंपनियों को और उन्हें प्रसारित करने वाले मीडिया समूहों को इन सवालों के जवाब देश के देने चाहिए।
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