सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया है कि केंद्र सरकार ने किसान आन्दोलन के समय उन पर दबाव बनाया था। जैक डोर्सी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा है कि भारतीय एजेंसियों ने किसान आन्दोलन के दौरान कई पोस्ट को हटाने को कहा था और यह भी कहा था कि यदि ट्विटर ऐसा नहीं करता है तो वह ट्विटर कर्मचारियों के घरों पर छापे मारेंगे या ट्विटर को भारत में बंद कर देंगे।
जैक डोर्सी अक्टूबर, 2022 तक ट्विटर के सीईओ थे, इसके पश्चात ट्विटर का अधिग्रहण एलन मस्क द्वारा कर लिया गया था। डोर्सी के इस बयान की पोल केन्द्रीय आईटी मंत्री (राज्य) राजीव चंद्रशेखर ने खोली है। उन्होंने इसे सफ़ेद झूठ बताते हुए ट्विटर द्वारा पूर्व में किए हुए कुकृत्यों पर पर्दा डालने का प्रयास बताया है।
राजीव चंद्रशेखर ने डोर्सी के बयान पर ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि डोर्सी के कार्यकाल के दौरान उनकी ट्विटर टीम लगातार भारतीय नियम-कानूनों का उल्लंघन कर रही थी। ट्विटर वर्ष 2020 से लेकर 2022 तक लगातार नियमों का उल्लंघन करता रहा और जून 2022 में जाकर उन्होंने नियम स्वीकार किए।
चंद्रशेखर ने कहा कि इस दौरान ना ही हमने ट्विटर को बंद किया और ना ही किसी को जेल भेजा। उन्होंने यह भी कहा कि ट्विटर को संप्रभु राष्ट्र भारत के नियम मानने में समस्या थी, ट्विटर ऐसे जता रहा था कि उन पर भारत के नियम-कानून लागू ही नहीं होते।
राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने लिखा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और कोई भी कम्पनी भारतीय नियमों को मान रही है या नहीं तय करने का हमें पूरा हक है। उन्होंने किसान आन्दोलन के दौरान फैलने वाली सभी गलत जानकारियों को रोकना भारत सरकार का कर्तव्य था।
चंद्रशेखर ने कहा कि इस दौरान नरसंहार तक की खबरें फैलाई जा रही थी, जो तथ्यों से बिलकुल परे थीं। उन्होंने जैक के कार्यकाल के दौरान ट्विटर पर पक्षपात के ढंग से कार्य करने का आरोप भी लगाया, उन्होंने कहा कि भारत में जहाँ उन्हें इस प्रकार की तथ्यहीन जानकारी हटाने में समस्या थी वहीं अमेरिका में वह सहर्ष यह कर रहे थे।
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चंद्रशेखर ने कहा कि यह अब सामने आ चुका है कि जैक के कार्यकाल के दौरान कैसे उन्होंने अपने प्लेटफार्म और प्रदत्त शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया था। ट्विटर ने इस दौरान ना सिर्फ भारत के नियम कानूनों को मानने से मना कर दिया था बल्कि कई ऐसी जानकारियों को भी दबा रहा था जिससे झूठी खबरों को फैलने से रोका जा सके।
गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 में सीएए कानून और इसके पश्चात हुए किसान आन्दोलन के दौरान ट्विटर के माध्यम से काफी गलत जानकारियां फैलाने का प्रयास किया गया था, इस दौरान नरसंहार से लेकर पुलिस द्वारा किसानों के मारे जाने तक की खबरें फैलाई गईं थी।
ऐसा ही एक वाकया 26 जनवरी 2021 को हुआ था जब किसानों ने लाल किले पर धावा बोल दिया था, इस दौरान कुछ पत्रकारों ने यह खबर फैलाई थी कि एक किसान की पुलिस फायरिंग में मृत्यु हो गई है। इसमें सबसे आगे इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई थे जिन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि एक किसान नवनीत सिंह की दिल्ली के ITO के पास पुलिस फायरिंग में मृत्यु हो गई है।
हालाँकि, दिल्ली पुलिस ने इस जानकारी का खंडन किया था। नवनीत सिंह की मृत्यु ट्रेक्टर से एक पुलिस बैरिकेड तोड़ने के दौरान ट्रेक्टर पलटने के कारण हुई थी ना कि पुलिस फायरिंग में। इसी तरह एक वामपंथी मीडिया पोर्टल द कारवाँ ने भी यही जानकारी फैलाई थी। ट्विटर ने इस फर्जी खबर को हटाने की जहमत नहीं उठाई।
ट्विटर ने किसान आन्दोलन के दौरान 1178 ऐसे ट्विटर अकाउंट को हटाने से मना कर दिया था जो कि पाकिस्तान और कनाडा से चलाए जा रहे थे और भारत के विषय में गलत जानकारियां फैला रहे थे। भारत सरकार ने ट्विटर से इन अकाउंट को बंद करने को कहा था लेकिन ट्विटर ने यह भी मानने से इंकार कर दिया था।
इसी तरह ट्विटर ने नियमों को मानने से मना करने के अतिरिक्त कोरोना महामारी के दौरान भी कई गलत जानकारियों को फैलने से नहीं रोका था। ट्विटर ने भारत सरकार के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के ब्लू टिक भी इसी दौरान हटाए थे। ट्विटर ने जून 2021 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया था।
ट्विटर के तत्कालीन सीईओ जैक डोर्सी भी लगातार भारत तोड़ने के विचारों को बढ़ावा देते रहे हैं। उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान स्मैश ब्राम्ह्निकल पैट्रिआर्की (ब्राम्हणवादी पितृसत्ता को खत्म करो) लिखा हुआ एक पोस्टर हाथ में पकड़ कर खिंचाया था, इस पर काफी बवाल हुआ था। जैक डोर्सी अब अपना पद जाने के बाद भी लगातार झूठी जानकारी फैलाने से बाज नहीं आ रहे।
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