चीन से फंडिंग लेने की आरोपी समाचार वेबसाइट न्यूजक्लिक के समर्थन में 700 से अधिक ‘हस्तियों’ ने एक बयान जारी किया है, बयान जारी करने वालों में प्रॉपगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन जैसे लोग शामिल हैं। इन सभी ने इस बयान में न्यूजक्लिक का समर्थन किया है। इस साझा बयान में इन सभी ‘हस्तियों’ ने न्यूजक्लिक और इसके संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के ऊपर चीन से फंडिंग से लेने के आरोपों को लेकर छापी जा रहीं खबरों का विरोध किया है।
पत्र में क्या कहा गया?
सभी हस्तियों द्वारा जारी किए गए बयान में कई ऐसे लोग शामिल हैं जो कि आतंकी याकूब मेनन की फांसी के विरोध में भी पत्र लिख रहे थे। इस पूरी जमात में लेखक, वामपंथी पत्रकार, संपादक और लिबरल गैंग के लोग शामिल हैं जिनका कहना है कि न्यूजक्लिक को परेशान किया जा रहा है। इन्होने चीन से फंडिंग को गलत कहने पर इसे पत्रकारिता पर हमला करार दिया है।
जारी किए गए बयान में लिखा गया है, “सरकार की नाकामियों पर लिखने और सरकार को जिम्मेदार ठहराने वाले किसी पोर्टल पर ऐसी बात करना पत्रकारिता पर हमला है।” इस बयान में यह भी कहा गया है कि देश में मीडिया का रोल इसलिए खराब हुआ है क्योंकि वह कॉरपोरेट के कब्जे में है। कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यूजक्लिक पर कोर्ट में केस चल रहा है फिर भी इसका मीडिया ट्रायल किया जा रहा है।
कौन हैं ये कथित ‘हस्तियाँ’?
इस बयान को जारी करने वाले नाम वही लोग हैं जो या तो मोदी सरकार के विरोध में झूठी खबरें परोसते आए हैं या फिर किसी ना किसी तरीके से विपक्षी दलों या जॉर्ज सोरोस के फंड से जुड़े हैं।
जॉन दयाल
इस लिस्ट में एक नाम प्रोफ़ेसर जॉन दयाल का भी है। जॉन दयाल ईसाइयों के ‘मानवाधिकारों’ के लिए काम करते हैं। इनका विवादों से पुराना नाता है। इन्होने 2019 में एक टीवी बहस के दौरान प्रफुल केतकर से कहा कि वह जिस महिला का चाहे बलात्कार कर लें और उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा ना ही उन पर कोई एक्शन लिया जाएगा।
जॉन दयाल ने एक अन्य टीवी बहस के दौरान कहा था कि वह यासीन मालिक को आतंकी नहीं कहेंगे जब तक कि उसे कोर्ट से आतंकी नहीं कह दिया जाता। जॉन दयाल ने यह बातें तब कहीं जब उसी बहस में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी मौजूद थीं। रवि खन्ना की ही हत्या के अपराध में आतंकी यासीन इस समय जेल में बंद है।
जॉन दयाल उस 32 सदस्यीय समूह का भी हिस्सा थे जिसने धार्मिक हिंसा बिल का ड्राफ्ट तैयार किया था। यह ड्राफ्ट अगर विधेयक बन कर संसद में पास हो जाता तो इसके सब जगह पर बहुसंख्यक समुदाय पर विपरीत प्रभाव पड़ता।
सिद्धार्थ वरदराजन
सिद्धार्थ वरदराजन ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं, वह ‘द वायर’ प्रॉपगेंडा वेबसाइट के फाउंडर और संपादक हैं। ‘द वायर’ ने बीते दिनों भाजपा और फेसबुक की मालिकाना हक वाली कंपनी मेटा पर फर्जी कागजों के सहारे कुछ रिपोर्ट प्रकाशित की थीं। वायर का दावा था कि भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के पास मेटा के सभी डाटा का एक्सेस था। बाद में वायर को माफ़ी मांगते हुए यह सभी स्टोरी हटानी पड़ी थीं।
वायर का कहना था कि अमित मालवीय ने कई इन्स्टाग्राम पोस्ट को हटाया है, इसके लिए उन्होंने Xचेक नाम के एक प्रोग्राम का उपयोग किया है। मेटा और ने विशेषज्ञों द्वारा दावे का खंडन कर दिया गया था।
वायर ने यह स्टोरी बाद में हटा ली थी। इसी तरह वायर ने टेक फॉग नाम के एक ऐप से संबंधित भी कुछ मनोहर कहानियाँ छापी थीं, इसमें लेखक के तौर पर सिद्धार्थ वरदराजन का नाम भी था। इन कहानियों का सूत्रधार देवेश कुमार नाम का एक व्यक्ति था जिसको बाद में वायर ने ही दुत्कार दिया था।
सिद्धार्थ स्वयं भी झूठी खबरें फैलाता रहा है, इसी सिलसिले में उसने एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से समबन्धित एक झूठा ट्वीट किया था। इस मामले में बयान एक अन्य महंत का था जबकि इसने उसे योगी आदित्यनाथ का बताया था। इसको लेकर सिद्धार्थ पर FIR भी दर्ज हुई थी।
जयति घोष
स्वघोषित अर्थशास्त्री और जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफेसर जयति घोष भी इस सूची में शामिल हैं। जयति लगातार झूठी खबरें फैलाती रही हैं। हाल ही में जयति ने एक वीडियो ट्विटर पर डाला था, इसमें एक व्यक्ति पैदल चलने वालों को बरसात के दौरान सड़क पार करने वालों की सहायता करते दिखता है। जयति ने दावा किया कि वीडियो ‘नए भारत’ का है। नया भारत लिखने का आशय भारत का अपमान करना था क्योंकि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में किए गए विकास के आधार पर नया भारत का नाम लेते हैं।
वीडियो में एक व्यक्ति लोगों को पानी भरी हुई रोड को एक ट्राली के सहारे पार कराता है और कुछ पैसे भी लेते हुए दिखता है। यह वीडियो लातिन अफ़्रीकी देश कोलंबिया का है। हालाँकि, जयति घोष को जब लोगों ने ट्विटर पर टोका तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि क्या यह भारत से मेल नहीं खाता।
कोलिन गोंसाल्विस
कोलिन का नाम लगातर बड़े बड़े केस में सुना जाता है, कोलिन ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क का फाउंडर है। कोलिन गोंसाल्विस पहले मणिपुर ट्राइबल फोरम का भी केस लड़ चुका है, इस फोरम ने कुकी समुदाय के लिए आर्मी सुरक्षा मांगी थी। कोलिन का HRLN नेटवर्क, सोशियो लीगल इनफार्मेशन नेटवर्क का हिस्सा है जो कि जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन और फोर्ड फाउंडेशन से फंड ले चुका है।
HRLN ने यूरोप, जर्मनी, क्रिस्चियन एड समेत अन्य कई ऐसे जगहों से फंड लिया है जो कि पहले भी भारत के विरुद्ध काम करने वालों को पैसे देते आए हैं। HRLN की गुजरात शाखा को चलाने निर्झरी सिन्हा मोदी विरोधी वकील हैं और प्रॉपगेंडा वेबसाइट न्यूज आल्ट न्यूज में डायरेक्टर हैं।
हर्ष मंदर
हर्ष मंदर पूर्व नौकरशाह हैं और सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं। हर्ष नेशनल एडवायजरी काउंसिल के सदस्य थे जो कि मनमोहन सरकार के दौरान सुपर कैबिनेट मानी जाती थी। मंदर कॉन्ग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी शामिल हुआ था और इसने हिन्दू विरोधी ‘धार्मिक हिंसा बिल’ को भी बनाया था।
यही हर्ष मंदर जॉर्ज सोरोस से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है, जॉर्ज सोरोस ने बीते दिनों भारत में सरकार बदलने और प्रधानमंत्री मोदी को हटाने की बात कही थी। हर्ष मंदर जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसायटी फाउंडेशन का चेयरमैन है। इसके खुद के NGO के तार सीधे तौर पर जॉर्ज सोरोस से जुड़े हुए हैं।
इसका एक NGO ‘सेंटर फॉर इक्वलिटी सर्च’ इसाई संगठनों से पैसे लेता रहा है और ईसाई मतांतरण के विषय में बात करता रहा है। इस संगठन के 50% फंड अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन से आते हैं।
रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब
रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब जैसे कथित इतिहास लेखकों ने भारत के इतिहास के साथ काफी छेड़छाड़ की है।
रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब की विद्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने बताया था कि युधिष्ठिर ने गौतम बौद्ध से प्रेरणा ली थी। दोनों लगातार विवादित बयान देते आए हैं।
2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विद्यालय में इरफ़ान हबीब ने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विरुद्ध भड़काऊ भाषण दिया था। इस मामले में उन्हें कानूनी नोटिस भी भेजा गया था।
प्रशांत भूषण
प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और लगातार झूठी खबरें फैलाता रहा है। प्रशांत भूषण हर ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ा दिखता है जो कि भाजपा का विरोध करता हो। बीते दिनों देहरादून के एक पिता-पुत्री का वीडियो यह बता कर प्रचारित किया था कि वह कुकी और मैतेई प्रेमी-प्रेमिका हैं।
बाद में जिनका वीडियो वायरल हुआ था उन्होंने एक पोस्ट करके यह बताया था कि वह गायक हैं और अपने पिता के साथ गाना गा रही थीं। बालिका के पिता विकास मुखिया ने इस मामले में प्रशांत भूषण की शिकायत उत्तराखंड के डीजीपी से भी की है।
अन्य ‘हस्तियाँ’
इन सभी के अतिरिक्त, नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक जैसे नामों के दस्तखत भी चीन से पैसे लेने वालों के समर्थन में दिखे हैं। 2019 में नसीरुद्दीन शाह ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ एक वीडियो बनाया था जिसका उद्देश्य भारत के चुनावों को प्रभावित करना था।
निवेदिता मेनन भी इसी बयान में शामिल हैं। निवेदिता मेनन हिन्दू विरोधी प्रोफेसर है जो कि JNU में पढ़ाती है। 2016 में इसने दावा किया था कि भारत ने कश्मीर पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है। इसने हिन्दुओं को सबसे हिंसक बताया था।
पत्र लिखने वालों में एन राम भी शामिल हैं जो कि समाचार पत्र ‘द हिन्दू’ के पूर्व एडिटर इन चीफ हैं। 20१९ में द हिन्दू ने राफेल से संबंधित कुछ कागज छापे थे जिनमें दावा किया था कि इसे खरीदने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ही जोर लगा रहा था। हालाँकि, इस कागज में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के द्वारा लिखे गए एक नोट को जानबूझ कर हटा दिया गया था।
न्यूजक्लिक और चीन से आने वाला पैसा
अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि श्रीलंकाई मूल के अमेरिकी उद्योगपति नेविल रॉय सिंघम द्वारा वित्त पोषित न्यूजक्लिक की कवरेज असल में चीन की कम्युनिस्ट सरकार का एजेंडा है। रिपोर्ट दावा करती है कि न्यूजक्लिक को चीन से 38.05 करोड़ प्राप्त हुए थे। ये धनराशि कथित तौर पर गौतम नवलखा और तीस्ता सीतलवाड़ के सहयोगियों सहित कई विवादास्पद पत्रकारों को वितरित की गई थी। सिंघम पर विभिन्न समूहों को फण्ड करने का आरोप है, जो चीन की कम्युनिस्ट विचारधारा को बढ़ावा देते हैं और उइगरों के नरसंहार को झूठ साबित करने का प्रयास करते हैं।
इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि श्रीलंकाई मूल से अमेरिका में रहने वाले नेविले रॉय सिंघम की न्यूज़ क्लिक की कवरेज चीनी सरकार द्वारा फण्ड की जा रही है। हाल ही में NYT ने एक अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जो चीन समर्थक पोर्टल को फंड करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर व्यवसाय और गैर सरकारी संगठनों का उपयोग कर रहा है। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि न्यूजक्लिक को 38.05 करोड़ रुपये भेजे थे।
NYT की रिपोर्ट सिंघम की विवादित भूमिका पर प्रश्न करती है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व के दौरान, चीन ने अपने स्टेट मीडिया प्रभाव का विस्तार किया है, अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के साथ गठबंधन बनाया और प्रामाणिक, स्वतंत्र सामग्री के नाम पर प्रचार प्रसार करने के लिए विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है। चीन अपने इस प्रचार तंत्र के माध्यम से अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में अंतरराष्ट्रीय निंदा से खुद को बचाने में कामयाब भी रहा है।
इसके बाद दिल्ली स्थित समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ के दिल्ली स्थित साकेत वाले फ्लैट को ईडी ने सीज़ कर दिया। सितंबर, 2021 में भी ED ने प्रबीर पुरकायस्थ के परिसर पर छापेमारी की थी।
ईडी के तलाशी अभियान में दिल्ली एनसीआर स्थित न्यूज़क्लिक स्टूडियो और उससे जुड़ी संस्थाओं के साथ-साथ उनके डायरेक्टर्स और शेयरहोल्डर्स के कार्यालय भी शामिल थे। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई। ईडी ने ये कदम इस समाचार पोर्टल में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के बाद उठाया है। इसी प्रक्रिया में एजेंसी इस मामले को लेकर आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही है।
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