बाल यौन शोषण एक ऐसा मुद्दा होता है जिस पर चर्चा करना तक लोगों को असहज करने लगता है। ऐसे में उस पर किसी कार्रवाई के लिए आवाज उठाना और भी मुश्किल है।
पुराने दौर का ट्विटर ऐसी शिकायतें मिलने पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा था। इस विश्व बाल दिवस पर बाल यौन शोषण से सम्बन्धित कंटेंट डालने वाले कई हैशटैग और हैंडल एक झटके में ख़त्म कर दिए गए। एलन मस्क का इस कदम के लिए धन्यवाद तो बनता है।
भारत के हिसाब से देखा जाए तो ‘बाल दिवस’ का मतलब 14 नवम्बर ही होता है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यह हिसाब बदल जाता है और ‘विश्व बाल दिवस’ का मतलब 20 नवम्बर हो जाता है। वैसे तो विश्व बाल दिवस की शुरुआत 1954 में ही हो गई थी।
विश्व भर के बच्चों को एक साथ लाने, उनमें और उनके प्रति जागरूकता बढ़ाने, और बच्चों की बेहतरी के लिए इस दिन को चुना गया था। बाद में इसमें और बातें भी जुड़ती गई। जैसे, 1959 में इसी दिन यूएन जनरल असेंबली ने विश्व बाल अधिकारों का घोषणा पत्र स्वीकार किया।
साल 1989 में ‘कन्वेंशन ऑन द राइट्स ऑफ द चाइल्ड’ भी इसी दिन स्वीकारा गया। इस तरह साल 1990 आते-आते यह तिथि बच्चों से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाओं की तिथि भी बन गई।
भारत में ऐसा कम ही होता है कि ‘बाल दिवस’ के अवसर पर बच्चों से जुड़ी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणाएं हों। हाँ यह अवश्य है कि विश्व बैंक वाली भाषा को अपनाते हुए ‘जेंडर बजटिंग’ की तर्ज पर ‘चाइल्ड बजट’ को आम बजट से अलग करने की कवायद शुरु हो गई है।
सोशल मीडिया के दौर में, जैसे-जैसे विश्व बैंक और दूसरे एनजीओ जिन पर अक्सर स्थानीय लोकतंत्र को अमेरिकी-पश्चिमी देशों के हितों से प्रभावित करने का आरोप रहता है, उनका दबदबा घटा तो दूसरे असल में हितकारी मुद्दों को भी जगह मिलने लगी।
हाल की सोशल मीडिया से जुड़ी बहसें देखें तो ट्विटर के एलन मस्क के अधिकार में चले जाने का मुद्दा छाया रहा। तथाकथित प्रगतिशील गिरोहों के लिए यह छाती कूटने का मुद्दा बना रहा। कम्पनी में जमा लोग जिनकी जरुरत नहीं थी, उनकी छंटनी से लेकर ट्रम्प के एक सर्वेक्षण के बाद ट्विटर पर वापस आ जाने तक कई ऐसे मुद्दे एक-एक कर सामने आते गए जो उनके रोने-धोने का कारण बनते गए।
असल में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो तथाकथित प्रगतिशील गिरोह होते हैं, उनका वास्तविक प्रगति से कोई लेना-देना नहीं होता। जब उनकी स्वयं की आर्थिक-सामाजिक प्रगति पर प्रभाव पड़ता है, उस समय उन्हें याद आता है कि यह तो पुरातनपंथी विचार है या यह समाज को पीछे ले जाएगा।
उदाहरण के तौर पर ट्विटर के पुराने स्वरुप पर क्या आरोप थे? सोशल मीडिया के इतने बड़े प्लेटफार्म, जहाँ लाखों लोग रोज कई ट्वीट करके अपनी बात एक दूसरे के सामने रखते हैं, वहाँ कई कमियाँ अपने आप ही पैदा होती है। भाषाई शुचिता की समस्या होगी, अभद्र भाषा, गाली-गलौच को रोकना होगा।
इसके अलावा भी एक बड़ा बाजार पॉर्न इंडस्ट्री का है। वो सोशल मीडिया के इतने बड़े प्लेटफार्म को क्यों छोड़ देगा? पॉर्न इंडस्ट्री के साथ अपने आप ही नैतिकता के कई सवाल जुड़ जाते हैं। उदाहरण के तौर पर बच्चों को दर्शाने वाले पॉर्न का क्या हो, यह एक बड़ा सवाल होता है।
चूँकि, ट्विटर अमेरिकी कानूनों से बंधा था, इसलिए परिभाषाएँ तो वही थीं जो अमेरिकी कानून में होतीं, लेकिन कई देशों में जो ट्विटर को चलाने वाले बैठे थे, उन पर अमेरिकी कानूनों का कोई असर नहीं होता था। ऊपर से जो लाभ होता, वो इतना अधिक था कि इसके लिए कानूनों को तोड़ने से भी उन्हें कभी कोई विशेष परहेज नहीं रहा।
नतीजा? ट्विटर पर ऐसे कई हैशटैग और हैंडल उग आए जो लगातार पॉर्न परोस रहे थे। उससे भी बड़ी समस्या यह कि इनमें से कई तो बच्चों के यौन शोषण को दर्शाते थे। एलिजा ब्लू जो स्वयं भी मानव तस्करी का शिकार रह चुकी है, वर्षों से ट्विटर से ऐसे कंटेंट को हटाने की लड़ाई लड़ रही थीं। उनकी कई शिकायतों का ट्विटर के पुराने प्रबंधन पर कोई असर नहीं हुआ।
एलिजा कहती हैं कि एलन मस्क के नेतृत्व में अब ट्विटर ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई कर रहा है। एलन मस्क के ट्विटर पर अधिकार से पहले से ही ट्विटर पर ऐसा एक बड़ा मुकदमा चल रहा है। अज्ञात नामों से मुकदमा करने वालों ने तब पूछा था कि इन लोगों को नींद कैसे आती है?
यह मुकदमा उस समय शुरू हुआ था जब मुकदमा करने वाले नाबालिग ही थे, और अब ये बड़े हो चुके हैं। इस मामले में यौन शोषण के बाद बच्चों का वीडियो ट्विटर पर डाल दिया गया था। जब उन्होंने ट्विटर से इसे हटाने का निवेदन किया तो ट्विटर ने मना कर दिया था। इस ट्वीट को 1,67,000 लोगों ने देखा और 2,223 लोगों ने रिट्वीट भी कर रखा था।
विश्व बाल दिवस पर 20 नवम्बर, 2022 को ट्विटर ने एक झटके में न सिर्फ ऐसे कंटेंट को हटाया बल्कि बाल यौन शोषण से जुड़े पोस्ट-ट्वीट करने वाले कई हैंडल्स पर भी कार्रवाई की। एलिजा ब्लू कहती हैं कि काम अब तेजी से हो रहा है, हालाँकि अभी भी काफी कुछ होना बाकी है।
फिलहाल जो पुराना रिपोर्ट (शिकायत) करने का तरीका था, उसमें आए बदलावों को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है। एलिजा ब्लू ने काफी समय से यह माँग जारी रखी थी कि रिपोर्टिंग का तरीका आसान हो।
ऐसे बदलावों के आने से ट्विटर को कम से कम बाल यौन शोषण के वीडियो इत्यादि से मुक्त करवाने की दिशा में थोड़ी पहल तो हुई है। अब जब तस्वीरें और वीडियो हट चुके हैं तो इस किस्म के बाकी कंटेंट को हटने में भी ज्यादा समय नहीं लगेगा ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
बाकी इन सब के बीच, जैसा अपेक्षित ही था, कथित रूप से प्रगतिशील गिरोहों ने इस बड़े मुद्दे पर चुप्पी कायम रखी है। जमीनी मुद्दों पर काम करने के बदले अपने प्रचार के लिए भावनात्मक मुद्दों को उठाने वालों से इससे बेहतर कुछ करने की उम्मीद की भी नहीं जानी चाहिए।